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वरदायिनी ब्यास नदी पर 'श्रद्धा' की मार, पूजा सामग्री भी कर रही विषैली

पंजाब के पांच जिलों में 209 किलोमीटर में फैली ब्यास नदी को सीवेज ही नहीं, पूजा सामग्री भी विषैली बना रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 01:39 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 01:46 PM (IST)
वरदायिनी ब्यास नदी पर 'श्रद्धा' की मार, पूजा सामग्री भी कर रही विषैली
वरदायिनी ब्यास नदी पर 'श्रद्धा' की मार, पूजा सामग्री भी कर रही विषैली

जालंधर। पौराणिक काल में जिस नदी में स्नान करना वरदान के समान माना जाता था, आज वही वरदायिनी विपाशा (ब्यास) विषैली हो गई है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पांच जिलों में 209 किलोमीटर के हिस्से में 31 जगह ब्यास में जहर घुल रहा है। 11 स्थानों पर नदी में पूजा की सामग्री व अस्थियां आदि बहाई जाती है। 14 स्थानों पर सीवरेज व अन्य तरह का गंदा पानी डाला जा रहा है।

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कपड़े धोने के अलावा अन्य कई तरह की गतिविधियों से इसका जल प्रदूषित हो चुका है। स्थानीय लोग कहते है कि पहले नदी में बच्चे अठखेलियां करते थे, अब उतरने की हिम्मत नहीं होती। ‘दरिया का दर्द’ सीरीज के तहत हमने पांच जिलों गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला, अमृतसर व तरनतारन जिलों के उन क्षेत्रों का दौरा किया, जहां से ब्यास गुजरती है। इस दौरान हमारी टीम ने पाया कि ब्यास प्रशासन की लापरवाही के साथ-साथ लोग भी इसके प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।

तरनतारन में बदबू से जीना मुहाल

तरनतारन के गांव वैरोवाल से शुरू होकर हरिके पत्तन तक 52 किलोमीटर का इलाका दरिया ब्यास कवर करता है। यहां इंडस्ट्री का वेस्ट तो दरिया में नहीं पड़ता, लेकिन श्री गोइंदवाल साहिब में सीवरेज का पानी जरूर डाला जाता है। इस कारण यहां उठती बदबू से आसपास के लोग परेशान रहते हैं।

श्री गोइंदवाल साहिब के अलावा मुंडा पिंड, खख व किड़िया गांवों से होकर बहते दरिया में किसान अपने पशुओं को नहलाते हैं। गोइंदवाल घराट के पास दरिया में लोग अस्थियां प्रभावित करते हैं। श्री गोइंदवाल साहिब के निवासी मुख्तार सिंह का कहना है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सही ढंग से न बनाए जाने के कारण पूरे नगर की गंदगी दरिया ब्यास में फेंकी जा रही है।

गुरदासपुर में सीवरेज के पानी ने किया बेहाल

गुरदासपुर के बटाला में ब्यास दरिया कीड़ी अफागना से शुरू होकर भेंट पत्तन, रजोआ, श्री हरगोबिंदपुर, माड़ी बुच्चियां, टांडे, बल्लरवाल, कपूरा से होते हुए घोलबागा तक के 35 किलोमीटर तक का क्षेत्र कवर करता है। चड्ढा शुगर मिल का शीरा ब्यास में गिरने के बाद मामला गर्म है। भेंट पत्तन समेत रास्ते में आते करीब छह गांवों की ढाणियों का इस्तेमाल हुआ पानी दरिया में बहाया जाता है।

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श्री हरगोबिंदपुर इलाके में बहते ब्यास दरिया में करीब पंद्रह हजार आबादी वाले श्री हरगोबिंदपुर, तलवाड़ा और रामपुर कस्बे का सीवरेज का पानी पिछले लंबे समय से फेंका जा रहा है। गांव भेंट पत्तन के पास गुज्जरों के डेरे का सीवरेज और घरों का पानी भी ब्यास दरिया में ही बहाया जा रहा है। ब्यास दरिया को बचाने के लिए सरकार गंभीर हो।

कपूरथला में दरिया पर ग्रहण बनी काली बेईं

गुरदासपुर के कस्बा हरगोबिंदपुर के बाद भुलत्थ विधानसभा क्षेत्र से दरिया ब्यास कपूरथला जिले में प्रवेश करता है। दरिया करीब 47 किलोमीटर का सफर तय करते हुए सुल्तानपुर लोधी तहसील के गांव बाउपुर व आहली कला से होते हुए गिदड़पिडी गांव से जालंधर जिले में प्रवेश करता है। कपूरथला जिले में दरिया ब्यास के किनारे कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं है।

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काली बेई में कपूरथला व भुलाणा कॉलोनियों (आरसीएफ के पास) का गंदा पानी पड़ता है। जिले में ढिलवा व गोइंदवाल साहिब पुलों के पास दरिया में कपड़े धोए जाते हैं। नबीपुर गांव के नंबरदार तरसेम सिंह ने बताया कि दरिया में शीरा पड़ने के बाद उठती दरुगध से आसपास रहने वाले लोगों का सांस लेना दुश्वार हो गया था। अब पानी पूरी तरह साफ हो गया है।

अमृतसर में पवित्र नदी को बनाया कूड़े का डंप

अमृतसर में ब्यास दरिया का क्षेत्र 15 किलोमीटर है। दरिया गुरदासपुर से ब्यास के गांव शेरो बागा में प्रवेश करता है और यहां से विभिन्न गांवों से होते हुए भलोजला से कपूरथला और फिर हरिके पत्तन तक जाता है। गांव कोट मेहताब व गगड़ेवाल में आवाजाही कम होने की वजह से लोग ट्रकों में कूड़ा, प्लास्टिक व अन्य प्रकार का अपशिष्ट पदार्थ भरकर लाते हैं और यहां फेंक जाते हैं।

ब्यास दरिया पर बने पुल की दाईं तरफ पगडंडी पर अस्तघाट मंदिर स्थित है। लोग यहां पूजा अर्चना के बाद मृतकों की अस्थियां प्रवाह करते हैं। गांव कोट मेहताब निवासी सुबेग सिंह बताते हैं कि एक समय था जब बच्चे इस नदी में अठखेलियां करते थे। वर्तमान में नदी का मटमैला और दूषित जल देखकर इसमें उतरने की हिम्मत नहीं होती।

होशियारपुर में ब्यास में घुल रहा जहर

हिमाचल प्रदेश से होशियारपुर में प्रवेश के बाद ब्यास जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, इसमें प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है। होशियारपुर जिले के साथ मानसर से शुरू होकर मुकेरियां दसूहा होते हुए टांडा तक ब्यास दरिया लगता है। करीब 60 किलोमीटर में फैले दरिया के आसपास के गांवों में पंचायतों की ओर से गंदे पानी की निकासी के लिए गांव स्तर पर नाले बनाए गए हैं।

मुकेरियां के गांव बाऊपुर, मीरपुर चक्कवाल, मेहताबपुर, मौजोवाल, पलाकी, सलाहरियां, कलोते व शंटा के नाला का पानी दरिया में गिरता है। टांडा पुल, धनोया पुल व नुशैहरापत्तन पुल से लोग पूजन सामग्री दरिया में डालते हैं। कंडी इलाका होने के कारण होशियारपुर में उद्योगों का विस्तार नहीं हुआ है, जिस कारण इंडस्ट्री अपशिष्ट से बचाव हो गया। सरदूलपुर कलोटा की सरपंच के पति तरसेम मिन्हास ने कहा कि समस्या तो है। इंडस्ट्री तो नहीं, लेकिन कई गांवों का पानी दरिया में गिरता है, जो चिंता का कारण है।

तरनतारन

  • दरिया का क्षेत्र: 52 किलोमीटर
  • सीवरेज का पानी पड़ता है : 1 जगह
  • पशुओं को नहलाते हैं: 4 जगह
  • अस्थियां प्रवाहित करते हैं: 1 जगह

गुरदासपुर

  • दरिया का क्षेत्र: 35 किलोमीटर
  • पूजन सामग्री डालते हैं लोग: 2 जगह
  • सीवरेज का पानी पड़ता है: 2 जगह
  • अस्थियों का विसर्जन: 2 जगह

होशियारपुर

  • दरिया का क्षेत्र: 60 किलोमीटर
  • पूजन सामग्री डालते हैं लोग: 3 जगह
  • गांवों का गंदा पानी पड़ता है: 8 जगह

अमृसतर

  • दरिया का क्षेत्र: 15 किलोमीटर
  • पूजन सामग्री डालते हैं लोग: 1 जगह
  • कूड़ा डालते हैं लोग: 2 जगह

कपूरथला

  • दरिया का क्षेत्र: 47 किलोमीटर
  • दरिया में धुलते हैं कपड़े: 2 जगह
  • पूजन सामग्री डालते हैं लोग: 2 जगह
  • शहर का गंदा पानी पड़ता है: 1 जगह

 (इनपुट: सचिन शर्मा, सुनील प्रभाकर, नितिन धीमान, गुरदर्शन सिंह प्रिंस, हरनेक सिंह जैनपुरी, धर्मबीर सिंह मल्हार)

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