National Sports Day: हाकी के उभरते खिलाड़ियों को खिलाए 3 क्विंटल बादाम, पंजाब में इस तरह तैयार हो रही नई पौध
जालंधर के सुरजीत हाकी स्टेडिमय में 125 दिनों तक चले ट्रेनिंग कैंप में 200 से ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया। उनके आहार का विशेष ध्यान रखा गया। बच्चों को भरपूर मात्रा में बादाम दिए जाने के कारण यह कैंप बादामां वाला कैंप के नाम से मशहूर हो गया।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ियों में एक स्व. सुरजीत सिंह की याद को हमेशा जीवित रखने के लिए सुरजीत हाकी अकादमी और स्टेडियम बनाया गया है। पंजाब से एक और 'सुरजीत' निकले, इसके लिए पीसीएस अधिकारी इकबाल सिंह ने अपनी रिटायर्ड जिंदगी हाकी को समर्पित कर दी है। इकबाल सिंह बड़े गर्व से बताते हैं कि हाल ही में अकादमी ने 125 दिनों तक चलने वाले हाकी कोचिंग कैंप का समापन किया। यहां हर खिलाड़ी को भीगे हुए बादाम (लगभग 3 क्विंटल) सहित सर्वश्रेष्ठ आहार दिया गया। इस शिविर को अब पूरे भारत में 'बादामां वाला कैंप' के रूप में जाना जाता है। अकादमी ने खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके मिसाल कायम की है।
रिटायर्ड पीसीएस अफसर इकबाल सिंह ने हाकी को समर्पित किया जीवन
हाकी को बढ़ावा देने और नवोदित खिलाड़ियों के बीच नए "सुरजीत" का पता लगाने को सुरजीत हाकी अकादमी में इकबाल सिंह ने कोविड-19 महामारी के दौरान 5 खिलाड़ियों के साथ अपनी प्रशिक्षण गतिविधियों की शुरुआत की। आज युवा खिलाड़ियों की संख्या 250 से अधिक जा पहुंची है। 14 और 19 वर्ष से कम आयु के खिलाड़ियों को द्रोणाचार्य अवॉर्डी ओलंपियन राजिंदर सिंह अकादमी के मुख्य कोच, दविंदर सिंह, यादविंदर सिंह जॉनी, अवतार सिंह पिंका (सभी कोच) जैसे विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहे हैं। अकादमी सभी खिलाड़ियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देती है। बच्चों को हाकी उपकरण भी निःशुल्क दिए जाते हैं। इकबाल सिंह सूरज उगने से पहले हाकी स्टिक लेकर स्टेडियम पहुंच जाते हैं और दिन ढले ट्रेनिंग गतिविधि खत्म होने के बाद ही लौटते हैं।
युवा खिलाड़ियों को सुविधाओं के साथ उपयुक्त ट्रेनिग जरूरी
इकबाल सिंह ने कहा कि हाकी ने देश को और खिलाड़ियों को दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलाई है। युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी है कि उन्हें सुविधाएं दी जाएं, उपयुक्त ट्रेनिंग दी जाए। एक सुरजीत ने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा के बल पर देश का और पंजाब का नाम रोशन किया था। अगर हम युवा पीढ़ी में ऐसे सुरजीत ढूंढ़ लेने में सफल रहते हैं तो फिर देश में हाकी का भविष्य हर हाल में स्वर्णिम ही होगा।
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