उद्घाटन कर खिसक रहे नेता, महामारी के बीच लाइनों में खड़े होकर राशन लेने को विवश गरीब
जिले में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोने ने हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। गरीब लोगों को सरकारी राशन लेने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर लाइनों में लगना पड़ता है।
जालंधर, शाम सहगल। गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को सस्ता राशन देने के लिए चलाई जा रही आटा-दाल स्कीम की खामियां कभी भी खतरनाक साबित हो सकती है। बायोमेट्रिक मशीन के साथ सस्ते गेहूं के वितरण के दौरान शारीरिक दूरी नियमों की धज्जियां उड़ रही है। खास बात यह है कि इस काम की शुरुआत राजनीतिज्ञों द्वारा की जा रही है। उद्घाटन करने के बाद नेता मौके से खिसक जाते है लेकिन महामारी के बीच गरीब राशन लेने को मजबूरी है।
खुले इलाके में ट्रक खड़ा कर होता है वितरण
पंजाब सरकार द्वारा चलाई जा रही आटा-दाल स्कीम के तहत राशन डिपो के नजदीकी किसी खुले इलाके में ट्रक खड़ा करके गेहूं का वितरण किया जाता है। इससे पहले आटा-दाल स्कीम के कार्ड होल्डरों को बुलाकर गेहूं की पर्चियां दे दी जाती है। इसके अगले दिन ट्रक मंगवाकर गेहूं का वितरण किया जाता है। जिसके वितरण से पहले लोगों को नेता द्वारा उद्घाटन करने का इंतजार भी करना पड़ता है।
विधायक से लेकर पार्षद तक की होती है शमूलियत
आटा-दाल स्कीम के तहत गेहूं वितरण के दौरान विधायक से लेकर पार्षद तक की शमूलियत रहती है। आटा-दाल स्कीम का कार्ड बनाने से लेकर गेहूं की पर्ची देने तथा वितरण तक में इनका हस्तक्षेप रहता है। यही कारण है कि गेहूं वितरण करने का उद्घाटन भी नेताओं द्वारा किया जाता है।
दुकान पर राशन दे तो संभव है समाधान
राशन डिपो होल्डर यूनियन के अध्यक्ष अनूप सरीन ने कहा कि अगर सरकार राशन डिपो होल्डर को दुकान पर राशन उपलब्ध करवा दें तो लोगों को दोहरी परेशानी से निजात मिल सकती है। एक तो लोगों को सड़कों पर खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ शारीरिक दूरी तथा स्वच्छता की पालना भी की जा सकेगी। उक्त मांग यूनियन स्तर पर पहले भी की जा चुकी है।