पैसा कमाने के शौक ने बना दिए लुटेरे, 50 से अधिक वारदातों को दिया अंजाम
पुलिस ने लूटपाट करने वाले गिरोह के जिन चार सदस्यों को काबू किया है उनकी उम्र 19 साल से 21 साल की है।
जेएनएन, जालंधर। बीटेक करने के बाद अपने तीन दोस्तों के साथ लूट और चोरी की वारदातें करने वाले गांव मोहरी चक्क, होशियारपुर निवासी मनिंदर उर्फ मनी को थाना भोगपुर की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मनी अपने तीन साथियों गांव मोहरी चक्क निवासी गुराम सिंह उर्फ गोपी, सनमदीप सिंह उर्फ गोली और गांव सिपरियां, होशियारपुर निवासी प्रिंस कुमार के साथ मिलकर चोरी और लूट का सामान बेचने के लिए भोगपुर, भुलत्थ मोड़ के पास से पुलिस के हत्थे चढ़ा। पत्रकारों से बातचीत करते हुए एसपी राजवीर सिंह और एसपी रविन्द्र पाल सिंह संधू ने बताया कि भोगपुर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दविंदर सिंह को मिली गुप्त सूचना के आधार पर एएसआइ गुरनाम सिंह ने भुल्तथ मोड़ पर नाकाबंदी कर बाइक पर आ रहे चार युवकों को रोका। उनकी तलाशी लेने पर चोरी का सामान मिला।
चारों के पास से पुलिस को दो लाइटर पिस्तौल, एक पोच पिस्तौल, 50 मोबाइल, 30 बैटरियां, 46 चार्जर, 1 शेविंग मशीन, 1 डोंगल बरामद हुई है। उनके पास से चोरी और लूट में इस्तेमाल की जाने वाली दो बाइक भी मिली हैं। थाना भोगपुर के प्रभारी इंस्पेक्टर दविंदर सिंह ने बताया कि चारों को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। रिमांड के दौरान चोरी और लूट की अन्य वारदातें हल करवाने का प्रयास किया जाएगा।
पैसा कमाने के शौक ने अच्छे घरों के बच्चों को बना दिया लुटेरे
पैसा कमाने का शौक तो हर किसी को होता है लेकिन इस शौक के चलते कुछ अच्छे घरों के बच्चे लुटेरे बन गए। वीरवार को थाना भोगपुर की पुलिस ने लूटपाट करने वाले गिरोह के जिन चार सदस्यों को काबू किया है, उनकी उम्र 19 साल से 21 साल की है। मनी, गोपी, गोली और मनी पढ़े लिखे परिवारों से हैं और खुद भी पढ़े लिखे हैं। मनी ने पिछले साल ही बीटेक की है और मनी के तीनों साथी डिप्लोमा होल्डर हैं, जिनमें से गोपी, गोली ने कम्प्यूटर हार्ड वेयर डिप्लोमा किया है। जल्द अमीर बनने के लिए उन्होंने पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता अपना लिया।
ऐसे करते थी चोरी
दो चोरी और लूट की वारदात को अंजाम देते थे और दो पास ही रखवाली करते थे कि कहीं कोई मुसीबत न आ जाए। चारों एक ही कॉलेज में पढ़े हैं और चारों से एक साथ ही चोरी और लूट की प्लानिंग बनाई थी। करीब एक साल पहले उन्होंने मिल कर एक मोबाइल छीना, उसे बेच के खाया पिया और ऐश की। पैसे खत्म हुए तो कमाने का यह सबसे आसान रास्ता लगा। बस फिर उसके बाद महिलाओं और श्रमिकों से मोबाइल छीनने के साथ साथ चोरी करना भी शुरू कर दिया। बीते दिनों एक कम्प्यूटर, मोबाइल शोरूम से भी काफी सामान चुराया था जो पुलिस ने बरामद कर लिया।
लाइटर वाले पिस्तौल दिखाकर महिलाओं व श्रमिकों से छीन लेते थे मोबाइल
छीना झपटी करने और चोरी करने के बाद सभी को थोड़े-थोड़े पैसे मिलते थे तो सभी ने मिल कर बड़ी वारदात को अंजाम देने का मन बनाया। उनके हाथ असली पिस्तौल नहीं लग रही थी जिसके चलते उन्होंने खिलौना पिस्तौल और लाइटर वाले पिस्तौल खरीद लिए। इसके बाद वो सुनसान रास्तों पर किसी अकेले व्यक्ति को ढूंढते और वारदात को अंजाम दे देते थे। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि पिस्तौल दिखा कर उन्होंने कितनी वारदातों को अंजाम दिया है।
रेकी कर देते थे चोरी और लूट की वारदातों को अंजाम
मनी और उसके साथी चोरी करने से पहले रेकी करते थे। जिस दुकान या घर में चोरी करनी होती थी, पहले वहां का माहौल अच्छी तरह से देखते, उसके बाद रात को भी उसी जगह पर यह देखते कि आना किसी तरफ से है और निकलना किस तरफ से है। इसके बाद दो लोग चोरी की वारदात को अंजाम देते और दो बाहर यह देखते कि कोई आ तो नहीं रहा है। ऐसा ही चारों लूट के मामले में भी करते थे।
घरवालों को लगता था बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई, बच्चे करते थे लूटपाट
बताया जा रहा है कि चारों ने चोरी और लूट की वारदातों को अंजाम उसी समय से देना शुरू कर दिया था जब पढ़ाई करते थे। उनके घरवाले, जो प्राइवेट नौकरी या अपना बिजनेस कर रहे हैं, यही सोचते थे कि उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन उनको यह नहीं मालूम था कि उनके पढ़े लिखे बच्चे जल्द अमीर बनने के चक्कर में अपराध की दलदल में फंस चुके हैं।
पचास से अधिक वारदातों को दे चुके हैं अंजाम
जानकारी के मुताबिक चारों अभी तक चालीस से लेकर पचास वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। उनके पास से 50 तो मोबाइल ही बरामद हुए हैं। इसके अलावा चोरी और लूट का काफी सामान बेच भी चुके हैं। पुलिस रिमांड के दौरान यह पता लगा रही है कि उन्होंने चोरी और लूट की वारदातें कहां-कहां पर की हैं और किस किस को अभी तक चोरी और लूट का सामान बेचा है। पुलिस उन लोगों पर भी शिकंजा कसेगी जिन लोगों ने सामान खरीदा है।