आरटीआइ के सहारे समाजसेवा की जंग जारी, संजय सहगल ने शहर के तमाम मुद्दे उठाकर करवाए हल
मेरा परिवार देश के बंटवारे से पहले पाकिस्तान के झंग में रहता था। हीर-रांझा झंग के रहने वाले थे। बंटवारे के बाद पिता रमेश चंद्र सहगल परिवार के साथ जालंधर शिफ्ट हो गए। पिता जी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित पंजाब में आर्मी के लिए काम करते थे।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। मेरा परिवार देश के बंटवारे से पहले पाकिस्तान के झंग में रहता था। हीर-रांझा झंग के रहने वाले थे। बंटवारे के बाद पिता रमेश चंद्र सहगल परिवार के साथ जालंधर शिफ्ट हो गए। पिता जी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित पंजाब में आर्मी के लिए काम करते थे। मेरा जन्म जालंधर में ही हुआ। मैने यहीं के एपीजे स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद दोआबा कालेज से बीकाम किया।
शुरू से ही मेरे अंदर समाज सेवा करने का जज्बा रहा। इसीलिए मैने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना व्यवसाय भी किया, लेकिन राजनीति भी की। 20 साल तक राजनीति की और लोगों के मुद्दों को हल करवाया।
मैंने नेताओं को करीब से जाना व देखा तथा राजनीति को समझने की कोशिश की। धीरे-धीरे मुझे विभिन्न सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली तथा नेताओं की उसमें दखलंदाजी के बारे में जानकारी मिलने लगी। किस प्रकार सरकारी दफ्तरों में राजनीति अंदर तक घुस चुकी है। आम लोगों के काम को छोड़कर अफसर भी नेताओं को खुश करने में लगे रहते हैं। यह सबकुछ मैने करीब से देखा।
इसके बाद मैने आम लोगों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। 2005 में सरकार ने आरटीआइ एक्ट बनाया। उसे लागू किया गया। उसके बाद से मैने सरकारी विभागों से लेकर सरकार तक की नाक में आरटीआई डाल कर दमकरना शुरू कर दिया। शहर के तमाम ज्वलंत मुद्दों को आरटीआइ के सहारे हल करवाया। मैंने आरटीआइ को लोगों की आवाज बनाकर उठाना शुरू किया। आज भी तमाम लोगों को आरटीआइ के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है। जालंधर के सबसे पुराने स्कूलों में शामिल साई दास स्कूल जहां से जालंधर से तमाम पुराने लोगों से शिक्षा हासिल की है। वहां पर कूड़े का डंप 15 सालों से बना दिया गया था। डंप को तमाम शिकायतों के बाद भी नहीं हटाया जा रहा था।
इसे लेकर स्कूली बच्चों व टीचरों सहित आसपास के लोगाें ने सैकड़ों बार नेताओं व अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काटे। इसके बाद भी कूड़े का डंप स्कूल के पास से नहीं हटाया गया। एक दिन मैं उधर से निकल रहा था तो मैने देखा। अखबारों में भी कई बार खबरें प्रकाशित हो चुकी थीं। मैने आरटीआइ का सहारा लिया और संबंधित विभागों तथा अधिकारियों से जवाब मांगने शुरू किए।
लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार वह दिन आ गया जब कूड़े का डंप नगर निगम को वहां से हटाना पड़ा। पंजाब में अभी भी आरटीआइ एक्ट को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। यह गलत है। देश के किसी भी राज्य में किसी भी विभाग के पास आन लाइन आरटीआइ डालने के बाद सूूचना मिलती है, लेकिन पंजाब में एेसा नहीं है। सरकार को इसे भी गंभीरता से लेना चाहिए, जिससे लोगों को आन लाइन ही आरटीआई डालने की सुविधा मिले और विभाग उन्हें जानकारी उपलब्ध करवाएं। अब मेरी आगे हकी लड़ाई यही है।
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जालंधर के लोग सबसे अच्छे
संजय सहगल बताते हैं कि जालंधर के लोग सबसे अच्छे हैं। एक दूसरे का मामन सम्मान करते हैं। वातावरण अच्छा है। जालंधर विकास की गति पकड़ रहा है। छोटा शहर है सबकुछ पास में है। आसानी के साथ आज 15 से 20 मिनट में शहर के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच सकते हैं। जालंधर ने देश को प्रधानमंत्री बी दिया है। मेरा मानना है कि विकास को लेकर संबंधित अफसरों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
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राष्ट्रीय एकता के लिए युवाओं को एक होना जरूरी
युवाओं को लेकर संजय ने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए युवाओं का एक होना जरूरी है। वह यहीं रहकर सबकुछ हासिल कर सकते हैं। जिस प्रकार से युवाओं में विदेश जाने का क्रेज बढ़ रहा है वग गलत है। युवाओं को रोजाना यह सोचना चाहिए कि वह समाज को क्या दे रहे हैं।
रात को सोने से पहले एक बार जरूर सोचें कि आज उन्होंने समाज के लिए क्या किया। समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी निभाए। युवाओं को आरटीआइ एक्ट के इस्तेमाल को लेकर गंभीर होना पड़ेगा। बुजुर्ग आज भी आरटीआइ डालने से परहेज करते हैं। इसकी जिम्मेवारी युुवाओं को लेनी चाहिए।