बारिश से आलू और मटर की फसल को पहुंचा नुकसान, मुश्किल में किसान
सप्ताह में लगातार दूसरी बार मूसलाधार बारिश के कारण सब्जी की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं।
जालंधर, [जगदीश कुमार]। सप्ताह में लगातार दूसरी बार मूसलाधार बारिश के कारण सब्जी की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। आलू की तैयार फसल को बारिश ने बर्बाद कर दिया है। इसके अलावा मटर व खीरे की खेती करने वालों को नुकसान झेलना पड़ा है। आलू की फसल को कितना नुकसान पहुंचा है, अभी तक इसकी रिपोर्ट हॉर्टिकल्चर विभाग के किसानों के पास नहीं पहुंची है।
पंजाब में 1.03 लाख हेक्टेयर भूमि में आलू की फसल की जा रही है। इसमें 25-27 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन है। जालंधर, होशियारपुर व कपूरथला जिला आलू के मुख्य उत्पादक हैं। हाॅर्टिकल्चर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. रणजीत सिंह राणा का कहना है कि आलू की फसल खेतों में बिल्कुल तैयार खड़ी है। बारिश ने फसल को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया था और हाल ही में हुई बारिश से आलू की सारी फसल खराब हो जाएंगी। रेतली मिट्टी में पानी जल्द सूख जाता है। पक्की मिट्टी में पानी सूखने में समय लेता है और आलू जमीन के बाहर निकलकर गल जाते हैं। किसान जितनी जल्दी खेत से पानी निकालेंगे, उनका उतना ही कम नुकसान होगा।
नुकसान की रिपोर्ट मांगने के दिए हैं निर्देश
कृषि विभाग पंजाब के पोटेटो नोडल अफसर डाॅ. परमजीत सिंह का कहना है कि मौसम की मार से आलू की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इस संबंध में शुक्रवार को आला अधिकारियों की बैठक हुई है। इसमें सभी जिलों को आलू की फसल के हुए नुकसान के बारे में रिपोर्ट तलब करने के आदेश जारी किए गए हैं। पहले ही बारिश ने आलू को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। अगर अब फिर से जालंधर, होशियारपुर व कपूरथला में भारी बारिश हुई तो आलू की फसल काे बड़े स्तर पर नुकसान होगा।
सलाह: खेतों से पानी निकालें किसान
कृषि विकास अधिकारी डाॅ. लाल बहादुर का कहना है कि हाल ही में हुई बारिश ने टमाटर, खीरा व मटर की अगेती खेती को नुकसान पहुंचाया है। आदमपुर, भोगपुर, नकोदर व नवांशहर इलाके में आलू व मटर की फसल को प्रभावित किया है। किसानों को खेतों में खड़ा पानी निकाल कर फसल को बचाने की सलाह दी है। इन किसानों को खीरा, टमाटर व मटर की दोबारा बिजाई करनी पड़ेगी।
खराब फसल का नहीं मिला सही दाम
भोगपुर के किसान अमरजीत सिंह का कहना है कि वह आलू की खेती करते हैं। फसल पर खर्च भी अधिक आता है। बारिश की वजह से खेतों में पानी खड़ा है। पानी खड़ा होने की वजह से आलू जमीन से बाहर आ जाते हैं और खराब हो सकते हैं। इस वजह से आलू का पहला ही आढ़ती सही दाम नहीं देते हैं। बारिश की वजह से लागत भी किसानों के हाथों से चली जाएगी।