Move to Jagran APP

पुलिस से पटखनी खा गए खली

डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिग में दलीप सिंह यानि द ग्रेट खली दुनिया के बड़े-बड़े रेसलरों को पटकते दिखे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 01:28 AM (IST)
पुलिस से पटखनी खा गए खली
पुलिस से पटखनी खा गए खली

डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिग में दलीप सिंह यानि द ग्रेट खली दुनिया के बड़े-बड़े रेसलरों को पटकते दिखे। व‌र्ल्ड हैवीवेट चैंपियन भी बने लेकिन जब मुकाबला पंजाब पुलिस से हुआ तो बुरी तरह हार खानी पड़ी। असल में द ग्रेट खली होशियारपुर रोड पर रेसलिंग एकेडमी चलाते हैं। यहा उनके एक रेसलर को कुछ लड़कों ने पीट दिया। पहले तो लोगों को यही हजम नहीं हुआ कि जिसे खली डब्ल्यूडब्ल्यूई के तैयार कर रहे हैं वो खुद पिट गया लेकिन बाद में भड़ास खली की भी निकली। रेसलर की पिटाई पर पुलिस ने कोई संगीन मारपीट की धाराएं नहीं लगाई, बस इसी से खली का माथा ठनक गया और बोले कि पंजाब पुलिस उनके साथ इंसाफ नहीं कर रही है। पुलिस ने बनती धाराओं में केस दर्ज नहीं किया। जिस पंजाब पुलिस का खली कभी खुद भी हिस्सा थे, उसी ने खली को पटक दिया। आबादी 10 लाख, हस्ताक्षर 35..

loksabha election banner

हाल ही में आरटीए दफ्तर ने सड़क सुरक्षा सप्ताह निपटाया। जिस तरह आरटीए की सचिव नयन जस्सल ने 11 से 18 जनवरी तक चलने वाले सड़क सुरक्षा सप्ताह की 10 जनवरी की शाम ही शुरूआत कर दी तो सबको उम्मीदें बंधी कि इस बार जागरूकता खूब फैलेगी। फिर हफ्ता गुजरते-गुजरते उम्मीदें भी टूटती गईं। महज फोटो खिंचवाई की रस्म तक सप्ताह निपट गया। इस सबके बीच सबसे अहम वो बैनर है, जिस पर आरटीए सचिव ने खुद साइन कर जागरूकता की शुरूआत की थी। शहर की आबादी 10 लाख के आसपास है और हर रोज सैकड़ों लोग उनके जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स स्थित दफ्तर में लाइसेंस से लेकर आरसी संबंधी काम करवाने पहुंचते हैं। लेकिन ट्रैफिक नियमों की जागरूकता वाले इस बैनर में सिर्फ 35 ही लोगों के साइन हो सके हैं। अब आरटीए दफ्तर के बाहर टंगा यह बैनर भी अफसरों को चिढ़ा रहा है।

चलो, सीपी ने सुनवाई तो की पब्लिक के टैक्स से वेतन लेने वाले जनता के नौकर यानी अफसर टौर से कुर्सी पर बैठें और पब्लिक बेचारी मिलने के लिए खड़ी होकर नंबर का इंतजार करे। कुछ ऐसा ही हाल पुलिस कमिश्नरेट आफिस का था। जब वहां फरियादियों के बैठने की व्यवस्था न होने का मुद्दा उछला तो पुलिस अफसरों को पब्लिक पर मुश्किल से थोड़ा तरस आया है। कुछ कुर्सिया और लगवा दी हैं, जिसमें लोग बैठकर अफसरों के पास अपनी बारी आने का इंतजार कर सकते हैं। यह कदम तो अच्छा है लेकिन अफसर हर रोज इंसाफ के लिए पुलिस चौकियों व थानों के धक्के खाते हुए पुलिस कमिश्नरेट आने वाले सैकड़ों लोगों की संख्या का सही तरीके से अंदाजा नहीं लगा पाए। अब भी कुर्सिया पर्याप्त नहीं हैं। बहुत से लोग खड़े होकर समय काटते हैं। अब सबको उम्मीद यही है कि शायद अफसरों का दिल और पसीजे। - उपलब्धि नहीं तो आउटस्टैंडिंग ही सही

गणतंत्र दिवस समारोह में किस-किसको सम्मानित किया जाए, इसको लेकर खूब माथापच्ची हुई। होनी ही थी क्योंकि लिस्ट 270 की पहुंच गई थी। उसमें भी कई तो विधायकों की सिफारिश ले आए। थोड़ा तसल्लीबख्श सूची बने तो डीसी कैंप ऑफिस में ही इस पर चर्चा हुई। एक दिन पहले देर रात तक बड़ी मुश्किल से115 नाम तय हो गए। वो बात अलग है कि इस सूची में दसवीं की टॉपर मुस्कान का नाम दो बार आ गया। अगले दिन समारोह हुआ तो गिनती 136 हो गई। लिस्ट आई तो खबरनवीस ढूंढने लगे कि चलो किसने क्या-क्या महान काम किया या क्या प्रतिभा रही ? कुछ में था, तो कुछ के आगे देख माथा ठनका कि सिर्फ आउटस्टैंडिंग ही लिखा था। किसी अफसर को टटोला कि आपकी डिक्शनरी में ये आउटस्टैडिंग के मायने क्या हैं? तो मुस्कुराकर बोले, ये तो सबको पता ही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.