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Punjab Chunav 2022 : जालंधर कैंट सीट पर भाजपा की त्रिकोणीय लड़ाई, तनेजा ने टिकट रुकवाई, अब सर्वे से होगा फैसला

Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022 जालंधर कैंट सीट इस बार भाजपा नेताओं के लिए भी हाट मानी जा रही है। इसी वजह से इस टिकट पर कई दावेदार हैं। हालांकि इस सीट पर अब सबसे बड़ी चुनौती युवा भाजपा नेता अमित तनेजा से मिल रही है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:20 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:20 AM (IST)
Punjab Chunav 2022 : जालंधर कैंट सीट पर भाजपा की त्रिकोणीय लड़ाई, तनेजा ने टिकट रुकवाई, अब सर्वे से होगा फैसला
Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022 जालंधर कैंट सीट पर भाजपा की टिकट पर कई दावेदार हैं।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। Punjab Chunav 2022 जालंधर कैंट सीट इस बार भाजपा नेताओं के लिए भी हाट मानी जा रही है। इसी वजह से इस टिकट पर कई दावेदार हैं। सबसे मजबूत दावेदारों में भाजपा नेता अमित तनेजा व अकाली दल छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ का है। मक्कड़ यह दावा करते रहे हैं कि भाजपा में शामिल होने के समय उनसे कैंट हलके की टिकट की कमिटमेंट हुई है। हालांकि इस सीट पर अब सबसे बड़ी चुनौती युवा भाजपा नेता अमित तनेजा से मिल रही है। अमित तनेजा ने ही इस सीट पर घोषणा रुकवाई है और पार्टी टिकट की घोषणा से पहले एक बार कैंट हलक में सर्वे करवाने जा रही है।

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पार्टी हाईकमान इस सीट पर हिंदू चेहरे के रूप में अमित तनेजा के दावे का आंकलन सर्वे से करेगा। यह सर्वे पार्टी स्तर पर ही होगा। भाजपा देहाती के प्रधान अमरजीत सिंह अमरी व प्रदेश प्रवक्ता दीवान अमित अरोड़ा भी बड़े दावेदार हैं और लंबे समय से कैंट हलके में काम कर रहे हैं। मक्कड़ ने पिछला चुनाव कैंट हलके से ही अकाली दल और भाजपा गठबंधन के तहत लड़ा था। मक्कड़ पुराने राजनीतिज्ञ हैं और उनका अपना भी एक बड़ा वोट बैंक है। कैंट सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक रहेगा, क्योंकि यहां पर कैबिनेट मंत्री परगट ङ्क्षसह कांग्रेस, पूर्व विधायक जगबीर बराड़ अकाली दल और पूर्व आइजी एवं ओलिंपियन सुरेंद्र सिंह सोढ़ी आम आदमी से मैदान में आ चुके हैं। भाजपा इस सीट को चुनौती के रूप में ले रही है।

इस सीट पर भाजपा नेता यह तर्क देते आ रहे हैं कि अगर सभी सिख उम्मीदवारों के बीच में अगर एक हिंदू चेहरा उतारा जाता है तो वोट का ध्रुवीकरण करके सीट जीती आ सकती है। कैंट का 60 प्रतिशत इलाका अब शहरी क्षेत्र में आ चुका है और नगर निगम के 11 वार्ड में ही करीब एक लाख वोट है। इसके अतिरिक्त कैंटोनमेंट बोर्ड और सेना से जुड़ी वोट पर भी भाजपा का मजबूत दावा रहा है।


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