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Punjab Air Pollution: पराली दहन से बढ़ी प्रदूषण की मार, किसानों के खिलाफ एफआइआर से बच रही अमरिंदर सरकार

Punjab Air Pollution पंजाब में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुक रही है। इस कारण राज्‍य में प्रदूषण की मार बढ़ रही है और लोगों का बुरा हाल हो गया है। इसके बावजूद कैप्‍टन सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर एफआइआर दर्ज करने से बच रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 08:12 AM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 10:33 AM (IST)
Punjab Air Pollution: पराली दहन से बढ़ी प्रदूषण की मार, किसानों के खिलाफ एफआइआर से बच रही अमरिंदर सरकार
पंजाब में खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं जारी हैं।

जालंधर, जेएनएन। Punjab Air Pollution: पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस कारण राज्‍य मे प्रदूषण की मार बढ़ गई है और लोगों का बुरा हाल है। प्रदूषण के कारण सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद राज्‍य की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार कार्रवाई करने से बच रही है। पंजाब सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिला फ एफआइआर दर्ज करने से बच रही है।

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26 हजार के पास पहुंची पराली जलाने की घटनाओं की संख्या

पंजाब में इस साल 31 अक्टूबर तक राज्य में पराली जलाने के 25 हजार 976 मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। वर्ष 2019 में इस समय तक यह आंकड़ा करीब 19 हजार था और वर्ष 2018 में 15 हजार तक सीमित था। किसान सरेआम पराली को आग लगा रहे हैं। हवा में प्रदूषण के स्तर में बढ़ता जा रहा है। सभी प्रमुख शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स बिगड़ गया है। सरकार किसानों पर एफआइआर करने से बच रही है। अब तक कुल 298 एफआइआर दर्ज की गई हैं। पिछले एक हफ्ते में न के बराबर एफआइआर हुई हैं।

पराली को आग लगाने के सबसे अधिक 2632 मामले तरनतारन जिले में सामने आए हैं। यहां 1451 के खिलाफ चालान और रेड एंट्री की कार्रवाई की गई है लेकिन एफआइआर मात्र पांच ही दर्ज हैं। एक हफ्ते से एक भी नया केस दर्ज नहीं है। अमृतसर पराली जलाने के 2032 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर है। प्रशासन ने अब तक 836 की पहचान कर 531 की जमीन की रेड एंट्री की है। एफआइआर यहां भी मात्र पांच ही हैं।

पराली जलाने वालों पर एफआइआर का आंकड़ा 300 भी नहीं

जालंधर में पांच मामले सामने आए हैं जिनमें केस दर्ज हैं। लुधियाना जिले में 1052 जगह पराली जलाई जा चुकी है। नवांशहर में 81 मामलों में से 48 में कार्रवाई हुई, लेकिन केस पांच पर ही दर्ज किए गए। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। जहां भी अधिकारी या कर्मचारी कार्रवाई के लिए जाते हैं किसान संगठन उनका घेराव कर लेते हैं। गुस्साए किसानों के आगे सरकार और प्रशासन भी चुप बैठ गया है।

आठ जिलों में एक भी केस दर्ज नहीं

पठानकोट, बठिंडा, फिरोजपुर, फाजिल्का मुक्तसर साहिब, पटियाला, फरीदकोट और रूपनगर में एक भी केस दर्ज नहीं है। पटियाला में पराली को आग लगाने के 2029 मामले सामने आए जिनमें से 923 में रेड एंट्री की कार्रवाई की गई। 695 के चालान किए गए हैं। फिरोजपुर में 2698 मामलों में सिर्फ 16 के चालान किए गए। मुक्तसर में 831 और फरीदकोट में 900 जगह पराली जली लेकिन केस दर्ज नहीं किए गए।

एक या दो केस की खानापूर्ति

होशियारपुर में पराली जलाने के 307 मामले सामने लेकिन अब तक एक ही केस दर्ज है। 60 मामले रेड एंट्री में डाले गए और 79 को जुर्माना किया गया। गुरदासपुर में 300 से अधिक जगह पराली जली है और केस मात्र दो दर्ज हैं। कपूरथला में पराली जलने के केस 1106 पहुंच गए हैं जबकि केस एक ही मामले में दर्ज है। बरनाला में भी यही हालत है।

संगरूर में सबसे अधिक 234 एफआइआर

संगरूर में अब तक सबसे अधिक केस दर्ज किए गए हैं। यहां 1676 मामले सामने आए हैं। 234 मामले रेड एंट्री में डाले गए हैं और 234 मामलों में ही केस दर्ज किया गया है। मोगा में 577 मामलों में 56 के चालान किए गए और 39 केस दर्ज किए गए।

प्रमुख शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स

शहर                एक्यूआइ

अमृतसर-           153

बठिंडा-               183

जालंधर-             176

खन्ना-                205

लुधियाना-          161

मंडी गोबिंदगढ़-   246

पटियाला-          251

रूपनगर-           259 ।

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