कांग्रेस के राज में भी पुलिस को अकालियों का डर, इस मामले में अब तक नहीं हुई कार्रवाई
राज्य में सरकार भले ही कांग्रेस की आ गई है लेकिन पुलिस अभी भी अकालियों से खौफ खाती है
जालंधर, [मनीष शर्मा]। राज्य में सरकार भले ही कांग्रेस की आ गई है, लेकिन पुलिस अभी भी अकालियों से खौफ खाती है। यही वजह है कि लगभग सवा साल पहले हाईवे जाम करने पर अकाली विधायकों व उनके समर्थकों के खिलाफ थाना लोहियां में दर्ज हुए केस में जालंधर देहात पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। केस में नामजद आरोपितों ने न तो अग्रिम जमानत ली है और न ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। इस केस को दर्ज हुए इतना लंबा टाइम होने के बावजूद पुलिस ने अभी तक अदालत में चालान तक पेश नहीं किया।
सबसे हास्यास्पद है कि सोशल एक्टीविस्ट परविंदर कितना को आरटीआइ के तहत सूचना देकर देहात पुलिस खुद अपनी नाकामी को कबूल कर रही है। इस पर कितना ने मुख्यमंत्री, गृह सचिव व डीजीपी को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। कितना ने बताया कि आरटीआइ के जवाब में पुलिस ने बताया कि विधायक रहे अजीत सिंह कोहाड़ की मौत हो चुकी है, जबकि बाकियों की गिरफ्तारी अभी होनी है। फिलहाल किसी ने अग्रिम जमानत भी नहीं ले रखी है। चालान के बारे में पूछने पर पुलिस ने कहा कि अभी मामले की जांच की जा रही है।
दिसंबर 2017 में दर्ज हुआ था केस
कैप्टन सरकार पर ज्यादती करने का आरोप लगा अकाली दल ने पूरे पंजाब में रोष प्रदर्शन किए थे। जालंधर देहात में गिद्दड़पिंडी में सतलुज दरिया पर बने पुल पर भी जाम लगाया गया। पुलिस ने थाना लोहियां में 8 दिसंबर 2017 को एसएचओ एसआइ सतिंदर कुमार की शिकायत पर पूर्व मंत्री व तत्कालीन विधायक अजीत सिंह कोहाड़ (कुछ समय पहले मौत हो चुकी है), विधायक पवन टीनू, विधायक गुरप्रताप वडाला, विधायक बलदेव खैहरा, सेठ सतपाल मल, एसजीपीसी सदस्य बलदेव सिंह कल्याण, मनजिंदर सिंह, केवल सिंह, जत्थेदार चरन सिंह, जगजीत सिंह, रणजीत सिंह, दलजीत सिंह, एसजीपीसी मेंबर परमजीत सिंह, पूर्व चेयरमैन गुरतेज सिंह, विधायक वडाला का पीए लश्कर सिंह, बलजिंदर सिंह, गुरनाम सिंह खालसा, जसविंदर सिंह, चमकौर सिंह, साबी, गुरचरन सिंह, रणजोध सिंह, राजिंदर सिंह, बलदेव सिंह, गोविंद लाल के साथ लगभग 100-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
पुलिस कर रही है पक्षपात
आरटीआइ एक्टीविस्ट कितना ने कहा कि पूरे मामले में स्पष्ट है कि आम आदमी और नेताओं के लिए कानून के मायने अलग हैं, जिसे जालंधर देहात पुलिस पूरी तरह साबित कर रही है। पुलिस अफसर इस मामले में पक्षपातपूर्ण नीति अपना रहे हैं।
एसएसपी उलटा मीडिया से करने लगे सवाल
जब संबंध में जब जालंधर देहात पुलिस के एसएसपी नवजोत माहल से पूछा गया तो उन्होंने उलटा मीडिया से ही सवाल किया कि क्या उसमें आपकी कोई दिलचस्पी है। इसके बाद उन्हें परविंदर कितना की आरटीआइ व सरकार को शिकायत की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच करेंगे की केस की कार्रवाई कहां तक पहुंची है। इसके बाद ही कुछ कह सकते हैं।