शादी को महीना भी न हुआ और करने लगा दहेज के लिए परेशान, पति पर केस दर्ज
गजल उर्फ शिवानी कोचर की शादी 22 नवंबर 2019 को पवन कोचर के साथ हुई थी। युवती का आरोप है कि शादी के बाद ससुराल वाले उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे।
जालंधर, जेएनएन। शादी को महीना भी नहीं हुआ और पति ने पत्नी को दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसे घर से धक्के मारकर निकाल दिया। नवविवाहिता ने इसकी शिकायत पुलिस को कर दी। पुलिस ने एसीपी की जांच के बाद आरोपित पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कर लिया है।
गजल उर्फ शिवानी कोचर निवासी बाग करम बख्श ने बीस दिसंबर, 2019 को शिकायत दी थी कि उसकी शादी 22 नवंबर, 2019 को पवन कोचर के साथ हुई थी। शादी के बाद जब वह मायके फेरा डालने आई तो ससुराल वालों ने उसके परिजनों को बेइज्जत कर दिया। उसके चरित्र पर भी शक कर रहे हैं। पति पवन व उसकी माता ने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। रात दो बजे मेरे चरित्र पर सवाल किया और मेरा फोन भी जब्त कर लिया। सास ने उसे पुराने दोस्तों से बात करने से मना कर दिया। मुझे दिल्ली जाने और घरवाले से मिलने से इंकार कर दिया। 14 दिसंबर की रात दस बजे उसके भाई-बहन ससुराल आए तो उन्हें अंदर नहीं आने दिया। पिता ने फोन किया तो इन्होंने फोन नहीं उठाया।
18 दिसंबर, 2019 को उसके नाना-नानी का फोन आया कि तुम्हारे मम्मी-पापा यहां आए हैं। इसके बाद ससुराल वालों ने उनसे मिलने के लिए भेज दिया। तब वो कोई गहने, कपड़ा, पैसा या कोई कीमती सामान लेकर नहीं आई। इसके बाद वो अपने मायके आ गई।
जांच में सास को क्लीन चिट
एसीपी बिमलकांत ने मामले की जांच की। एसीपी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक गजल उर्फ शिवानी निवासी ईस्ट शालीमार बाग, नई दिल्ली की शादी 22 नवंबर 2019 को पवन कोचर के साथ हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद ही पति उसे दहेज की मांग को लेकर परेशान करने लगा। 19 दिसंबर को गजल कोचर को उसके पति ने धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया। उसके बाद से वो अपने माता-पिता के साथ रह रही है। पति ने उसे दोबारा बसाने की कोशिश नहीं की। एसीपी ने कहा कि जांच में यौन उत्पीड़न जैसी कोई बात सामने नहीं आई। सास पुष्पा को भी उन्होंने क्लीनचिट दे दी कि गजल की निजी जिंदगी में उसका कोई दखल नहीं था। इसके बाद एसीपी ने पति के खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश कर दी। मामले में डीए लीगल की राय ली गई। डीए लीगल ने एसीपी की रिपोर्ट पर सहमति जताते हुए धारा 406, 498ए आइपीसी के तहत केस दर्ज करने की सिफारिश कर दी।