दिन भर चली पुलिस की कार्रवाई, फिर भी असुरक्षित वाहनों में ढोए जा रहे स्कूली बच्चे
संगरूर में स्कूली वैन के जानलेवा हादसे का शिकार होने के बाद हरकत में आया प्रशासन सिर्फ कागजों में अपनी कारगुजारी अच्छी साबित करने में लगा हुआ है।
जालंधर, जेएनएन। संगरूर में स्कूली वैन में आग लगने से चार बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री द्वारा स्कूली वाहनों की जांच व कार्रवाई के लिए दिए गए निर्देशों के बाद हरकत में आई पुलिस, आरटीए और एसडीएम ने सोमवार सुबह विभिन्न चौकों पर कार्रवाई की। इस दौरान जिले में कुल 155 वाहनों के चालान तो काटे गए लेकिन जमीनी स्तर पर कोई डर नहीं दिखा। दिन भर शहर में सैकड़ों की तादाद में असुरक्षित स्कूली वाहन घूमते रहे। अधिकतर वाहनों में उसकी क्षमता से कई गुना अधिक स्कूली बच्चे ढोए जा रहे थे।
पुलिस ने सुबह जिन बसों का चालान काटा, वह शाम के समय भी ओवरलोड ही मिलीं। साथ ही अनफिट वाहन भी धड़ल्ले से स्कूली बच्चों को ढोते रहे। शहर में कैंट रोड खालसा कॉलेज चौक, बीएमसी चौक, मॉडल टाउन, वर्कशॉप चौक, नकोदर चौक, गुरु रविदास चौक सहित अन्य चौराहों में यही हाल देखने को मिला।
ट्रैफिक पुलिस ने 107 वाहनों के काटे चालान
ट्रैफिक पुलिस ने सोमवार सुबह शहर के विभिन्न चौराहों पर नाकेबंदी कर सेफ स्कूल वाहन स्कीम और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 87 स्कूली बसों और स्कूली बच्चो को ढो रहे 20 ऑटो के चालान काटे, जिन में से चार बसों और दो ऑटो को बंद कराया गया।
आरटीए और एसडीएम ने काटे 57 स्कूली बसों पर की कार्रवाई
इसी तरह जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए शहर, नकोदर, शाहकोट और फिल्लौर में स्कूली बसों को ढो रही 140 बसों की जांच करते हुए 48 बसों के चालान काटे और नौ बसों के इंपाउंड किया। इनमें से आरटीए ने 26 बसों के चालान काटे और छह को इंपाउंड किया। इस दौरान आरटीए व एसडीएम जालंधर टू ने 1.27 लाख का जुर्माना भी वसूला।
करतारपुर में बिना लाइसेंस और ओवरलोडिंग पर काटे चालान
एसडीएम टू राहुल सिंधू की अगुवाई में टीम ने करतारपुर स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल, गुरु अर्जुन देव स्कूल तथा सेंट सोल्जर स्कूलों की बसों की जांच की। जिसमें तीन स्कूली बसों का चालान काट कर करीब 40 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया। एक स्कूल की बस के ड्राइवर का लाइसेंस खत्म होने पर भी बस चलाने पर उससे पांच हजार जुर्माना वसूला गया। तीन बसों को जब्त किया गया।
इन वजहों से काटे गए चालान
डीसीपी नरेश डोगरा ने बताया कि ज्यादातर वाहनों में किसी तरह का कोई सुरक्षा उपाय जैसे आपातकाल की स्थित होने पर आग बुझाने के यंत्र नही थे। इसी तरह कुछ बसें अनफिट थीं, जिन्हें जब्त कर लिया गया, जबकि अधिकतर बसों में ओवरलो¨डग पाई गई। इसी तरह कुछ मामलों में बस के चालक के पास लाइसेंस भी नहीं था।
सही नहीं है स्कूली बसों का रिकॉर्ड
रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी यानि आरटीए के दफ्तर में स्कूली बसों का सही रिकॉर्ड ही नहीं है। यहां तैनात कर्मचारियों ने स्कूली बसों को परमिट जारी करने का रिकॉर्ड ऑनलाइन व ऑफलाइन के चक्कर में फंसा रखा है। कर्मचारियों के मुताबिक उनके दफ्तर से दो हजार बसों को परमिट जारी किए गए हैं लेकिन उनका रिकॉर्ड मैनुअल है। वहीं ऑनलाइन जो रिकॉर्ड दिख रहा है, उसमें सिर्फ 267 स्कूल बसें ही दिख रही हैं। जाहिर है, बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी स्कूल बसों के रिकॉर्ड को लेकर आरटीए दफ्तर में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
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