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Webinar में हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं ने सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज के स्टूडेंट्स को समझाईं कानून की बारीकियां

सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज की वेबिनार में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसडी आनंद और सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. सुभाष शर्मा विशेषज्ञ रहे। उच्च न्यायालय चंडीगढ़ के एडवोकेट विकास चतरथ ने वेबिनार का संचालन किया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 04:44 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 04:44 PM (IST)
Webinar में हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं ने सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज के स्टूडेंट्स को समझाईं कानून की बारीकियां
सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज ने हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं के संगठन बियॉन्ड लॉ सीएलसी के सहयोग से वेबिनार करवाई।

जालंधर, जेएनएन। सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज ने हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं के संगठन बियॉन्ड लॉ सीएलसी के सहयोग से सार्थक कानून और प्रक्रिया विषय पर एक वेबिनार करवाई। इसमें बड़ी संख्या में एडवोकेट्स, लॉ टीचर्स और कॉलेज के छात्रों ने भाग लिया। वेबिनार में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसडी आनंद और सेंट सोल्जर लॉ कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. सुभाष शर्मा विशेषज्ञ रहे। उच्च न्यायालय चंडीगढ़ के एडवोकेट विकास चतरथ ने वेबिनार का संचालन किया।

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चर्चा की शुरुआत करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि न्याय प्रदान करने में मूल और प्रक्रियात्मक कानून ताना-बाना की तरह हैं और दोनों को अलग नहीं देखा जा सकता है। न्याय की अवधारणा पर चर्चा करते और प्रख्यात न्यायविदों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रक्रियात्मक कानूनों में मूल कानून के तत्व भी होते हैं। कानूनी अभ्यास और न्याय वितरण में प्रासंगिकता के संदर्भ में डा. शर्मा ने कहा कि प्रक्रियात्मक कानून वास्तविक कानूनों की तुलना में थोड़ा अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह अवलोकन करते हुए निष्कर्ष निकाला कि मूल नियम शरीर है और प्रक्रियात्मक नियम इसमें श्वास और रक्त हैं। दोनों में से किसी एक की अनुपस्थिति में न्याय का जीवित शरीर अपनी पहचान खो देता है।

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जस्टिस एसडी आनंद ने जनहित याचिका, भारतीय राजनीति की संघीय संरचना, न्याय वितरण को प्रभावित करने वाली महामारी की स्थिति, निर्भया कांड और अन्य सामूहिक दुष्कर्म मामलों की अवधारणाओं का उल्लेख किया, जहां प्रक्रियात्मक कानूनों ने आईपीसी के तहत न्याय प्राप्त करने में मदद की। जस्टिस आनंद ने बड़े पैमाने पर लंबित मामलों से निपटने के तरीके और उपाय सुझाए, जिससे सीमित अदालती सुनवाई के कारण महामारी की स्थिति का अच्छा उपयोग किया जा सके। दो सत्रों के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र आयोजित किया गया।


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