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आखिरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही बना हाईवे का तारणहार, पानीपत से लेकर जालंधर तक हो रही है खुदाई

जालंधर-पानीपत हाईवे के साथ बनाया गया ड्रेन कहीं भी कनेक्ट न होने की वजह से बारिश के पानी की निकासी नहीं हो पा रही थी। प्रोजेक्ट शुरू होने के 12 वर्ष बाद तक प्रत्येक बरसात के बाद हाईवे पर खड़ा होने वाला पानी भयंकर समस्या उत्पन्न कर देता है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 09:54 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:54 AM (IST)
आखिरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही बना हाईवे का तारणहार, पानीपत से लेकर जालंधर तक हो रही है खुदाई
जालंधर पानीपत हाईवे पर स्थापित किया जा रहा है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।

जासं, जालंधर। एक दशक से भी ज्यादा लंबे अंतराल के बाद आखिरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही जालंधर-पानीपत सिक्स लेन हाईवे को बरसात के पानी में डूबने से बचाएगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की तरफ से हाईवे के साथ-साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी गई है।

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हाईवे के साथ बनाया गया ड्रेन कहीं भी कनेक्ट न होने की वजह से बारिश के पानी की निकासी नहीं हो पा रही थी। प्रोजेक्ट शुरू होने के 12 वर्ष बाद तक प्रत्येक बरसात के बाद हाईवे पर खड़ा होने वाला पानी भयंकर समस्या उत्पन्न कर देता है। यह राहगीरों के अलावा हाईवे को भी नुकसान पहुंचा रहा है। एनएचएआइ अंबाला के पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर विपन शर्मा ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए बारिश के पानी की निकासी शुरू करवाने का एक्सपेरिमेंट किया गया था, जो सफल रहा था। हालांकि उनके तबादले के बाद यह प्रक्रिया भी ठप होकर रह गई थी।

बारिश के पानी की निकासी का कोई अन्य रास्ता न निकलता देख एनएचएआई की तरफ से 291.9 किलोमीटर लंबे पानीपत-जालंधर हाईवे के साथ बने ड्रेन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए खुदाई करवाई जा रही है। अधिकतर जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित हो चुके हैं और अब जालंधर में खुदाई का काम जारी है। कुछ ही दिनों में यह बनकर तैयार हो जाएगा और राहगीरों और वाहन चालकों को बरसात में जमा होने वाले पानी से छुटकारा मिलेगा। 

हर बार बरसात में उठानी पड़ती है परेशानी

बता दें कि जालंधर-पानीपत हाईवे पर बरसात में पानी की निकासी का सही प्रबंध न होने के कारण हर साल आसपास रहने वाले लोगों और वाहन चालकों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। मुख्य कारण यह है कि हाईवे की ड्रेन को कहीं भी निकाली नहीं दी गई है। इस कारण जरा सी बौछार में सड़क पर पानी जमा हो जाता है।

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