छोटे बच्चों की बड़ी मुहिमः लोगों को समझा रहे आदित्य और आयान, अपने अंग करो दान Jalandhar News
अंगदान किसी के लिए जीवनदान हो सकता है। इसलिए मरने के बाद सभी अंगों का खाक में मिल जाने से बेहतर है ये किसी को जीवनदान दे जाएं।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। अंगदान न जाने कितने लोगों को जीवनदान हो सकता है। बस जरूरत है जागरूकता की। देश में लोग आज भी कई अंधविश्वासों के कारण किसी परिजन की मृत्यु के बाद अंगदान करने से बचते हैं। इन्हीं दकियानूसी रीतियों और अंधविश्वास से पर्दा उठाने का बीड़ा उठाया है दो बच्चों ने। शहर के आदित्य (15) और आयान (10) ने सोशल नेटवर्किग साइट्स पर ऑर्गन डोनेशन अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू किया है। वेबसाइट भी लांच की जा चुकी है। इसके अलावा जागरूकता पंफ्लेट भी बांटे जा रहे हैं।
लवली ग्रुप के डायरेक्टर अमित मित्तल और सोनल मित्तल के बड़े बेटा आदित्य दून स्कूल देहारादून और छोटे बेटा आयान मेयर वर्ल्ड स्कूल में पढ़ रहे हैं। अब दोनों भाइयों ने अस्थमा से ग्रस्त 15 वर्षीय अमन जैन की वीडियो अपलोड की है। अमन जैन के परिजन अंगदान के प्रति अवेयर थे। उन्होंने बेटे के टिशू व अंग डोनेट कर दिए थे। उनकी सोच थी कि उनका बेटा भले ही बच नहीं सका, मगर जिन्हें उसके अंग व टिशू लगेंगे, उन्हीं में वे अपने बच्चे को देख सकेंगे।
देश में पंजाब को अंगदान की रैंकिंग में बढ़ाना है लक्ष्य
आदित्य मित्तल ने कहा कि हमारा देश जनसंख्या के हिसाब से विश्व में दूसरे स्थान पर है, लेकिन अंगदान में बहुत पीछे है। राज्यों में तमिलनाडू अंगदान में सबसे आगे है और पंजाब सबसे पीछे। इसलिए जालंधर के स्कूल-कॉलेजों में प्रोग्राम अच्छा होने के बाद सैंकड़ों स्टूडेंट्स की ओर से अवेयरनेस को लेकर ह्यूमन चेन बनाई गई है। इसका उद्देश्य पंजाब को अंगदान की रैंकिंग में ऊपर लाना है। इसी उद्देश्य को मुख्य रखते हुए अब पंजाब और चंडीगढ़ के स्कूलों में इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा।
2011 के बाद से नया नियम नहीं हुआ लागू
ऑर्गन डोनेशन एक्ट 1994 के नियमों के मुताबिक अंगदान सिर्फ उसी अस्पताल में ही किया जा सकता है, जहां उसे ट्रांसप्लांट करने की सुविधा हो। 2011 में नियमों में हुए बदलाव के तहत एक बिल पास किया गया था, जिसके अनुसार किसी भी अस्पताल के आईसीयू में अंगदान किया जा सकता है। मगर यह नियम अभी तक लागू नहीं हुआ। इसके लागू होने से आसानी हो जाएगी।
यहां कर सकते हैं संपर्क
अगर किसी व्यक्ति की आंखें दान करनी है लोग आई बैंक से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए 1919 आई डोनेशन के लिए केंद्रीय नंबर है। इसी तरह 99901-60160 भी सेंट्रलाइज्ड नंबर हैं।
50 तरह के अंग व टिशू किए जा सकते हैं डोनेट
दोनों आंखें, दोनों किडनी, हार्ट, लीवर, पैनक्रियाज, छोटी आंत (इंटेस्टाइन), फेफड़े (लंग्स), त्वचा (स्किन) आदि डोनेट किए जा सकते हैं। इनके अलावा हड्डियां, हार्ट वॉल्व, हड्डियां व बोनमैरो आदि 50 तरह के अंग व टिशूज ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं।
सामान्य डेथ में आंखों के अलावा अन्य अंग जल्दी होते हैं बेकार
सामान्य मौत में मनुष्य के अंग काम करना बंद कर देते हैं। ज्यादातर मामलों में दिल की धड़कन रुकने से दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों में खून का बहाव रुक जाता है। इसे कार्डियक डेथ कहा जाता है। ऐसे में आंखों को छोड़कर अन्य जल्द अंग बेकार होने लगते हैं। ऐसो में केवल आंखें ही दान की जा सकती हैं।
फैक्ट फाइल
- विश्व में भारत में प्रति मिलियन की दर से ऑर्गन डोनर रेट 0.8 है, जबकि यूएसए की 31.96 और सबसे अधिक स्पेन की 46.9 है।
- देश में हर साल पांच लाख लोग आर्गन न मिलने से मृत्यु का शिकार हो रहे हैं।
- दो लाख लोग लीवर और 50 हजार लोग हार्ट की बीमारियों से मौत के मुंह में समा रहे हैं।
- दो लाख लोग किडनी ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे हैं। केवल 10 हजार ही डोनर हैं।
- हार्ट की 50 हजार लोगों को ट्रांसप्लांट की डिमांड है और महज 339 ही डोनर हैं।
- दस लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के शिकार हैं।
- देश में लिवर के 100 मामलों में बमुश्किल एक लिवर डोनर ही मिल पाता है।
- हर साल करीब पौने दो लाख किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है। करीब 6000 ट्रांसप्लांट ही हो पाती है।
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