जारी है मोहिंदर केपी का सियासी पंगा, कांग्रेस ने बंगा से चुनाव लड़ाने का लालीपोप दिया; भाजपा आज लेगी फैसला
Punjab Vidhan Sabha Election 2022 पूर्व कांग्रेस सांसद व मंत्री रहे मोहिंदर सिंह केपी का टिकट कटने के बाद पार्टी के साथ सोमवार को भी सियासी पंगा जारी रहा। केपी के पारिवारिक सूत्रों ने कमल का फूल थामने को लेकर की जा रही तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। पूर्व कांग्रेस सांसद व मंत्री रहे मोहिंदर सिंह केपी का टिकट कटने के बाद पार्टी के साथ सोमवार को भी सियासी पंगा जारी रहा। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अंदरखाते अपने करीबी रिश्तेदार केपी को कांग्रेस छोड़ने से रोकने के लिए बंगा से चुनाव लड़ाने का लालीपाप दिया है, लेकिन केपी अब बातों से मानने वाले नहीं हैं। उन्होंने सोमवार को भी स्पष्ट कहा कि उनके परिवार को हमेशा चुनावी सियासत का शिकार बनाया जाता रहा है। अब बहुत हो चुका। केपी के पारिवारिक सूत्रों ने कमल का फूल थामने को लेकर की जा रही तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। उम्मीद है कि भाजपा की तरफ से बुधवार को फाइनल होने वाली उम्मीदवारों की सूची में केपी के नाम को भी तरजीह दी जा सकती है।
अभी तक केपी ने टिकट कटने के बाद किसी दूसरे दल को ज्वाइन नहीं किया है। यही वजह है कि कांग्रेस भी केपी को सियासी कूटनीति के तहत किसी और सीट से लड़ाने या उनकी टिकट कटने पर पुनर्विचार करने का आश्वासन देकर उन्हें पार्टी छोड़ने से रोकने में लगी हुई है। केपी की एक चरण की बातचीत भी भाजपा के साथ फाइनल हो चुकी है। इस काम को अंजाम देने के लिए भाजपा के एक सांसद व एक पूर्व मेयर ने अहम भूमिका निभाई है। केपी ने दो दिन पहले ही भाजपा ज्वाइन कर लेनी थी, लेकिन पार्टी की तरफ से बड़े पैमाने पर कई नेताओं को एक साथ ज्वाइन करवाना है, इसलिए केपी को भी अभी वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। चन्नी ने मौके की नजाकत को देखते हुए डा. राजकुमार वेरका को भेजकर केपी को रोकने की कोशिश की थी। वेरका और केपी में काफी बेहतर संबंध हैं। केपी का टिकट कटने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने जितनी हवा बनाई थी, वह भी दोआबा में खिसकती नजर आ रही है। अगर केपी भाजपा से चुनावी मैदान में आ जाते हैं तो कहीं न कहीं इसका नुकसान चन्नी को भी उठाना पड़ेगा।
चन्नी की नजर दोआबा के दलित वोट बैंक पर पहले से ही थी, जिसे कैश कराने के लिए आदमपुर से सुखविंदर कोटली को उम्मीदवार बनाया गया है। कोटली बहुजन समाज पार्टी के पदाधिकारी रह चुके हैं और बसपा के कद्दावर नेताओं में शामिल रहे हैं। बीते महीने उन्होंने परगट सिंह के हलके में हुई चन्नी की रैली में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। चन्नी ने खुद कोटली को कांग्रेस ज्वाइन करवाई थी। यही वजह है कि चन्नी खुद आदमपुर से केपी के लिए टिकट की बैटिंग नहीं कर पाए और परगट ने अंदरखाते कोटली के पक्ष में माहौल बनाकर टिकट कोटली को दिलवा दी। इस कूटनीति की भनक चन्नी को भी बाद में हुई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। चन्नी की कोशिश थी कि केपी को वेस्ट हलके से चुनाव मैदान में उतारा जाए और वहां से मौजूदा विधायक सुशील रिंकू को आदमपुर भेजा जा, लेकिन अब देर हो चुकी है और केपी का भाजपा में जाना लगभग तय हो गया है। इसके चलते भाजपा से वेस्ट के दावेदार मोहिंदर भगत की नींद उड़ चुकी है। भगत ने भी केपी की टिकट कटने के बाद अपने लिए नए सिरे से लाबिंग शुरू कर दी है। फिलहाल बुधवार को इस मामले में कोई न कोई परिणाम जरूर निकलकर सामने आ जाएगा।