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पावरकॉम का अजब कारनामा, रिटायर्ड कैप्टन की 90 साल की मां को बना दिया बिजली चोर

पावरकाम ने मां की गिरफ्तारी का भय दिखाकर रिटायर्ड सैन्य अधिकारी कैप्टन पीएस सोढी से 70 हजार जमा करवा लिए जबकि मीटर उनके घर के बाहर लगा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 11:24 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 11:24 AM (IST)
पावरकॉम का अजब कारनामा, रिटायर्ड कैप्टन की 90 साल की मां को बना दिया बिजली चोर
पावरकॉम का अजब कारनामा, रिटायर्ड कैप्टन की 90 साल की मां को बना दिया बिजली चोर

सत्येन ओझा, जालंधर। बिजली विभाग ने अपने ही नियम तोड़कर सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की 90 साल की मां को बिजली चोर बना दिया। 70 हजार रुपये जुर्माना भी वसूल लिया। सैन्य अधिकारी ने गिरफ्तारी के भय से जुर्माने की राशि जमा करने के बाद जब सूचना अधिकार अधिनियम के तहत बिजली चोरी के आगे-पीछे के दो महीनों का रिकार्ड विभाग से मांगा तो निगरान इंजीनियर की ओर से उपलब्ध कराए रिकार्ड में संबंधित मीटर की बिजली चोरी का रिकार्ड ही सामने नहीं आया। विभागीय अधिकारी जब फंसते नजर आए तो उन्होंने बिजली चोरी का फर्जी रिकार्ड भी तैयार कर डाला।
 

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दैनिक जागरण के हाथ लगे रिकार्ड में बिजली चोरी के नाम पर पावरकॉम में अवैध वसूली के चल रहे स्कैंडल का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें रिटायर्ड सैन्य अधिकारी के अलावा नवांशहर के सरकारी चिकित्सक दंपत्ति, मंदिर के प्रबंधकों सहित शक्ति भवन के अधीन आने वाले जालंधर डिवीजन क्षेत्र के जिलों में एक साल में 826 केसों में अपने ही नियमों के खिलाफ उपभोक्ताओं को बिजली चोर बनाया गया है। स्कैंडल में शामिल लोग ऐसे में मामलों को लोगों को गिरफ्तारी का भय दिखाकर जुर्माना तो वसूलते ही हैं, साथ ही राहत देने के नाम पर अपनी जेबें भी गर्म कर रहे हैं।

यह है मामला

रंजीत नगर में धर्मजीत कौर के नाम पर थ्री फेज मीटर कनेक्शन है। 26 सितंबर 2016 की रात में मीटर जल गया। 27 सितंबर 2016 को उपभोक्ता के रिटायर्ड सैन्य अधिकारी कैप्टन पीएस सोढी ने इस बात की शिकायत पावरकॉम से करते हुए मीटर बदलने के लिए निर्धारित राशि 1910 रुपये जमा करा दी। इसके बाद पावरकॉम ने उपभोक्ता की डायरेक्ट सप्लाई शुरू कर दी। नियमानुसार थ्री फेज मीटर को अधिकतम पांच दिन में बदलकर अगर मीटर चोरी का संदिग्ध मामला है तो अधिकतम 7 दिन के अंदर मीटर एमई लेब में जांच के लिए भेजा जाय। विभाग ने 27 सितंबर को मीटर जलने की सूचना मिलने के बाद अपने ही नियम के खिलाफ जाकर 19 नवंबर को 2016 को बदला।

मीटर बदले जाने के बाद भी कई बार जब औसत बिल के रूप में मोटी राशि का बिल आया तो इस बात को लेकर पीएस सोढ़ी का बिजली विभाग के मुलाजिमों से विवाद हुआ। उस समय तो मामला शांत हो गया। बाद में पीडि़त कैप्टन पीएस सोढ़ी ने बताया कि मीटर बदले जाने तक सब कुछ सामान्य था। बाद में 14 जनवरी 2017 को बिजली विभाग की पुलिस का एएसआइ बलजिंदर सिंह उनके निवास पर पहुंचे और उन्हें सूचना दी कि उन्होंने बिजली चोरी की है, उनकी मां को गिरफ्तार किया जाना है। एफआइआर का रिकार्ड दिखाते हुए उसने बताया कि उन पर 70 हजार 614 रुपये जुर्माना भी डाला गया है। साथ ही, 36 हजार रुपये कंपाउडिंग फीस लगाई गई है।
 

90 साल की मां की गिरफ्तारी के लिए अचानक पुलिस के पहुंचने से परिजनों में हड़कंप मच गया, किसी तरह पुलिस से ले-देकर मामला सेटल करके गिरफ्तारी रुकवा दी। बाद में कैप्टन सोढ़ी ने जुर्माने की राशि चेक के माध्यम से विभाग को जमा करा दी। राशि जमा होने के बाद जो नया बिल आया उसमें बिजली की राशि सरप्लस आई। सोढ़ी जब बिल लेकर पावरकॉम दफ्तर पहुंचे तो अधिकारियों को लगा कि मामला गड़बड़ हो गया, बहानेबाजी कर उन्होंने ये राशि दो महीने बाद अगले बिल में एडजस्ट करा दी।

क्या है संदेह की वजह

दैनिक जागरण ने इस मामले की पड़ताल की तो पावरकॉम पर संदेह के कई कारण सामने आए। पांच दिन की बजाय पावरकॉम ने मीटर डेढ़ महीने बाद बदल दिया था। नियमानुसार मामला बिजली चोरी का होने के बाद मीटर 7 दिन के अंदर लैब में जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लैब में जांच के समय उपभोक्ता को बुलाने के लिए सम्मन जारी होते हैं, तीन बाद उपभोक्ता के न पहुंचने पर एक पक्षीय फैसला होता है। सोढ़ी के मामले में उन्हें एक बार भी नहीं बुलाया गया। मीटर छह साल से घर के बाहर लगा है, नियमानुसार चोरी का मामला नहीं बनता है।
 

इस मामले में पावरकॉम के एससी रूपिंदर सिंह रंधावा ने बताया कि घर के बाहर लगे मीटर चोरी के मामले में एफआइआर तभी दर्ज होती है जब घर के अंदर से बिजली के तार लगे मिले हों। आरटीआइ में मिले रिकार्ड व बिजली चोरी के संदिग्ध डॉक्यूमेंट की सत्यता की पुष्टि कराने को कहा तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए मामला सबडिवीजन पर टाल दिया। सब डिवीजन में एसडीओ बदल चुके हैं, वर्तमान एसडीओ गुरकंवल सिंह सिर्फ डॉक्यूमेंट के मोबाइल में फोटो दिखा पाए, चोरी का मूल रिकार्ड नहीं दिखा पाए। एसडीओ ने बताया कि जेई के अनुसार मीटर घर के बाहर नहीं अंदर लगा था।


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