किसी को नहीं मिल रहा काम तो कोई प्रधान को वोट डालने जा रहा गांव, निजी बस माफिया वसूल रहा डबल किराया
कोरोना के कारण जालंधर में दिहाड़ी पर काम करने वाले श्रमिक अपने गृह राज्यों को लौट रहे है। मोता सिंह नगर से निजी बस माफिया इन श्रमिकों से साधारण किराए से कई गुना ज्यादा वसूली कर रहा है।
जालंधर, मनुपाल शर्मा। कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों के मध्य दिहाड़ी पर काम नहीं मिल रहा है और अगर मिल रहा है तो पूरे पैसे नहीं मिल रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में चुनाव भी सर पर आ गए हैं और प्रधान वोट डालने के लिए बार-बार संदेश भेज रहा है। इन दो परिस्थितियों ने महानगर में दिहाड़ी पर काम करने वाले श्रमिकों को अपने गृह राज्यों को वापस भेजना शुरू कर दिया है। मोता सिंह नगर से निजी बस माफिया इन्हीं श्रमिकों की मजबूरी का नाजायज फायदा उठाते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि के लिए धड़ल्ले से अवैध बस परिचालन करने लगा है और श्रमिकों से साधारण किराए से कई गुना ज्यादा वसूली कर रहा है।
मोता सिंह नगर से स्लीपर बसें रवाना की जा रही है। बसों में कोरोना से बचाव के जारी तमाम सरकारी हिदायतों को हवा में उड़ते हुए देखा जा सकता है। स्लीपर बसों में क्षमता से भी कई गुना ज्यादा श्रमिक बिठाए जा रहे हैं। बसों का स्टाफ खुद ही मास्क नहीं लगा रहा है और शारीरीक दूरी तो कोई मायने ही नहीं रखती नजर आ रही है। सैनिटाइजेशन के बारे तो शायद इन बसों को संचालित करने वालों को पता ही नहीं है।
श्रमिक जगन्नाथ ने बताया कि दिहाड़ी तो पूरी नहीं मिल पा रही थी, लेकिन चुनाव में प्रधान को वोट डालना भी जरूरी था। प्रधान का संदेश आ रहा था इस वजह से बहराइच लौट रहे हैं। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि प्रधान ने बहराइच आकर वोट डालने के लिए उन्हें कोई पैसा दिया है। अलबत्ता उन्होंने 2000 रुपए प्रति यात्री की वसूली पर अपना गुस्सा जाहिर किया।
श्रमिक बाहू लाल ने बताया कि कोई सुनने वाला ही नहीं है। बस वाले मनमर्जी का किराया वसूल रहे हैं। 24 घंटे में बस बहराइच पहुंचेगी, लेकिन इतने लंबे सफर में खाना वगैरह पर भी पैसा खर्च करना होगा। कोरोना से बचाव के बारे में उन्होंने कहा कि वह तो मास्क लगाए हुए हैं।