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पठानकोट बार्डर पर 49 साल से बांधी जा रही शहीद को राखी, बहन की मौत के बाद गांववालों ने निभाई रस्म

अमृतपाल कौर गांव सिंबल की बीएसएफ की पोस्ट पर 1971 युद्ध के शहीद होने वाले अपने भाई की समाधि पर पिछले 43 वर्षों से राखी बांधती थी। पांच साल पहले उनकी मौत के बाद यह क्रम टूट गया। अब गांव वालों की मदद से यह दोबारा शुरू किया गया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 07:42 PM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 07:42 PM (IST)
पठानकोट बार्डर पर 49 साल से बांधी जा रही शहीद को राखी, बहन की मौत के बाद गांववालों ने निभाई रस्म
गांव सिंबल स्थित बीएसएफ की पोस्ट पर शहीद कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांधती गांव की लड़कियां।

संवाद सहयोगी, बमियाल। रक्षा बंधन का पर्व हो और बहन को भाई की याद न आए, यह तो हो नहीं सकता। इसी अटूट रिश्ते के बंधन में बंधी एक अभागी बहन जालंधर की अमृतपाल कौर कई वर्षों से निभा रही थी। वे भारत-पाक बार्डर पर स्थित गांव सिंबल की बीएसएफ की पोस्ट पर 1971 युद्ध के शहीद होने वाले अपने भाई की समाधि पर पिछले 43 वर्षों से निरंतर राखी बांधती थी। पांच वर्ष पहले अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई। शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने की परंपरा को बरकरार रखते हुए उस साल अमृतपाल कौर की चचेरी बहन ने सिंबल पोस्ट पर जाकर अपने चचेरे भाई की समाधि पर राखी बांधी। मगर अफसोस उसके बाद वह दोबारा इस पोस्ट पर राखी बांधने नहीं आई।

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शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि दम तोड़ने से तीन दिन पहले शहीद की बहन अमृतपाल कौर ने परिषद से यह वचन लिया था कि उनके द्वारा पिछले 43 वर्षों से अपने भाई की समाधि पर राखी बांधने की शुरू की गई परंपरा रुकने नहीं चाहिए। चाहे उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य बेशक यहां न पहुंचे। इसी वचन की डोरी से बंधे परिषद के सदस्यों ने सरहदी गांव की बेटियों को साथ लेकर शहीद कमलजीत की समाधि पर पांस साल से राखी बांध रहे हैं। 

इस बार जिस गांव सिंबल को बचाते हुए कमलजीत ने शहादत पाई थी, उस गांव की मंदीप कौर व हरप्रीत कौर ने शहीद की समाधि पर रेशम की डोरी बांध अमृतपाल की 49 वर्ष पहले शुरू की गई परंपरा को बरकरार रखा। इस अवसर पर सुरिंदर गुप्ता, सुमित्री देवी, लाल चंद, संजू, अश्वनी कुमार, भीम सिंह, भरत राए, सुरजीत सिंह, सरपंच परमजीत कौर, नायक पीके तिवारी, एचसी आर के रावत उपस्थित थे।

कमलजीत को आज भी मसीहा के रूप में पूजते हैं लोग

हरप्रीत कौर व मंदीप कौर ने नम आंखों से बताया कि गांव सिंबल के लोग कमलजीत सिंह को आज भी एक मसीहा के रुप में पूजते हैं। इसलिए वह भविष्य में भी इसी तरह अपने गांव के रक्षक भाई की समाधि पर राखी बांधती रहेंगी। इसके अलावा उन्होंने पोस्ट पर तैनात बीएसएफ के जवानों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें यह अहसास करवाया कि बेशक उनकी मुंह बोली बहन अमृतपाल कौर की सांसो की डोर टूटी है, मगर रक्षा बंधन का यह अटूट रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।

खून की आखिरी बूंद तक सरहदों की रक्षा करेंगे : महादेओ

पोस्ट के कंपनी कमांडर ठुक्कल महादेओ ने कहा कि इन सरहदी बहनों ने उनकी कलाई पर जो रक्षासूत्र राखी के रूप में बांधा है, यह एक कवच के रूप में हमारे जवानों की रक्षा करेगा। आज इन मुंह बोली बहनों ने हमारी कलाई पर राखी बांध हमें जो स्नेह दिया है, उससे हजारों मील दूर बैठी हमारी अपनी बहनों की कमी हमें नहीं खलने दी। हम अपनी इन बहनों को यह वचन देते हैं कि हम अपने खून की आखिरी बूंद तक इन सरहदों की रक्षा करते रहेंगे।


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