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Punjab Election 2022: जालंधर की चार सीटों पर सजा चुनावी मैदान, अब होगा घमासान

Punjab Vidhan Sabha Election 2022 जालंधर की नौ विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। आज से इन चारों सीटों पर उम्मीदवारों का घमासान भी शुरू हो जाएगा। सबसे पहले उम्मीदवारों को मैदान में शिअद ने उतारा था।

By Vinay KumarEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 09:22 AM (IST)
Punjab Election 2022: जालंधर की चार सीटों पर सजा चुनावी मैदान, अब होगा घमासान
Punjab Vidhan Sabha Election 2022 जालंधर की चार सीटों पर सभी पार्टियों ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं।

जागरण संवाददाता, मनोज त्रिपाठी। जालंधर की नौ विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही इन चारों सीटों पर अब उम्मीदवारों से चुनावी मैदान सज चुका है। आज से इन चारों सीटों पर उम्मीदवारों का घमासान भी शुरू हो जाएगा। सबसे पहले उम्मीदवारों को मैदान में शिरोमणि अकाली दल ने उतारा था। उसके बाद आम आदमी पार्टी, फिर कांग्रेस तथा शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने चारों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जालंधर की नार्थ, सेंट्रल, वेस्ट तथा फिल्लौर में उम्मीदवारों ने नामांकन के लिए पंडितों की शरण लेनी भी शुरू कर दी है।

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जालंधर नार्थ

भाजपा से केडी भंडारी इस सीट से चौथी बार चुनाव मैदान में उतरेंगे। इससे पहले दो बार भंडारी चुनाव जीत चुके हैं। 2017 का चुनाव भंडारी जूनियर हैनरी से हार गए थे। इस बार पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया है। इस सीट से भाजपा की तरफ से उपप्रधान राकेश राठौर, पूर्व मेयर सुनील ज्योति मुख्य रूप से दावेदारों में शामिल थे। भंडारी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सभी को मनाकर एक साथ लेकर चलना होगा। कांग्रेस से इस सीट पर बावा हैनरी उर्फ जूनियर हैनरी दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले तीन बार तीन बार अवतार हैनरी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। हैनरी पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि पांच साल विधायक रहने के दौरान तमाम काम व कांग्रेस के माहौल के चलते हैनरी को इस बार जोर लगाना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी से इस सीट पर दो बार पार्षद रह चुके दिनेश ढल्ल काली चुनावी मैदान में हैं। काली इससे पहले कांग्रेस में सक्रिय नेता थे और अवतार हैनरी के दाएं हाथ के रूप में अपनी पहचान रखते थे। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद हैनरी और काली में खटक गई थी। उसके बाद से काली लगातार हैनरी का विरोध करते हुए इस सीट से कांग्रेस से टिकट की मांग करते आ रहे थे। इस सीट से अकाली दल व बसपा के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप ङ्क्षसह लुबाना चुनाव मैदान में हैं। लुबाना की पत्नी पार्षद हैं। लुबाना खुद भी अकाली दल के खेमे के माने जाते हैं। लुबाना से पहले इस सीट पर बसपा ने एक और उम्मीदवार को मैदान में उतारा था, लेकिन बीते दिनों बहन मायावती की तरफ से फाइनल रूप से लुबाना को चुनाव मैदान में उतारा गया है।

जालंधर सेंट्रल

भारतीय जनता पार्टी से इस सीट पर पांच बार पहले विधानसभा चुनाव लड़ चुके अनुभवी उम्मीदवार मनोरंजन कालिया चुनाव मैदान में हैं। कालिया को यह सीट विरासत में उनके पिता मनमोहन कालिया से मिली थी। मनमोहन कालिया इसी सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। कालिया अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। इस सीट पर कालिया तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस से इस सीट पर मौजूदा विधायक राजिंदर बेरी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। बेरी 2012 में कुछ वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। उससे पहले वे तीन बार पार्षद रह चुके हैं। उनकी पत्नी उमा बेरी मौजूदा पार्षद भी हैं। बेरी इस बार अंतिम समय में सरकार की कैबिनेट में भी शामिल किए जाने थे, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें जगह नहीं मिली। अकाली-बसपा से इस सीट पर चंदन ग्रेवाल चुनावी मैदान में हैं। चंदन इससे पहले करतारपुर से आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। नगर निगम के मुलाजिमों की यूनियन से अपनी सियासत शुरू करने वाले चंदन जमीनी नेताओं में शामिल हैं। चंदन अपने परिवार में पहली पीढ़ी के नेता हैं जो दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। सुखबीर बादल ने उन्हें इस बार विशेष रणनीति के तहत सेंट्रल से उम्मीदवार बनाया है।

आम आदमी पार्टी से कारोबारी रमन अरोड़ा इस बार चुनाव मैदान में हैं। रमन अरोड़ा भी पहली बार किसी बड़े सियासी दल से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो महीने जालंधर दौरे के दौरान रमन अरोड़ा से मुलाकात कर उन पर भरोसा जता दिया था।

जालंधर वेस्ट

इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी बार मोहिंदर भगत को चुनाव मैदान में उतारा है। भगत भी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके पिता भगत चूनी लाल इससे पहले चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और इसी सीट से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। 2007 से 2012 की अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार में भगत चूनी लाल कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। मोहिंदर पहला चुनाव सुशील रिंकू से हार गए थे। कांग्रेस से इस सीट पर मौजूदा विधायक सुशील रिंकू दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। इससे पहले रिंकू के पिता बाबू राम लाल इसी सीट में स्थित वार्ड से दो बार पार्षद रह चुके हैं। एक बार रिंकू की माता पार्षद रह चुकी हैं और दो बार उनकी पत्नी पार्षद रह चुकी हैं। रिंकू को यह सीट मोहिंदर सिंह केपी का टिकट काटकर दी गई थी, जिसे उन्होंने कांग्रेस की झोली में भाजपा से छीनकर डाला था। आम आदमी पार्टी ने इस सीट से शीतल अंगुराल को उम्मीदवार बनाया है। शीतल पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं। वेस्ट हलके के चर्चित युवा नेताओं में शामिल शीतल आम आदमी पार्टी में आने से पहले भाजपा में थे और भाजपा के सक्रिय नेताओं में जाने जाते थे, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने टिकट न मिलता देख पाला बदल लिया। बसपा-अकाली दल से इस सीट से अनिल मीनिया को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बहन मायावती से आशीर्वाद न मिल पाने के कारण इस सीट पर मीनिया के अलावा कोई दूसरा उम्मीदवार भी एक-दो दिनों में नजर आ सकता है। फिलहाल मीनिया अपनी तरफ से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और खुद को बसपा का उम्मीदवार मानकर युद्धस्तर पर चुनावी तैयारियां कर रहे हैं।

फिल्लौर हलका

फिल्लौर से इस बार भारतीय जनता पार्टी व अकाली दल संयुक्त के उम्मीदवार सरवण सिंह फिल्लौर मैदान में हैं। फिल्लौर अपना आठवां चुनाव लड़ रहे हैं। फिल्लौर छह बार विधायक भी रह चुके हैं और मंत्री भी। शिरोमणि अकाली दल की टिकट से फिल्लौर इससे पहले चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन पिछले चुनाव में टिकट कटने के बाद उन्होंने अकाली दल को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिली तो उन्होंने अकाली दल संयुक्त का दामन थामा और नौवीं बार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमजीत सिंह चौधरी दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं। विक्रमजीत भी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। चौधरी परिवार से संबंधित विक्रमजीत के पिता चौधरी संतोख सिंह मौजूदा सांसद हैं और इनके चाचा दिवंगत चौधरी जगजीत सिंह पांच बार विधायक व मंत्री रह चुके हैं।

करतारपुर और फिल्लौर दो हलकों में कांग्रेस की तरफ से चौधरी परिवार का आजादी के बाद से कब्जा चला आ रहा है। अकाली-बसपा की तरफ से इस सीट पर मौजूदा विधायक बलदेव खैहरा तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। खैहरा पहले बहुजन समाज पार्टी का चेहरा हुआ करते थे। सुखबीर बादल ने उन्हें 2017 के चुनाव में अकाली दल में लाकर फिल्लौर में उतारा था और खैहरा ने जीत हासिल कर ली। इससे पहले भी इस सीट पर खैहरा अच्छे वोट हासिल करते रहे हैं। आम आदमी पार्टी से इस सीट पर प्रिंसिपल प्रेम कुमार चुनावी मैदान में हैं। प्रेम कुमार लगभग 10 सालों से आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। प्रेम कुमार विधानसभा के चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे पहले प्रेम कुमार संगठन के साथ जुड़कर जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम करते रहे हैं। संयुक्त समाज मोर्चा ने एडवोकेट अजय कुमार को उम्मीदवार बनाया है। पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। किसानों की वोट पर फोकस रहेगा। संयुक्त समाज मोर्चा सभी पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।


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