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कांग्रेस के चुनाव प्रचार में जान नहीं फूंक पाया राहुल का दौरा

राहुल गांधी का जालंधर दौरा व वर्चुअल रैली चुनाव प्रचार में जान फूंक पाने में सफल नहीं हो पाया। खराब मौसम के चलते लेट हुए राहुल गांधी के साथ कांग्रेसी उम्मीदवारों का पूरा दिन निकल गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 11:58 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 11:58 PM (IST)
कांग्रेस के चुनाव प्रचार में जान नहीं फूंक पाया राहुल का दौरा
कांग्रेस के चुनाव प्रचार में जान नहीं फूंक पाया राहुल का दौरा

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर

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राहुल गांधी का जालंधर दौरा व वर्चुअल रैली चुनाव प्रचार में जान फूंक पाने में सफल नहीं हो पाया। खराब मौसम के चलते लेट हुए राहुल गांधी के साथ कांग्रेसी उम्मीदवारों का पूरा दिन निकल गया। इसके चलते सभी उम्मीदवार अपने-अपने विधानसभा हलकों में पूरा दिन चुनाव प्रचार करने में कामयाब नहीं हो सके। वर्चुअल रैली को लेकर मतदाताओं में भी ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दिया, जिसके चलते इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक राहुल की पहुंच करवा पाने की कांग्रेस की तैयारी धरी रह गई। उधर रैली स्थल पर सिर्फ 250 लोगों की मंजूरी चुनाव अधिकारी की तरफ से दी गई थी। इसके चलते विभिन्न विधानसभा हलकों के दिग्गज कांग्रेसियों को भी रैली स्थल में प्रवेश नहीं करने दिया गया। राहुल गांधी को सुनने के लिए व उनसे मिलने के लिए जो कांग्रेसी पहुंचे थे, उन्हें बैरंग वापस भेज दिया गया। इससे कांग्रेसियों में खासी निराशा भी है। 250 लोगों में उम्मीदवारों के अलावा तमाम प्रमुख नेता ही शामिल थे। इसके चलते दूसरी लाइन के कांग्रेसियों में उत्साह नहीं दिखाई दिया। केपी की उम्मीदें जगा गए राहुल, बोले-एम विद यू

टिकट कटने के बाद बगावत पर उतारू कांग्रेस के मोहिदर सिंह केपी की उम्मीदें राहुल गांधी अपने दौरे में जगा गए। व्हाइट डायमंड रिसोर्ट में पहुंचने के बाद राहुल गांधी ने केपी के साथ विशेष तौर पर मुलाकात की। इतना ही नहीं जब राहुल मंच पर पहुंचे, तब भी उन्होंने केवल केपी से ही हाथ मिलाया। केपी राहुल के गले भी लगे और राहुल के कान में केपी ने टिकट कटने को लेकर कहा कि एम ओनली विद यू (मैं कांग्रेस के साथ नहीं, सिर्फ आपके साथ हूं)। इसके जवाब में राहुल ने भी केपी से कहा डोंट वरी, एम विद यू। केपी और राहुल की इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। उम्मीद है कि शुक्रवार तक केपी के मामले को लेकर पार्टी कोई न कोई फैसला जरूर ले लेगी। केपी को उम्मीद थी कि उनके रिश्तेदार मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी उनका मामला राहुल के सामने रखेंगे, लेकिन चन्नी मुख्यमंत्री चेहरे की लड़ाई में ही व्यस्त रहे। नतीजतन केपी ने रैली स्थल पर बाकी उम्मीदवारों से पहले पहुंचकर अपनी रणनीति तय कर मोर्चेबंदी कर ली थी, जिसका फायदा भी केपी को मिला। परगट का कद बड़ा लेकिन वोट बढ़ेगा या नहीं!

कांग्रेस की तरफ से इस बार विधानसभा चुनाव में अभी तक हुए सारे बड़े कार्यक्रम व रैलियां खेल व शिक्षा मंत्री परगट सिंह के हलके में ही आयोजित किए गए। इसका लाभ परगट सिंह को मिलेगा या नहीं, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे। वीरवार को राहुल गांधी की वर्चुअल रैली भी परगट के हलके में ही आयोजित की गई थी। इससे उम्मीद की जा रही है कि इसका लाभ बाकी उम्मीदवारों को हो या न हो, परगट सिंह को जरूर इसका लाभ मिल सकता है लेकिन रैली के आयोजन को लेकर आसपास की कालोनियों के लोगों के जाम में फंसने से लेकर दिनभर हुई असुविधा का मुद्दा भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। चुनाव आचार संहिता की उड़ी धज्जियां, सरकारी प्रापर्टी का इस्तेमाल चुनाव रैली में किया

राहुल के रैलीस्थल से तीन किलोमीटर पहले से ही सरकारी प्रापर्टी से लेकर तमाम सार्वजनिक स्थलों तक का इस्तेमाल कांग्रेस की तरफ से चुनाव प्रचार सामग्री के लिए किया गया। यहां तक कि बिजली के खंभों व तारों पर कांग्रेस ने झंडे, बैनर व अन्य प्रचार सामग्री लगा रखी थी। इसका संज्ञान भी चुनाव अधिकारी की तरफ से लिया गया है, लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है। उम्मीद है कि वीडियोग्राफी देखने के बाद चुनाव अधिकारी की तरफ से कार्रवाई की जाएगी। बिना संगठन के चुनाव कैसे जीतेंगे

कांग्रेसी नेता संजय सहगल ने राहुल गांधी सहित कांग्रेस को इंटरनेट मीडिया के जरिए यह सवाल उठाकर जवाब मांगा है कि बिना संगठन के पार्टी चुनाव कैसे जीतेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब में सिर्फ जिला प्रधानों की ताजपोशी चुनाव से एन पहले की जा सकी है, जबकि जिला स्तर पर संगठन का गठन ही नहीं किया जा सका है। इसके चलते तमाम कार्यकर्ता कांग्रेस के प्रचार के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इन हालातों में पार्टी चुनाव जीतने का सपना किस आधार पर देख रही है। चुनाव के लिए पार्टी ने स्थानीय नेताओं को किनारे करके दूसरे राज्यों से नेताओं की ड्यूटी लगा रखी है।


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