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पंजाब चुनाव 2022 : नकोदर को चेहरे तो बड़े मिले, विकास नहीं हो पाया; 2006 से शुरू हुआ सीवरेज प्रोजेक्ट अभी तक लटका

नकोदर विधानसभा हलका पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखता है। नकोदर से चुनाव जीतकर दरबारा सिंह मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे तो इसी सीट से कुलदीप सिंह वडाला जैसे दिग्गज अकाली नेता भी निकले हैं। उसके मुताबिक विकास नहीं हो पाया है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 09:54 AM (IST)
पंजाब चुनाव 2022 : नकोदर को चेहरे तो बड़े मिले, विकास नहीं हो पाया; 2006 से शुरू हुआ सीवरेज प्रोजेक्ट अभी तक लटका
नकोदर में सड़क पर बह रहा सीवरेज का पानी।

नकोदर [लेखराज शर्मा]। नकोदर विधानसभा हलका पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखता है। नकोदर से चुनाव जीतकर दरबारा सिंह मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे तो इसी सीट से कुलदीप सिंह वडाला जैसे दिग्गज अकाली नेता भी निकले हैं। मौजूदा विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला पूर्व मंत्री कुलदीप सिंह वडाला के ही बेटे हैं। हालांकि जितने बड़े नाम यहां से निकले हैं, उसके मुताबिक विकास नहीं हो पाया है। 10 साल पहले नूरमहल कस्बा भी नकोदर विधानसभा हलका में शामिल हो गया है। पहले नूरमहल अलग विधानसभा सीट थी। पिछले 10 साल से यहां पर अकाली दल के गुरप्रताप सिंह वडाला विधायक हैं।

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शहर में कई विकास कार्य अभी भी लंबित है। सबसे बड़ा मुद्दा यहां पर हमेशा ही सीवरेज सिस्टम रहा है। करीब 16 साल से सीवरेज सिस्टम को लेकर ही राजनीति चल रही है। हालांकि अब इस पर काम शुरू हुआ है, लेकिन गति कछुए से भी धीमी है। चुनावी दौर शुरू होते ही जनता ने एक बार फिर से विधायक के कामकाज का आंकलन शुरू कर दिया है। नकोदर सीट पर विकास कार्यों के साथ-साथ उम्मीदवारों की छवि, किसानी, धार्मिक, सामाजिक मुद्दे भी असर करेंगे।

मुद्दे जो हल नहीं हुए

नकोदर का बस स्टैंड आज भी बदहाल

विधानसभा पंजाब 2017 के चुनाव के बाद बनी कांग्रेस की सरकार के बजट में नकोदर के बस स्टैंड को बनाने के लिए पहलकदमी दिखाई गई थी, लेकिन इस पर कोई काम नहीं किया गया। बस स्टैंड को 1971 में बनाया गया था। उस समय बस स्टैंड में सभी सुविधाएं थी, लेकिन अब हालत खराब है। बार-बार इसे बनाने के लिए केवल घोषणाएं ही होती रही, लेकिन हुआ कुछ नहीं। नकोदर कस्बा आसपास के कई महत्वपूर्ण गांव, बड़े कस्बों और बड़े शहरों को जोड़ता है। इस वजह से यहां पर बसों की आवाजाही काफी अधिक है, लेकिन लोगों को बस स्टैंड पर कोई सुविधा नहीं मिलती।

16 साल से कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है सीवरेज प्रोजेक्ट

सीवरेज प्रोजेक्ट वर्ष 2006 से आरंभ हुआ, लेकिन अभी तक अधर में लटका हुआ है और अभी भी कछुए की चाल से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा है। करीब 16 वर्ष से शहर के लोग सीवरेज जाम की समस्या से परेशान हैं, लेकिन प्रोजेक्ट को मुकम्मल करने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई गई। आजकल इस सीवरेज प्रोजेक्ट के अधीन शहर के बाहरी सड़कों की खोदाई कर सीवरेज पाइप डाली गई है। अभी शहर की अंदरूनी पाइप लाइनों से इन्हें जोडऩे का काम बाकी है। अभी इसमें 1 से 2 साल और लग सकते हैं, तभी लोगों को पूरी तरह राहत मिलेगी।

मुद्दे जो हल हुए

नकोदर को मिलेगा नया खेल स्टेडियम

नकोदर के लोग कई दशक से खेल स्टेडियम की मांग करते रहे हैं। इस मांग का समय पूरा होने को है। करीब 68 लाख की लागत से बन रहा स्टेडियम का काम लगभग पूरा होने को है। इस खेल स्टेडियम में फुटबाल का मैदान, चारों तरफ चौड़ा रास्ता व दर्शक बैठने की जगह, खेल स्टेडियम के चारों ओर हरे-भरे पेड़, फूल सब इसकी सुंदरता बयां कर रहे हैं। उम्मीद है कि कुछ ही महीनों में इस खेल स्टेडियम को शहरवासियों के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

नई सड़कें बनी, पार्कों में लगे ओपन जिम

शहरवासियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए शहर के विभिन्न मोहल्लों में लाखों की लागत से ओपन जिम खोले गए हैं। इस ओपन जिम में बच्चे, नौजवान, बूढ़े, महिलाएं सब कसरत करने पहुंच रहे हैं। अब तक करीब सात ओपन जिम लग चुके हैं। इनमें मोहल्ला गार्डन कालोनी, पुरेवाल कालोनी, गगन सुरजीत पार्क, रंजीत नगर आदि शामिल हैं। इसी तरह नूर महल में भी ओपन जिम लगाए गए हैं। नकोदर नूरमहल कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी गिनती में सड़कें बनाई गई हैं। सड़कों के जाल को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपए के टेंडर लगाए गए हैं।


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