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बेवजह एंटीबायोटिक्स दवाओं का प्रयोग खतरनाक, इलाज से पहले गंभीर मरीजों का करवाएं संपूर्ण टेस्ट

इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में टैगोर अस्पताल के डा. जैड जोशी ने कहा कि आईसीयू में मरीज पहुंचने पर एंटीबायोटिक्स रजिस्टेंस की वजह से दवाइयां बेअसर साबित होने लगती हैं। इसलिए अकारण एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 03:57 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 04:15 PM (IST)
बेवजह एंटीबायोटिक्स दवाओं का प्रयोग खतरनाक, इलाज से पहले गंभीर मरीजों का करवाएं संपूर्ण टेस्ट
इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में डा. जैड जोशी को सम्मानित किया गया।

जागरण संवाददाता, जालंधर। गली मोहल्लों में बिना डिग्री प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की ओर से मरीजों के इलाज में धड़ल्ले से बेवजह एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, लोग अपनी मर्जी से दवा विक्रेताओं से एंटीबायोटिक्स खरीद कर इस्तेमाल कर रहे हैं। भविष्य में इसके नतीजे खतरनाक साबित हो सकते हैं। यह जानकारी रविवार को इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में टैगोर अस्पताल के डा. जैड जोशी ने दी। इस मौके पर डा. जोशी को सम्मानित भी किया गया।

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उन्होंने कहा कि गंभीर हालत में आईसीयू में मरीज पहुंचने पर एंटीबायोटिक्स रजिस्टेंस की वजह से दवाइयां बेअसर साबित होने लगती हैं। इस वजह से मरीज गंभीर होने लगते हैं। मरीजों को ज्यादा समय तक आईसीयू में रहने से अतिरिक्त आर्थिक बोझ झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज से पहले उनके संपूर्ण टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि पता चल सके कि मरीज के इलाज के लिए कौन सी एंटी बायोटिक दवा कारगर सिद्ध होगी। उसके आधार पर इलाज की दिशा तय करने से मरीज को जल्द आराम मिलता है। इसके अलावा आधुनिक तकनीक से तैयार दवाइयों से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को खत्म करना संभव है।

अकारण न करें एंटीबायोटिक्स का सेवन

उन्होंने लोगों को बेवजह एंटीबायोटिक का सेवन न करने की सलाह दी । इस मौके पर डा. मीनाक्षी आनंद, डा. अवनीश भगत, डा. वंदना, डा. तरनदीप,  डा. अश्वनी सूरी, डा. रमेश आनंद और कर्नल खंडूजा के अलावा संस्था के अन्य सदस्य व पदाधिकारी मौजूद थे।

ज्यादा एंटीबायोटिक्स खाने के ये नुकसान

ज्यादा एंटीबायोटिक्स खाने से हृदय और यकृत सहित शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। बच्चोंमें गंभीर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर पड़ जाती है। इसलिए बच्चों को कभी भी जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक्स नहीं दी जानी चाहिए।

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