Move to Jagran APP

विपरीत परिस्थितियों में दी सेवाएं, अधिकारों के लिए किया संघर्ष

बीते पांच वर्षों के दौरान मुलाजिम संगठनों की संयुक्त संस्था ज्वाइंट एक्शन कमेटी और डीसी आफिस मुलाजिम यूनियन के सदस्य अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक संघर्ष करते रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 07:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 08:21 PM (IST)
विपरीत परिस्थितियों में दी सेवाएं, अधिकारों के लिए किया संघर्ष
विपरीत परिस्थितियों में दी सेवाएं, अधिकारों के लिए किया संघर्ष

शाम सहगल, जालंधर

loksabha election banner

बीते पांच वर्षों के दौरान मुलाजिम संगठनों की संयुक्त संस्था ज्वाइंट एक्शन कमेटी और डीसी आफिस मुलाजिम यूनियन के सदस्य अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक संघर्ष करते रहे। भले ही यह संघर्ष कलम छोड़ हड़ताल से लेकर कुछ एक दिनों के लिए धरना प्रदर्शन करने तक ही सीमित था। शांतिपूर्वक किए जाते रहे संघर्ष होने के चलते ही शायद उनकी मांगों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। यूनियन नेताओं को मलाल इस बात का भी है कि कोरोना काल के दौरान जब लोग घर की दहलीज पार करने से भी कतराते थे, तब सरकारी मुलाजिम सड़कों पर उतर कर सेवाएं देते रहे। स्वजनों के विरोध का सामना करते हुए मजबूरी वश सरकार की स्कीमों को लोगों तक पहुंचाने में किसी भी तरह का गुरेज नहीं किया। हालात सामान्य हुए तो अपनी जायज मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। लेकिन इसके बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगी। 'दैनिक जागरण' के साथ अभिव्यक्ति बयां करते हुए ज्वाइंट एक्शन कमेटी के प्रतिनिधि वायदों को लेकर सरकार की बेवफाई पर रोष जताते हैं।

-------------

हड़ताल के दौरान भी जरूरी सेवाएं जारी रखी

ज्वाइंट एक्शन कमेटी के प्रधान सुखजीत सिंह ने बताया कि मुलाजिम यूनियनों की हड़ताल के दौरान जरूरी सेवाएं बाधित नहीं होने दी। बात कोरोना से संबंधित फाइलों का काम निपटाने की हो या फिर गरीब तथा जरूरतमंद लोगों को सरकारी योजनाओं की सुविधाएं देने की। यूनियन के सदस्यों ने संघर्ष करते हुए भी इन सेवाओं को निरंतर जारी रखा। लेकिन उनकी जायज मांगों को सदैव से दरकिनार किया जाता रहा। जिसके चलते मजबूरीवश संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।

-------------

मांगों को दरकिनार करना बना संघर्ष का कारण

कर्मचारी नेता तेजिदर सिंह ने बताया कि मुलाजिमों की मांगों को दरकिनार करना ही संघर्ष का कारण बना। उन्होंने कहा कि कच्चे मुलाजिमों को पक्का करने, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने तथा वेतन आयोग की सिफारिशों लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर आवाज बुलंद की गई थी। जिसे पुरा ना होने की सूरत में संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.