जरा संभल कर! शाम छह से तड़के तीन बजे तक खून की प्यासी रहती हैं यह सड़कें Jalandhar News
शाम छह बजे से तड़के तीन बजे तक शहर की सड़कें खून की प्यासी हो जाती है। ये हम नहीं कह रहे आंकड़े बयां कर रहे हैं।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। शाम छह बजे से तड़के तीन बजे तक शहर की सड़कें खून की प्यासी हो जाती है। ये हम नहीं कह रहे आंकड़े बयां कर रहे हैं। कमिश्नरेट पुलिस के एरिया में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा 54 फीसद मौतें इसी समय के दौरान हुई हैं। वहीं रविवार, मंगलवार व बुधवार सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। 48 फीसद सड़क हादसे इन्हीं तीन दिन में हुए हैं।
हफ्ते के अन्य दिनों के मुकाबले इन तीन दिनों में औसतन 20 से 30 फीसद ज्यादा हादसे होते हैं। यह चिंताजनक सच्चाई उजागर हुई है पंजाब सरकार के ट्रैफिक एडवाइजर की जालंधर पुलिस कमिश्नरेट एरिया में सड़क हादसों की स्थिति के बारे में तैयार की रिपोर्ट में। रिपोर्ट को ट्रैफिक एडवाइजर की टीम ने जालंधर कमिश्नरेट एरिया में 2016 से 2018 के सड़क हादसों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद तैयार किया है। मंगलवार को पुलिस कमिश्नर नौनिहाल सिंह की मौजूदगी में इस रिपोर्ट को रिलीज किया जाएगा।
यह हैं चिंताजनक आंकड़े
हर माह नौ मौतें पिछले तीन साल में औसतन हर माह हादसों में नौ लोगों की मौत हो रही है। 2016 में 124, 2017 में 110 व 2018 में 109 मौतें हुई। ओवरऑल पंजाब में सड़क हादसों में मौतों का ग्राफ छह फीसद बढ़ा है सड़क हादसों में मौतों पर प्रति मिलियन (10 लाख) के पीछे जालंधर देश में 148वें नंबर पर है जबकि पंजाब में 12वें नंबर पर है।
नेशनल 'डेथ' हाईवे : एक किमी पर चार मौतें
शहर से गुजरने वाला 42 किमी नेशनल हाईवे मौत का हाईवे बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसों में 93 फीसद मौतें नेशनल हाईवे व निगम की सड़कों पर हुई हैं। जिसमें 59 फीसद मौतें अकेले नेशनल हाईवे पर हुई हैं। 34 फीसद मौतें निगम की सड़कों पर हुई हैं। पिछले तीन साल के आंकड़ें देखें तो हाईवे के प्रति किलोमीटर में सड़क हादसे में चार लोगों की मौत हुई है। जोकि राज्य के औसत से चार गुना ज्यादा है।
ओवरस्पीड, रफ ड्राइविंग मुख्य वजह, पांच थाने अति संवेदनशील
हादसों की वजह ओवरस्पीड और रफ ड्राइविंग है। जिनकी वजह से सबसे ज्यादा हादसे व उनमें मौतें हुई हैं। पांच थानों के एरिया को सड़क हादसों के लिहाज से अति संवेदनशील माना गया है। जिनमें थाना डिवीजन एक, डिवीजन आठ, रामामंडी, जालंधर कैंट व सदर शामिल हैं। जहां 73 फीसद मौतें हुई हैं।
इन छह माह में 35 फीसद तक बढ़ी मौतें
सड़क हादसों व मौतों के लिहाज से फरवरी, मार्च, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इन महीनों में प्रति माह नौ मौतों के मुकाबले सड़क हादसे में मौतों में 25 से 35 फीसद तक बढ़ोत्तरी हो जाती है। हादसों में पुरुष ज्यादा मरे सड़क हादसों में मरने वाले पुरुष ज्यादा हैं। पिछले तीन सालों में सड़क हादसों में मरने वाले 260 लोगों में 85 फीसद पुरुष हैं जबकि 15 फीसद महिलाएं हैं। तीन साल में हादसों के कारण 366 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ है।
एक्सपर्ट व्यू
किसी जगह पर एक बार सड़क हादसा होना मानवीय गलती हो सकती है, लेकिन बार-बार एक ही जगह पर हादसे होना स्पष्ट तौर पर रोड इंजीनियरिंग का फॉल्ट है। शहरी एरिया में आते नेशनल हाईवे के हिस्से की स्थिति ज्यादा खराब है। दोपहिया वाहन वालों की मौतों के पीछे बड़ा कारण हेलमेट न पहनना है। वहीं, साइकिलिस्ट व पैदल की मौत की वजह फुटपाथ व दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर न होना है। दोपहिया वाहन वालों के लिए हेलमेट की इंफोर्समेंट होनी चाहिए। साइकिल व पैदल वालों के लिए फुटपाथ व इंफ्रा दुरुस्त करने की जरूरत है। नेशनल हाईवे को तुरंत ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करना होगा। वहीं, स्मार्ट सिटी के तहत सड़क हादसों में मौतों वाली जगहों को सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिए। - नवदीप असीजा, ट्रैफिक एडवाइजर, पंजाब सरकार
सावधान! ये हैं 21 ब्लैक स्पॉट
फेयर फार्म रिजॉर्ट, वेरका मिल्क प्लांट अंडरब्रिज, वाई-प्वाइंट भगत सिंह कॉलोनी, टी-प्वाइंट, जिंदा रोड, ज्योति चौक, शीतल नगर, मकसूदां, टैगोर हॉस्पिटल, गढ़ा रोड सामने जवाहर नगर बस स्टैंड, चुनमुन चौक, बूटा सिंह बिल्डिंग मैटीरियल स्टोर, पठानकोट चौक, लंबा पिंड चौक, टी प्वाइंट सुच्ची पिंड, रेड़ू, टी प्वाइंट हिल व्यू कॉलोनी कालिया कॉलोनी, सामने जेसी रिजॉर्ट, पीएपी चौक, सामने मोदी रिजॉर्ट, धन्नोवाली रोड, रामा मंडी चौक, दकोहा फाटक, अवतार नगर।
क्या होता है ब्लैक स्पॉट
सड़क के किसी भी 500 मीटर के हिस्से में जहां पांच या इससे ज्यादा गंभीर सड़क हादसे या जिनमें मौत हुई हो या तीन सालों में दस लोगों की मौत हुई हो, उन्हें ब्लैक स्पॉट कहा जाता है।