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एक भाई कांग्रेस प्रत्‍याशी और दूसरा भाजपा नेता, रहते साथ-साथ, बेहद अनोखी है बाजवा ब्रदर्स की कहानी

Punjab Chunav 2022 गुरदासपुर जिले के कादियां विधानसभा क्षेत्र में एक ही घर से दो भाइयों की सियासी जंग देखने को मिल रही है। राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा को कांग्रेस ने कादियां से उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं निवर्तमान विधायक फतेहजंग अब भाजपा में शामिल हो गए हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 05:11 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:40 AM (IST)
एक भाई कांग्रेस प्रत्‍याशी और दूसरा भाजपा नेता, रहते साथ-साथ, बेहद अनोखी है बाजवा  ब्रदर्स की कहानी
प्रताप सिंह बाजवा और उनके भाई फतेहजंग बाजवा।

परमवीर ऋषि, बटाला (गुरदासपुर)। कहते हैं कि राजनीति अपनों को दूर कर देती है लेकिन पंजाब के कादियां विधानसभा हलके में दो सगे भाई एक ही घर में रहकर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। यहां राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और उनके भाई निवर्तमान विधायक फतेहजंग बाजवा के बीच सियासी जंग में जो कुछ देखने को मिल रहा है, वह अपने आप में अनोखा है। फतेहजंग बाजवा अब भाजपा में शामिल हो गए हैं जबकि भाई प्रताप सिंह बाजवा को कांग्रेस ने कादियां से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। फतेहजंग को भी भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद है।

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दोनों भाई अपने हवेलीनुमा पुश्तैनी एक ही घर में रहते हैं। लोगों की समस्याएं सुनने के लिए बने वेटिंग हाल को प्रताप और फतेहजंग बाजवा, दोनो इस्तेमाल करते हैं। एक ही दीवार पर दोनों की कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं के साथ फोटो भी टंगी हुई है। घर के ऊपर कांग्रेस और भाजपा, दोनों के झंडे लगे हुए हैं। दोनों भाई अपनी-अपनी पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाकर बैठे हैं। 

गुरदासपुर जिले के कादियां में स्थित बाजवा भाइयों का पुश्तैनी घर। जागरण

कादियां के इस हवेली नुमा घर को उनके पिता स्व. सतनाम सिंह बाजवा ने बनाया था। उस दौरान वे कांग्रेस के सक्रिए सदस्यों में से एक थे। इस घर में कांग्रेस के कई आला नेता प्रणब मुखर्जी, गुलाम नबी आजाद, दरबारा सिंह, बीबी भट्ठल, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तक खाना खाने आ चुके हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि इस घर और घराने का कांग्रेस में क्या महत्व हो सकता है।

कादियां के लोग बोले- दोनों भाइयों का अलग पार्टी में होना ठीक नहीं

हालांकि हलका कादियां के रहने वाले कुछ लोग राजनीति के लिहाज से दोनों भाइयों के विरोधी पार्टियों में जाने के फैसले को अच्छा नहीं मान रहे। हलके के बहुत से लोग बाजवा परिवार के साथ बाप-दादाओं के जमाने से चले आ रहे हैं। लोग परिवार रिश्ते की अहमियत रखते हुए दोनों भाइयों को एक-दूसरे के विरोध में ना जाने के लिए सलाह भी दे रहे हैं।

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