तेल उद्योग पंजाब ने पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन को पत्र लिख लगाई गुहार, कहा- मत करो हड़ताल
तेल कंपनियों की राज्यस्तरीय समन्वयक तेल उद्योग पंजाब की तरफ से पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन को पत्र लिखकर शाम पांच पेट्रोल पंप बंद कर देने और 22 नवंबर को पेट्रोल पंपों की बिक्री बंद रखने की हड़ताल की कॉल को वापस लेने की गुहार लगाई गई है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। बढ़ती हुई तेल कीमतों से कम हो रही बिक्री एवं बीते 4 वर्षों से डीलर मार्जन की बढ़ोतरी न किए जाने के विरोध में आगामी सात नवंबर से शाम पांच पेट्रोल पंप बंद कर देने की घोषणा तेल कंपनियों को नागवार गुजरी है। तेल कंपनियों की राज्यस्तरीय समन्वयक (तेल उद्योग) पंजाब की तरफ से पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन, पंजाब (पीपीडीएपी) को पत्र लिखकर शाम पांच पेट्रोल पंप बंद कर देने और 22 नवंबर को पेट्रोल पंपों की बिक्री बंद रखने की हड़ताल की कॉल को वापस लेने की गुहार लगाई गई है।
इंडियन ऑयल के सुजॉय चौधरी, भारत पेट्रोलियम के मोहित भाटिया एवं एचपीसीएल के सुबोध चौधरी की तरफ से हस्ताक्षरित इस पत्र में चालू त्योहारी सीजन और कृषि सेक्टर का हवाला देते हुए पेट्रोल पंप डीलर्स को निर्विघ्न बिक्री जारी रखने के लिए कहा गया है। पत्र में लिखा गया है कि तेल एवं गैस देश की इकोनामी को चलाने में अहम भूमिका अदा करते हैं कोविड-19 के बाद बिक्री का स्तर बढ़ रहा है और कृषि सेक्टर में भी डिमांड बढ़ रही है। अगर पेट्रोल पंप शाम पांच बजे बंद कर दिए जाते हैं तो फिर इसका असर कृषि सेक्टर पर भी बुरे तरीके से पड़ेगा। बढ़ती हुई तेल कीमतों से पल्ला झाड़ते हुए तेल की कीमतों को विभिन्न राज्यों की टैक्स वसूली के साथ जोड़ा गया है और पीपीडीएपी को ही कहा गया है कि वह संबंधित सरकारों के साथ बात कर इस मसले का हल करें। पेट्रोलियम डीलर्स का मार्जिन बढ़ाने संबंधी आश्वासन दिया गया है कि शीघ्र ही इस बारे में मंत्रालय के साथ बात की जाएगी।
हालांकि दूसरी तरफ पीपीडीएपी ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही आगे बढ़ने की घोषणा की है। पीपीडीएपी के प्रवक्ता मोंटी गुरमीत सहगल ने कहा है कि तेल कंपनियों को अपनी बिक्री गिरने का डर है और इसी वजह से हड़ताल न करने की बात की जा रही है, लेकिन पीपीडीएपी की तरफ से जो मसले उठाए गए हैं। वह लोगों के साथ भी जुड़े हुए हैं और पेट्रोलियम डीलर्स के भविष्य के साथ भी जुड़े हुए हैं। पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारी इन मसलों का सीधा हल नहीं बता रहे हैं और मात्र हड़ताल टालने की कोशिश में हैं।