प्यार नहीं देखती सरहदेें; लंबी जुदाई के बाद मिलन, अटारी बार्डर पर छगनी ने दो साल बाद किया पिया का दीदार
राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले महिंदर सिंह की पत्नी छगनी दो वर्ष बाद अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर मिले। विवाह के बाद महिंदर पत्नी को पाक छोड़ आया दोनों देशों में तनाव और फिर लाकडाउन के कारण वह वहीं फंसी रही।
जेएनएन, अमृतसर। पिया रे पिया रे... थारे बिना लागे नाही म्हारा जिया रे। प्रसिद्ध पाकिस्तानी कव्वाल स्व. उस्ताद नुसरत फतेह अली खान के इस गीत में विरह की पीड़ा झलकती है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले महिंदर सिंह और पाकिस्तान में रहने वाली छगनी इसी पीड़ा से तड़प रहे थे। दो बरस बाद जब उनका मिलन हुआ तो यह पीड़ा खुशी के आंसुओं के रूप में बाहर निकली। यह दंपती अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर इक-दूजे से मिला।
जैसे ही छगनी सोमवार की शाम अटारी सीमा से भारत पहुंचीं, महिंदर सिंह की आंखों से आंसू छलक पड़़े। पिया का दीदार पाकर छगनी भी फूले नहीं समा रही थी। घूंघट की ओट में छगनी पति को निहारती रही। दरअसल, महिंदर सिंह की शादी 16 अप्रैल 2019 को पाकिस्तान के अमरकोट जिले में रहने वाली छगनी से हुई थी। राजस्थान से थार एक्सप्रेस पकड़ी और बारात लेकर महिंदर पाकिस्तान पहुंचा। शादी के बाद दोनों राजस्थान आ गए।
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इसके करीब दो माह बाद महिंदर छगनी के साथ पाकिस्तान गया और पत्नी को कुछ दिन के लिए मायके में यह यह कहकर छोड़ आया कि वह उसे जल्द लेने आएगा, परंतु समय को कुछ और ही मंजूर था। दोनों देशों में पैदा तनाव और फिर कोरोना ने इस दंपती को दो साल तक इक-दूजे से जुदा रखा। बाड़मेर जिले का पाकिस्तान से गहरा रिश्ता है। यहां के कई परिवारों की पाकिस्तान से रिश्तेदारी है। दोनों देशों में तनाव तथा कोरोना की वजह से कई परिवार पाकिस्तान में फंसे रहे। छगनी व महिंदर ने वीजा अप्लाई किया, पर रिजेक्ट हो गया।
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अटारी सीमा पर पहुंची छगनी ने कहा, वह मायके में अपने ससुराल आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। पति से फोन पर बातचीत तो हो जाती, पर उनसे मिल नहीं पा रही थी। कुछ दिन पूर्व इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास से उन्हें अपने ससुराल जाने की मंजूरी मिली। पति महिंदर सिंह के अनुसार उन्होंने दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास से कई बार वीजा मांगा, पर नहीं दिया गया।
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नेपाल की पत्नी कैलाश भी दो बरस बाद लौटी
अटारी सीमा पर जैसलमेर निवासी नेपाल सिंह की पत्नी कैलाश भी दो वर्ष बाद पाकिस्तान से पहुंची। उस ओर से बेटी को छोडऩे के लिए उसकी मां मोर कंवर भी भारत आई थी। उसके अनुसार बेटी ससुराल पहुंच जाए, इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, पर वीजा नहीं मिला। बहुत देर से उनकी बारी आई।