विवादों से घिरी मंथन से पहले घोषित हुई पंजाब बसपा
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दलित राजनीति में नई पार्टी के तौर पर उपलब्ध होने जा रहे विकल्प की घोषणा के दौरान ही विवाद उत्पन्न हो गया। मंथन बैठक के दौरान ही पंजाब बसपा के गठन की घोषणा कर डाली गई जिसका बैठक में ही विरोध भी हो गया।
जागरण संवाददाता, जालंधर : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दलित राजनीति में नई पार्टी के तौर पर उपलब्ध होने जा रहे विकल्प की घोषणा के दौरान ही विवाद उत्पन्न हो गया। मंथन बैठक के दौरान ही पंजाब बसपा के गठन की घोषणा कर डाली गई, जिसका बैठक में ही विरोध भी हो गया।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के असंतुष्ट धड़े की तरफ से रविवार को स्थानीय देश भगत यादगार हाल में नई राजनीतिक पार्टी के गठन के लिए मंथन बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक के दौरान नई राजनीतिक पार्टी के गठन को लेकर विचार विमर्श किया जाना था। हालांकि इस मंथन बैठक के दौरान राजनीतिक पार्टी घोषित करने को लेकर कोई तैयारी नहीं थी। इसी दौरान चौधरी खुशीराम की तरफ से पंजाब बहुजन समाज पार्टी बनाने की घोषणा कर दी गई, जिस पर विवाद खड़ा हो गया।
हाईकमान की कारगुजारी को कटघरे में खड़े करने वाले बसपा नेता आपस में ही उलझ गए। मंथन बैठक के आयोजन के सूत्रधार बसपा पंजाब के पूर्व महासचिव सुखविदर कोटली ने कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी का गठन आनन-फानन में नहीं हो सकता है। अभी तो बैठक कर मंथन ही किया जा रहा था कि नई राजनीतिक पार्टी का गठन किस आधार पर किया जाएगा और उसकी भविष्य की रणनीति कैसी रहेगी। रविवार को पार्टी घोषित करने की कोई पूर्व योजना नहीं थी। एकाएक चौधरी खुशी राम ने पंजाब बहुजन समाज पार्टी बसपा घोषित कर डाली। आनन-फानन में पार्टी के पदाधिकारी भी घोषित कर दिए गए जो तर्कसंगत नहीं है। सुखविदर कोटली ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने नई पार्टी के गठन से खुद को अलग कर लिया है। वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया के ऊपर भी बसपा के कई नेताओं की तरफ से नई पार्टी के गठन से खुद को अलग करने की पोस्ट शेयर की जाने लगी।