कैप्टन अमरिंदर का विकल्प... सीएम स्टाइल में स्पीच देकर खूब तालियां बटौर रहे नेताजी
पंजाब कांग्रेस में एक ऐसे नेता हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली की खूब नकल करते हैं। जब भी कांग्रेस नेताओं का जमघट लगता है तो उन्हें फरमाइश आ जाती है कि एक बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अंदाज में कुछ कहकर बताएं।
अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली और हावभाव अकसर ही सबने देखे होंगे। शहर में भी कांग्रेस के एक ऐसे नेता हैं जो उनकी कार्यशैली की खूब नकल करते हैं। जब भी कांग्रेस नेताओं का जमघट लगता है तो उन्हें फरमाइश आ जाती है कि एक बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अंदाज में कुछ कहकर बताएं। जनाब भी झट से उनके स्टाइल में हिंदी, इंगलिश व पंजाबी मिक्स करते हुए शुरू हो जाते हैं। अगर कोई आंखें बंद करके सुने तो एक बार तो अंदाजा ही नहीं लगा सकता है कि यह सीएम बोल रहे हैं या फिर कोई और। पिछले दिनों निगम बजट सत्र की बैठक में जब कांग्रेस नेता निगम कार्यालय में जुटे तो नेताजी ने सीएम स्टाइल में भाषण देकर खूब तालियां बटोरीं। नेताजी भी कहने लगे कि हमारे पास भी विकल्प है, अगर सीएम साहब कहीं न जा सके तो इन्हें बुलवाया जा सकता है।
दोस्तों में अब दूरियां
शहर की दो अहम विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी के दो नेता विराजमान हैं। यूं तो दोनों ही पुराने दोस्त हैं और सीटों पर बैठने के बाद भी दोनों में आपसी तालमेल ठीक रहा। अब जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो दोनों की नजर एक ही विधानसभा हलके पर है। इसको लेकर दोनों में सार्वजनिक तल्खी तो दिखाई नहीं दे रही, पर सियासी शह-मात का खेल जरूर शुरू हो गया है। एक-दूसरे के समर्थकों को अपने पाले में लाने के प्रयास तेज हो गए हैं। दोनों ने एक-दूसरे से संबंधित काम एक-दूसरे को कहने लगभग बंद ही कर दिए हैं। दोनों के बीच चल रही इस कोल्ड वार का खूब फायदा उस विधानसभा हलके से जुड़े छुटभैया नेता ले रहे हैं। वह दोनों से अपने काम करवाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। नेताजी भी काम करके अंदरखाते सीट के लिए अपना दावा मजबूत करने में जुटे हैं।
सिद्धू साहब के ग्रह खराब
पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सियासी गलियारे में खासा चर्चा का विषय बने हुए हैं। कांग्रेस सरकार में पौने दो साल से हाशिये पर चल रहे सिद्धू को कई बार ‘कुछ मिलने’ की चर्चाएं छिड़ीं। इसने कई कयास को जन्म दिया, फिर चाहे वह उनकी कैबिनेट में वापसी हो या फिर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रधानगी मिलने की संभावना। पर सिद्धू साहब के ग्रह ही साथ नहीं दे रहे हैं। कभी इलेक्शन कोड लग गया तो कभी बातचीत का माहौल नहीं बन पाया। अब एक बार फिर सिद्धू को लेकर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी हरीश रावत की सक्रियता के बाद सियासी गणितकार अनुमान लगा रहे थे कि अब ‘सिद्धू केस’ निपट जाएगा, पर हरीश रावत कोरोना पाजिटिव आ गए। इसके साथ ही गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि सिद्धू साहब के ग्रह ही खराब हैं। उनके रास्ते की रुकावटें दूर होने का नाम नहीं ले रहीं।
जुबान पर आया दर्द
फायर ब्रिगेड के काम से यूं तो सभी वाकिफ हैं, पर उनका दर्द क्या है, शायद यह कभी किसी ने जानने का प्रयास नहीं किया। सरकारी नौकरी होने की वजह से वह भी बेबाकी से कुछ कह नहीं पाते। हाली ही में लघु सचिवालय का उद्घाटन होना था। उससे पहले वहां के फर्श को धोने की जिम्मेदारी फायर ब्रिगेड विभाग को दी गई। कर्मचारी फर्श साफ कर रहे थे कि एक का दर्द जुबान पर आ ही गया। बोले, क्या हमारा यह काम है कि हम सरकारी इमारतों व शहर की प्रतिमाओं को धोते रहें। जनाब ने तो यहां तक कह डाला कि पिछले दिनों एक आलाधिकारी के घर पानी नहीं था तो इसकी ड्यूटी भी विभाग की लगा दी गई कि उनके घर पानी पहुंचाया जाए। अब फायर ब्रिगेड कर्मी यह काम करेंगे तो जब उनके असल काम की जरूरत होगी तो तब वह क्या करेंगे?
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