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चार से आठ गुणा तक बढ़ाई डीएल की फीस, सुविधा के नाम पर लंबा इंतजार Jalandhar News

पहले लर्निंग के रोजाना 300 लाइसेंस बनते थे लेकिन अब अप्वाइंटमेंट ही 120 को मिलती है। वहीं मैनुअल में 300 से 400 पक्के डीएल बनते थे लेकिन अब अप्वाइंटमेंट सिर्फ 60 को मिलती है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 11:16 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 01:56 PM (IST)
चार से आठ गुणा तक बढ़ाई डीएल की फीस, सुविधा के नाम पर लंबा इंतजार Jalandhar News
चार से आठ गुणा तक बढ़ाई डीएल की फीस, सुविधा के नाम पर लंबा इंतजार Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। सरकारी कमाई चार से आठ गुना बढ़ गई लेकिन सुविधा बढ़ने के स्थान पर लोगों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। यह हकीकत ऑनलाइन सिस्टम से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की है। विभाग ने मैनुअल फीस बंद करके और फीस बढ़ाकर ऑनलाइन सिस्टम तो शुरू कर दिया लेकिन अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यह हालात तब हैं जब इस सुविधा को शुरू हुए पांच साल गुजर चुके हैं।

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सुविधा शुरू होने के बाद अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बदलकर अब कांग्रेस सत्ता में बैठी है। इसके बावजूद हालात सुधरने के बजाय बद से बदतर हो रहे हैं। ड्राइविंग ट्रैक चालू कर चौबीस घंटे में डीएल देने का जहां अकाली-भाजपा सरकार का दावा औंधे मुंह गिर गया। वहीं, सुविधा के नाम पर डीटीओ का नाम खत्म कर आरटीए व एसडीएम को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का अधिकार देने के अलावा कैप्टन सरकार के खाते भी इसमें कुछ खास उपलब्धि नहीं है।

पहले मैनुअल में कार व दोपहिया का लर्निंग लाइसेंस तीन सौ में बन जाता था। इसके बाद हफ्ते में लर्निंग लाइसेंस मिल भी जाता था। अब लर्निंग लाइसेंस के लिए दोपहिया व कार की फीस 520 रुपये की जा चुकी है और लाइसेंस मिलने में अप्वाइंटमेंट और फिर डिलीवरी में कम से कम दो महीने का वक्त लग रहा है। पक्के डीएल की बात करें तो पहले ट्रैक पर जाकर एमवीआइ के पास टेस्ट देकर हफ्ते में पक्का डीएल मिल जाता था। फीस 350 रुपये थी। अब 1350 है लेकिन डीएल मिलने में ढाई महीने लग रहे हैं। इस बारे में स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर गुरप्रीत खैहरा ने कहा कि अभी वो सुल्तानपुर लोधी में व्यस्त हैं, उसके बाद बात करेंगे।

तत्काल डीएल बनाने का कोई ऑप्शन नहीं

डीएल को ऑनलाइन पासपोर्ट की तर्ज पर शुरू करने के दावे तो किए गए, लेकिन उस जैसी व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी। अभी तत्काल डीएल बनाने का कोई ऑप्शन नहीं है। जिस परिवहन वेबसाइट पर अप्वाइंटमेंट मिलती है। वहां इमरजेंसी कोटा के नाम पर ऑप्शन है लेकिन उसमें स्लॉट की बुकिंग नहीं होती। एजेंटों को ढाई हजार से पांच हजार देकर या फिर अफसरों से सिफारिश से यह काम जरूर कराया जा सकता है। वहीं, वेबसाइट पर लर्निंग लाइसेंस जल्द एक्सपायर होने वालों के लिए स्पेशल कोटा है, जिसकी अप्वाइंटमेंट अगले ही दिन की मिल जाती है लेकिन इसके बारे में किसी को पता ही नहीं।

ऑनलाइन सिस्टम में सबसे बड़ी समस्या अप्वाइंटमेंट को लेकर है। आरटीए और एसडीएम के ट्रैक पर लर्निंग से लेकर पक्के ड्राइविंग लाइसेंस की अप्वाइंटमेंट चौबीसों घंटे खुली रहती है, लेकिन समस्या यह है कि इसकी बुकिंग अगले एक से दो महीने तक फुल है। अगर किसी को अप्वाइंटमेंट लेनी है तो उसे करीब दो महीने तक इंतजार करना होगा। जालंधर आरटीए के पास लर्निंग लाइसेंस में दो महीने की बुकिंग चल रही है। यहां 10 जनवरी के बाद ही अप्वाइंटमेंट मिलेगी। पक्के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों को एक महीने से ज्यादा का इंतजार करना होगा। अभी 20 दिसंबर की अप्वाइंटमेंट खुली हुई हैं।

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अगर आवेदक के अप्वाइंटमेंट वाले दिन अचानक कोई छुट्टी हो जाती है तो उसे दोबारा अप्वाइंटमेंट लेनी पड़ती है जो दो महीने बाद की मिलती है। हालांकि एजेंटों या अफसरों के पास सिफारिश हो तो हफ्ते में भी यह काम हो जाता है। मैन पावर की कमी व कम कोटे से बढ़ी मुसीबतजिस तरह सरकार ने फीस बढ़ाई है उस हिसाब से सुविधाएं नहीं बढ़ाई गई। अब भी उसी मैन पॉवर से काम हो रहा है, जिसमें मैनुअल काम होता है। पहले लर्निंग के रोजाना 300 लाइसेंस बनते थे लेकिन अब अप्वाइंटमेंट ही 120 को मिलती है। वहीं, मैनुअल में 300 से 400 पक्के डीएल बनते थे लेकिन अब अप्वाइंटमेंट ही सिर्फ 60 को मिलती है। साफ है कि सरकार ने सुविधा तो अच्छी शुरू की ताकि लोग घर बैठे अप्वाइंटमेंट लेकर डीएल बनवाएं लेकिन उस लिहाज से ट्रैक पर व्यवस्थाएं नहीं की।

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