बड़ी राहतः निजी से सरकारी स्कूलों में आने वाले स्टूडेंट्स से नहीं मांगा जाएगा कोई सर्टिफिकेट
शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने प्रिंसिपल और स्कूल प्रमुखों को हिदायत दी है कि अगर प्राइवेट स्कूल की तरफ से एनओसी या टीसी नहीं दिया जाता तो भी वह बच्चे को एडमीशन दें।
जालंधर [अंकित शर्मा]। नो ड्यूज सर्टिफिकेट को लेकर परेशान हो रहे प्राइवेट स्कूलों को स्टूडेंट्स की तरफ शिक्षा विभाग ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। सीबीएसई स्कूलों ने आपसी सहमति से एक दूसरे स्कूल के बच्चों को बिना सर्टिफिकेट के दाखिला ना करने का फैसला लिया है तो विभाग ने बिना किसी सर्टिफिकेट के ही प्राइवेट स्कूलों के बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला करने की घोषणा कर दी है। बता दें कि प्राईवेट स्कूलों की तरफ से ड्यूज क्लियर ना करने पर बच्चे का ऑनलाइन क्लास से नाम काटने, एनओसी और ट्रांसफर सर्टिफिकेट ना देने की चेतावनी दी जा रही है।
शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने इसे लेकर जिला शिक्षा अधिकारियों और सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल और स्कूल प्रमुख को साफ तौर पर हिदायतें देकर कह दिया है कि अगर प्राइवेट स्कूल की तरफ से एनओसी या ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता तो भी वह बच्चे को स्कूल में दाखिल करें। बच्चे से किसी प्रकार का सर्टिफिकेट नहीं मांगा जाएगा। स्कूल मुखी अपनी तसल्ली अनुसार बच्चे का दाखिला करें। इसके अलावा जो प्राइवेट स्कूल सर्टिफिकेट नहीं देते उनके संबंधी जानकारी मुख्य दफ्तर के सहायक डायरेक्टर संजीव शर्मा या अपने अपने जिले के नोडल अफसर को भेजें। स्कूल मुखी इस बात का भी ध्यान रखें कि जिन बच्चों के जन्म सर्टिफिकेट आदि डिजिलॉकर से मिल जाते हैं, उन्हें सर्टिफिकेट लाने के लिए दबाव ना डालें।
कासा ने 2 सितंबर को बैठक कर लिया था फैसला
कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों में फीसों का मुद्दा चल रहा है। अभिभावक भी फीस जमा करवा पाने में असमर्थ हो गए हैं। सीबीएसई से जुड़े स्कूलों की संस्था कनफेडरेशन ऑफ सीबीएसई एफिलिएटिड स्कूल एसोसिएशन (कासा) ने दो सितंबर की बैठक में फैसला लिया कि अगर कोई स्कूल में फीस व अपने ड्यूज क्लियर नहीं करता तो उसे ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी नहीं करेंगे और न ही एनओसी देंगे। अगर आप चाहें कि वे बिना स्कूल के ड्यूज क्लियर किए दूसरे स्कूल में बच्चे को दाखिल करवा लेंगे तो ऐसा भी संभव नहीं होगा। क्योंकि स्कूल एनओसी नहीं देगा और बिना इसके दूसरा स्कूल बच्चे का दाखिल नहीं करेगा। इसके लिए उन्हें ट्रांसफर सर्टिफिकेट और एनओसी लानी अनिवार्य होगी।
इन स्कूलों ने बैठक के फैसले पर जताई थी सहमति
सीबीएसई एफिलिएटेड स्कूल्स एसोसिएशन (कासा) के प्रधान व सेंट सोल्जर ग्रुप के चेयरमैन अनिल चोपड़ा, सीटी ग्रुप से चरणजीत सिंह चन्नी, इनोसेंट हार्ट ग्रुप से डॉ. अनूप बोरी, लॉरेंस स्कूल से जोधराज गुप्ता, मेयर वर्ल्ड स्कूल से राजेश मेयर, स्टेट पब्लिक स्कूल से डॉ. नरोत्तम सिंह, नोबल स्कूल से सीएल कोचड़, केसी कोचड़, डिप्स ग्रुप से तलविंदर सिंह राजू, एकलव्य स्कूल से सीमा हांडा, एपीजे से डॉ. गरिश कुमार, कैंब्रिज स्कूल से नितिन कोहली, आईवीवाई वर्ल्ड स्कूल से संजीव वासल, दिल्ली पब्लिक स्कूल से अरुण ठाकुर, एमआर इंटरोशनल से डॉ. टंडन, वुडलैंड स्कूल से एमएस गिल्ल, डॉ. सुमन अग्रवाल आदि शामिल हुए थे।
स्कूल चलाने और स्टाफ को वेतन देने में आ रही दिक्कत
कसा के प्रधान अनिल चोपड़ा ने कहा कि स्कूलों की परेशानियों को मुख्य रखते हुए हाईकोर्ट की हिदायतों के अनुसार पब्लिक नोटिस जारी कर अभिभावकों को बच्चों की फीस जमा करवाने के लिए कहा गया। फीस न आने की वजह से स्कूल स्टाफ मेंबर्स को वेतन सहित बाकी खर्च पूरे कर पाना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए ही यह फैसला लिया गया है। फीस ना देने पर बच्चे की ऑनलाइन क्लास से नाम कट जाएगा और परीक्षाएं भी नहीं करवाई जाएंगी। अगर अभिभावक स्कूल की बकाया फीस दिए बिना दूसरे स्कूल में एडमिशन करवाना चाहेंगे तो ट्रांसफर सर्टिफिकेट और एनओसी नहीं मिलेगी। जिसकी मदद से बच्चे का दूसरे स्कूल में दाखिला भी नहीं हो सकेगा।
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