घुमक्कड़ः डीसी साब दा बूटा ‘सुक’ गेया... और किस्सा डीसी की कुर्सी का...
आइए नजर डालते हैं पुलिस और जिला प्रशासन से जुड़ी उन खबरों पर जो अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाईं पर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
जालंधर, जेएनएन। जिले का पुलिस प्रशासन अपनी कारगुजारी के लिए अक्सर खबरों में बना रहता है। हालांकि कई खबरें आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। इन्हीं में से कुछ चुनिंदा चर्चाओं और खबरों को अपने चुटीले अंदाज में साझा कर रहे हैं हमारे संवाददाता मनीष शर्मा। आइए, डालते हैं एक नजर।
डीसी साब दा बूटा ‘सुक’ गेया
जिला प्रशासकीय परिसर को हरा-भरा बनाने के लिए डिप्टी कमिश्नर वरिंदर शर्मा ने अच्छी पहल की थी। छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक जिसमें वह खुद भी शामिल थे ने एक-एक पौधा लगाकर उसकी जिम्मेदारी संभालने को कहा था। पूरे परिसर में पौधे लगे। कौन सा पौधा किसका है? इसकी नेम प्लेट भी लगी। इस पहल की खूब सराहना हुई थी। होनी भी थी क्योंकि बयानबाजी के उलट यह एक जमीनी कोशिश थी। पौधे खूब लग गए पर डीसी का लगाया पौधा सूख गया। इसकी देखभाल नहीं हुई या पौधा ही खराब क्वालिटी का निकला, ये तो भगवान जाने लेकिन उनके दफ्तर के गेट के बगल में यह सूखा पौधा आने-जाने वालों को मुंह चिढ़ा रहा है। इसकी सुरक्षा के लिए डीसी की नेम प्लेट वाला ट्री-गार्ड भी मजाक बनकर रह गया है।
कौन होगा नया डीसी, सीपी
जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स हो या पुलिस कमिश्नरेट, सब जगह डिप्टी कमिश्नर व पुलिस कमिश्नर की ट्रांसफर के चर्चे हैं। सब अपना अंदाजा लगा रहे हैं। चर्चा यह है कि डीसी वरिंदर शर्मा का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है और अब वो लुधियाना जाएंगे। यहां विपुल उज्जवल आएंगे। कभी चर्चा होती है शायद लुधियाना वाले प्रदीप अग्रवाल आ जाएं। बात गिरीश दयालन की भी होती है। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर को वैसे अभी साल-सवा साल ही हुआ है। चर्चा है कि वो लुधियाना जा सकते हैं। वह इसके इच्छुक भी बताए जाते हैं। कयास हैं कि लुधियाना वाले राकेश अग्रवाल जालंधर के सीपी बनेंगे। बात जब विपुल उज्जवल के डीसी बनकर आने की होती है तो उनकी पत्नी सोनाली गिरी के निगम कमिश्नर आने की भी हो रही है।
सीपी दफ्तर से बोतलें गायब
लावारिस कुत्ताें से शहरवासी ही परेशान नहीं हैं बल्कि उन्होंने पुलिस कमिश्नरेट की नाक में भी दम कर रखा है। यह ऐसे अपराधी है, जिन पर न पुलिस के डंडे का असर होता और ना ही यह खाकी से डरते हैं। ना तो इन्हें कानून की समझ है और ना ही इन पर कोई कानून लागू होता है। नतीजा, कुत्ते भगाने के लिए कर्मचारियों ने डंडा फटकारने की आदत छोड़ टोटके का सहारा लिया। कुछ बोतलों में नील पाउडर का घोल भरा और पुलिस कमिश्नर दफ्तर के बाहर टांग दी। उन्हें लगा कि आवारा कुत्ते इससे भाग जाएंगे। वो बात अलग है कि कुछ दिन बाद कुत्ते उन बोतलें के घेरे के भीतर ही धूप सेंकते नजर आने लगे। अब आवारा कुत्ताें पर तो इन बोतलें का असर हुआ नहीं लेकिन कोई इन बोतलों को ही चोरी कर ले गया। वहां पुलिस वाला बोला, लगता है कोई हमसे भी ज्यादा परेशान है।
बधाई ओह बी सुक्की
यहां गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में नेकी की दीवार बनी है। खिलौना बैंक भी बन गया। पहल रेडक्रास सोसाइटी की है लेकिन यहां नेकी की जरूरत वाले ज्यादा आ रहे हैं और नेकी करने वाले कम। सोसाइटी के प्रधान डीसी विरंदर शर्मा वहां गए और जरूरतमंदों को कंबल बांटे। जरूरतमंदों की जरूरत देख वो समझ गए कि एक दिन कंबल बांटने से कुछ नहीं होगा। इसलिए उन्होंने सोशल मीडिया पर अपील जारी की। लोगों से कहा - अपने पुराने कपड़े, बर्तन, जूते, खिलौने यहां दें ताकि हम उसे जरूरतमंदों तक पहुंचा सकें। अब डीसी को इस पहल के लिए सोशल मीडिया पर तो खूब वाहवाही मिली लेकिन नेकी करने वाले दीवार पर नजर नहीं आए। बदलाव तो सब चाहते हैं लेकिन बदलना कोई नहीं चाहता। जरूरतमंदों की मदद हो, ये सब चाहते हैं लेकिन करने वाले नजर नहीं आ रहे।