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अश्वनी शर्मा ने राठौर को दिखाया कैंट का रास्ता, जालंधर नार्थ व सेंट्रल हलके पर दावेदारी का 'शीत युद्ध' खत्म

बीजेपी के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने बीते दिनों जालंधर में गुप्त बैठक करके राकेश राठौर को कैंट का रास्ता दिखा कर नार्थ और सेंट्रल हलके के विवाद पर पूरी तरह विराम लगा दिया। राठौर वर्ष 2008 में मेयर बने थे।

By Vikas KumarEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 03:13 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 03:13 PM (IST)
अश्वनी शर्मा ने राठौर को दिखाया कैंट का रास्ता, जालंधर नार्थ व सेंट्रल हलके पर दावेदारी का 'शीत युद्ध' खत्म
अश्वनी शर्मा ने बीते दिनों राठौर को कैंट का रास्ता दिखा दिया है।

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। भारतीय जनता पार्टी में जालंधर नार्थ और सेंट्रल हलके पर दावेदारी को लेकर बीते 15 सालों से चल रहे शीत युद्ध को प्रदेश प्रधान ने एक झटके में खत्म कर दिया। प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने बीते दिनों जालंधर में गुप्त बैठक करके राकेश राठौर को कैंट का रास्ता दिखा कर विवाद पर पूरी तरह विराम लगा दिया। राठौर वर्ष 2008 में मेयर बने थे। पार्टी की नीतियों के अनुसार विधानसभा चुनाव में उनकी दावेदारी बनती थी। इसके बाद उन्होंने नार्थ और सेंट्रल हलके से अपनी दावेदारी जता रखी थी, लेकिन पूर्व विधायक केडी भंडारी और मनोरंजन कालिया को किनारे करके राठौर को चुनाव मैदान में पार्टी ने उतारना सही नहीं समझा था। शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद कैंट हलके की सीट पर भी भाजपा को उम्मीदवार चाहिए था। इसे सियासी नुस्के में बदलकर अश्वनी शर्मा ने बीते दिनों राठौर को कैंट का रास्ता दिखा दिया है।

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भगत ने बढ़ाई भगत की टेंशन

भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय तक अपना सियासी करियर संवारने वाले कीमती भगत अब शिरोमणि अकाली दल का दामन थाम चुके हैं। बीते चुनाव तक कीमती ने कई बार जालंधर वेस्ट की सीट पर पूर्व विधायक भगत चूनी लाल का टिकट काटकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारने को लेकर लामबंदी की थी। अलग बात है कि कीमती को पार्टी ने भगत के मुकाबले में ज्यादा तरजीह नहीं दी थी। अब कीमती अकाली दल के पाले में खड़े हो चुके हैं। शर्त व उम्मीद वेस्ट हलके से उम्मीदवार बनने की है। कीमती भी भगत बिरादरी से हैं। नतीजतन कीमती के पाला बदलने के बाद चूनी लाल परिवार की अगली पीढ़ी के नेता मोहिंदूर भगत ने समय रहते ही बिरादरी के वोट बैंक को बंटने से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। मोहिंदूर बिरादरी के समारोह से लेकर छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भी शिरकत करने लगे हैं। उनकी उम्मीद कायम है।

वेट एंड वाच की सियासत

जालंधर पुलिस ने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर सोसायटी में अपनी पकड़ और मजबूत करनी शुरू कर दी है, लेकिन बीते दिनों नाइट कफ्यरू के दौरान एसएचओ की हुई पिटाई और पुलिस की जवाबी कारवाई में उलझने के बाद अब खाकी और खादी के बीच वेट एंड वाच की सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता के जिन करीबी युवकों पर बीते दिनों एसएचओ भार्गव कैंप पर हमले का आरोप लगा है, उन्होंने शराब पी थी या नहीं इसे लेकर पुलिस ने मेडिकल तक नहीं करवाया था। घटना के पांच दिन बाद 307 का पर्चा दर्ज किया जाता है। अगर पूरे मामले में एसएचओ की भूमिका सही है तो पुलिस ने अभी तक चारों आरोपितों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? हैरानी की बात है कि पूरे घटनाक्रम को लेकर अभी तक आला अधिकारियों का न तो स्टैंड स्पष्ट हो पाया है और न ही उन्होंने अपना स्टैंड क्लीयर किया है।

आ जाओ जनानियां नू फ्री अ

बीते कुछ दिनों से जालंधर के बस स्टैंड पर सरकारी बसों के साथ-साथ निजी बसों में तैनात स्टाफ के बीच अजीबोगरीब मुकाबला चल रहा है। यब मुकाबला महिला यात्रियों को अपनी बसों में बिठाने को लेकर है। इसका फायदा निश्चित रूप से आम लोगों को हो रहा है। सरकार ने सरकारी बसों में सफर करने वाली महिला यात्रियों को मुफ्त सफर की स्कीम लांच की है। इसके जवाब में कुछ दिनों बाद ही कुछ निजी बस आपरेटर्स ने भी पुरुष सवारियों को रोकने के लिए महिलाओं को मुफ्त यात्र की स्कीम दे दी है। अब रोजाना सरकारी बसों व निजी आपरेटर्स की बसों के स्टाफ सदस्य महिला यात्रियों को बिठाने के लिए आवाजें लगाता रहते हैं। एक तरफ से आवाज आती है कि आ जाओ जनानियां नू फ्री है तो दूसरी तरफ से आवाज आती है इधर आओ सबकुछ फ्री है। इस शीतयुद्ध में महिला यात्रियों पूछ बढ़ गई है।


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