खेल नगरी जालंधर में खेल से खिलवाड़, पांच साल में हाकी खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फ नहीं दे सकी सरकार
जालंधर को हाकी का मक्का-मदीना कहा जाता है। जिस नर्सरी से हाकी चैंपियन निकलते हैं उस सुरजीत हाकी एकेडमी को चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को आज भी एस्ट्रोटर्फ का इंतजार है। कांग्रेस सरकार के पांच साल गुजर गए लेकिन टर्फ नहीं बदली जा सकी।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। पूरी दुनिया में जालंधर खेल नगरी के नाम से अपनी अलग पहचान रखता है। खेल उद्योग के साथ-साथ यहां राष्ट्रीय खेल हाकी की नर्सरी भी विश्व प्रसिद्ध है। जालंधर को हाकी का मक्का-मदीना भी कहा जाता है। यहां के संसारपुर गांव ने 14 ओलंपियन दिए हैं। टोक्यो ओलंपिक में जालंधर के चार खिलाड़ियों (कप्तान मनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, मनदीप सिंह और हार्दिक सिंह) ने देश को हाकी में 41 साल बाद पदक दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी। उनके जालंधर आने पर शानदार स्वागत भी किया गया था। शहरवासियों ने उन्हें पलकों पर बैठा कर विजय यात्रा निकाली थी। जिस नर्सरी से हाकी चैंपियन निकले थे, उस सुरजीत हाकी एकेडमी को चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को आज भी एस्ट्रोटर्फ का इंतजार है। कांग्रेस सरकार के पांच साल गुजर गए लेकिन टर्फ नहीं बदली जा सकी।
विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले जालंधर में आयोजित हाकी प्रतियोगिता में हाकी खिलाड़ियों को लुभाने व अपनी एक अलग इमेज बनाने के लिए ओलंपियन व खेल मंत्री परगट सिंह तथा मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने प्रतियोगिता में अपने खेल का भी प्रदर्शन किया था। बेशक उस समय इन्हें सेना के हाकी मैदान में खेलते हुए तमाम खेल प्रेमियों में उम्मीद की किरण जगी थी कि अब मंत्री व मुख्य़मंत्री भी खिलाड़ी हैं और खेलों से प्रेम करते हैं। उन्हें एस्ट्रोटर्फ की उम्मीद थी लेकिन अब वह उम्मीद की किरण धूमिल हो रही है।
टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद जालंधर आने पर कप्तान मनप्रीत, मनदीप सिंह, वरुण कुमार और हार्दिक सिंह की शानदार स्वागत किया गया था।
हाकी नर्सरी संसारपुर में भी खिलाड़ी घास पर खेलने को विवश
जालंधर कैंट से सटे संसारपुर का भी बुरा हाल है। यहां रोजाना दर्जनों खिलाड़ी हाकी की नर्सरी में प्रशिक्षण लेने आते हैं, लेकिन घास के मैदान पर खेलने को विवश हैं। हर बार चुनाव में खेल को लेकर यह बड़ा मुद्दा होता है। सियासी दल एस्ट्रोटर्फ उपलब्ध करवाने की घोषणा करते हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होने के बाद खेल व खिलाड़ियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। यह स्थिति तब है, जब इसी हलके से पूर्व ओलंपियन व पद्मश्री परगट सिंह खेल मंत्री हैं। परगट सिंह दो बार से जालंधर कैंट के विधायक रहे हैं। इस बार भी वह चुनावी मैदान में हैं, लेकिन वह हाकी खिलाड़ियों को कैसे समझा पाएंगे, इसका जवाब वही दे सकते हैं।
पिछले दिनों आर्मी स्टेडियम में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (गोलकीपर) के साथ शिक्षा एवं खेल मंत्री परगट सिंह।
जालंधर कैंट विधानसभा हलके से दो ओलंपियन मैदान में
विधानसभा चुनाव में इस हलके में इस बार रोचक मुकाबला भी होना है क्योंकि आम आदमी पार्टी से भी पूर्व ओलंपियन सुरिंदर सिंह सोढी को मैदान में उतारा हैं। परगट सिंह ने इसी हलके से वर्ष 2012 में अपना सियासी करियर शुरू किया था। 650 घरों वाले संसारपुर गांव को देश के बंटवारे के बाद कुलार परिवार ने बसाया था। इस गांव में ज्यादातर परिवार कुलार जाति से ही संबंधित हैं।
जालंधर से ये हाकी ओलंपियन देश के लिए खेले
गुरमीत सिंह कुलार
हरदेव सिंह कुलार
बलबीर सिंह कुलार
तरसेम सिंह कुलार
हरदेव सिंह कुलार
दर्शन सिंह कुलार
जगजीत सिंह कुलार
ऊधम सिंह कुलार
बिंदी कुलार
गुरदेव सिंह कुलार
बलबीर सिंह कुलार-2
अजीत पाल सिंह कुलार
हरविंदर सिंह कुलर
हरदियान सिंह कुलार