Punjab Politics : बसपा नेतृत्व के गले की फांस बन रहा सीटों का बंटवारा, कैडर आधार वाली सीटें न मिलने से असंतुष्ट
पंजाब में शिअद के साथ किए समझौते के तहत मिली सीटों को लेकर बसपा नेतृत्व कैडर के निशाने पर हैं। बसपा कैडरों का आरोप है कि बसपा की तरफ से समझौते के तहत उन सीटों को छोड़ दिया गया है जिन पर बसपा का आधार है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ किए गए समझौते के तहत मिली सीटों को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेतृत्व कैडर के निशाने पर है। कैडर की तरफ से सीट आवंटन को लेकर भारी असंतुष्टि जाहिर की जा रही है और आरोप यह लगाया जा रहा है कि बसपा की तरफ से समझौते के तहत उन सीटों को छोड़ दिया गया है, जिन पर बसपा का आधार है और विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार कड़ी चुनौती देने में सक्षम हैं।
कैडर का असंतोष इस कदर बढ़ा है कि अब सार्वजनिक तौर पर ही सीटों के बंटवारे को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं और विरोध भी जताया जाने लगा है। पहले आदमपुर, फिर जालंधर स्थित पार्टी कार्यालय और उसके बाद फिल्लौर में बसपा कैडर की तरफ से पार्टी नेतृत्व का कड़ा विरोध किया जा रहा है। जालंधर से पार्टी कार्यालय में तो शनिवार प्रदेश प्रभारी रणधीर सिंह बेनीवाल और राज्य अध्यक्ष जसवीर सिंह गढी की उपस्थिति में ही भारी विरोध हुआ। हालांकि पार्टी नेतृत्व की तरफ से इस विरोध को तवज्जो नहीं दी जा रही है और फिलहाल इस विरोध को दबाने की ही कोशिश की जा रही है।
टकसाली बसपाईयों का कहना है कि चाहे हाईकमान कैडर के विरोध को दबाने में लगा हुआ है, लेकिन नतीजे सबके सामने होंगे। जो सीटें समझौते के तहत बसपा ने ली हैं, उनमें से अधिकतर पर जीत पाना संभव नहीं है। यह बरसों की मेहनत को खराब करने वाली बात है। पार्टी हाईकमान को इसके ऊपर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए जिन पर बसपा का आधार है।
यह भी पढ़ें- अकाली दल नेता विक्रम मजीठिया पहुंचे खटकड़कलां, शहीद-ए-आजम भगत सिंह को किया नमन