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बोर्ड ने किताबों का पुराना स्टाक स्कूलों में पहुंचाया, अभिभावकों को एक-एक किताब के लिए भटकना पड़ रहा

बोर्ड की तरफ से पिछला स्टॉक ही बीपीईओ के जरिए स्कूलों में पहुंचाया जा रहा है जिसमें कई कक्षाओं को एक-एक विषय की किताबें ही मिली हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 06:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:14 PM (IST)
बोर्ड ने किताबों का पुराना स्टाक स्कूलों में पहुंचाया, अभिभावकों को एक-एक किताब के लिए भटकना पड़ रहा
बोर्ड ने किताबों का पुराना स्टाक स्कूलों में पहुंचाया, अभिभावकों को एक-एक किताब के लिए भटकना पड़ रहा

जालंधर, [अंकित शर्मा]। पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड की तरफ से 31 मार्च तक स्कूलों को किताबों की सप्लाई सुनिश्चित करनी होती है लेकिन इस बार बोर्ड प्रिंटिंग ही नहीं कर पाया है। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर लाॅकडाउन के बाद अब कर्फ्यू हटते ही किताबों की प्रिंटिंग पूरी करने की मंजूरी मिल गई है। बावजूद इसके बच्चों तक किताबें पहुंचाने की महज औपचारिकता निभाई जा रही है। बच्चों के पास सभी विषयों की किताबें भी नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका मुख्य कारण है कि बोर्ड की तरफ से पिछला स्टॉक ही बीपीईओ के जरिए स्कूलों में पहुंचाया जा रहा है, जिसमें कई कक्षाओं को एक-एक विषय की किताबें ही मिली हैं।

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किताबों को बच्चों तक पहुंचाने के लिए शिक्षकों की डयूटी लगी हुई है। हालात यह बन गए हैं कि शहर से 20 से 25 किलोमीटर दूरी स्कूल पहुंच कर अध्यापक केवल एक-एक विषय की किताबें लेने के लिए अभिभावकों को बुला रहे हैं। वहीं, कुछ एक स्कूलों ने यह व्यवस्था कर ली है कि बच्चे की पिछले साल की किताबें अभिभावक अवश्य लेकर आएं ताकि जिन बच्चों पूरे विषय की किताबें नहीं मिली हैं, उनके लिए कुछ व्यवस्था हो सके। 

नकोदर ब्लाक में छठी की कंप्यूटर, खेल, साइंस, हिंदी, सांतवीं में सिर्फ कम्प्यूटर, आठवीं की पंजाबी और हिंदी, नौवीं कक्षा में अंग्रेजी, हिंदी व्याकरण, नावल, सामाजिक विज्ञान, दसवीं में अंग्रेजी रीडर की किताबें ही पहुंची है। इस तरह से कुछ महत्वपूर्ण विषयों की किताबें पहुंच ही नहीं पाई हैं।

अभिभावक अकारण हो रहे परेशान

नकोदर निवासी सुरिंदर सिंह कहते हैं कि बेटी सातवीं कक्षा में आ गई है। किताबें लेने के लिए स्कूल से फोन आया था। वहां गए तो सिर्फ एक ही कम्प्यूटर की किताब मिली। जब पूछा कि बाकी विषयों की किताबें कहां हैं, तो जवाब मिली की अभी आई नहीं। इसी तरह से मुल्खराम कहते हैं कि आठवीं कक्षा में बेटा हुआ। स्कूल से फोन आया था कि पुरानी किताबें लेकर आएं और नईं किताबें लेकर जाएं। जब वहां पहुंचे तो सिर्फ हिंदी और पंजाबी विषय की किताबें ही मिली। शिक्षकों ने कहा कि जब बाकी विषय की किताबें आ जाएंगी, उन्हें बुलवा लेंगे। 

जल्द किताबें बच्चों तक पहुंचाई जाएंगीः डीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी हरिंदरपाल सिंह का कहना है डीसी की तरफ से किताबों की प्रिंटिंग को मंजूरी दे दी गई है। अधिकतर प्रिंटिंग प्रेस जालंधर में है, जल्द ही प्रिंटिंग करके किताबें बच्चो तक पहुंचाई जाएंगी।

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