जालंधर के गांव बाजड़ा के किसानों ने नहीं लगाई पराली को आग, दूसरों के लिए बने मिसाल
बाजड़ा के सरपंच अविनाश ने बताया कि ब्लाक खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग के अधिकारियों के सहयोग से उनके गांव के किसानों ने पराली नहीं जलाने का संकल्प लिया था। इस बार गांव में किसी किसान ने पराली को आग नहीं लगाई है।
जालंधर, जेएनएन। जालंधर के पश्चिम ब्लाक में पड़ते गांव बाजड़ा के किसानों ने बेहतरीन मिसाल पेश की है। उन्होंने संकल्प लेकर इस बार धान की पराली को आग नहीं लगाई है। सरपंच अविनाश ने बताया कि ब्लाक खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग के अधिकारियों डा. अरुण कोहली व डा. सुरिंदर सिंह ने इस कार्य में उनकी बड़ी मदद की है। उनकी ओर से मुहैया किए गए तकनीकी ज्ञान के बाद पूरे गांव के किसानों ने पराली नहीं जलाने का संकल्प लिया था। उन्होंने इस बार इसे पूरा कर दिखाया है। सरपंच ने बताया कि गांव में खेती कर रहे लगभग 10 किसान धान की पराली की संभाल कर गेहूं और आलू उगा रहे हैं।
मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने बताया कि जिले में इस साल धान की पराली को जमीन में जोतकर अगली फसल की काश्त करने के रुझान में बढ़ोतरी हुई है। इसका लाभ किसानों को भी मिल रहा है। अब किसान अलग-अलग मशीनें किराये पर लेकर धान की पराली का अच्छा प्रबंधन कर रहे हैं। इसके बाद वे गेहूं व आलू की बिजाई कर रहे हैं।
अग्रणी किसान मनिंदर सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार वह बीते चार सालों से पराली को आग नहीं लगा रहे हैं। इसका नतीजा यह रहा कि केवल आधा बोरी डीएपी प्रति एकड़ का इस्तेमाल करके गेहूं की काश्त में सफलता मिल रही है। इसी तरह गुरदीप सिंह व मंजीत सिंह ने बताया कि गांव के नजदीक गुज्जर भाईचारे के लोग धान की पराली पशुओं के चारे के तौर पर ले जाते हैं। पराली को आग न लगाने से जमीन भी उपजाऊ शक्ति भी बढ़ी है।
डीसी ने दिए हैं पराली को आग लगाने वाले किसान पर तुरंत एफआईआर के निर्देश
खेत में पराली को आग लगाने से प्रदूषण बढ़ने के कारण डीसी घनश्याम थोरी ने पिछले दिनों निर्देश जारी किए थे। उन्होंने पराली को आग लगाने वाले किसान पर तुरंत केस दर्ज करने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं। वर्तमान में प्रशासन की ओर से नियुक्त नोडल अफसर जिले भर में पराली को आग लगाने की घटनाओं पर नजर रख रहे हैं।