अब हाथ से नहीं, मशीन से टटोली जाती है नब्ज, विश्व में 60 हजार से ज्यादा मरीज ले चुके है सुविधा का लाभ
आयुर्वेद में नब्ज के आधार पर इलाज किया जाता है। डाक्टर नब्ज टटोल कर मरीज की बीमारी के बारे में जानकारी हासिल कर लेते थे। अब आधुनिक तकनीक ने हाथ से नब्ज टटोलने की तकनीक को हाईटैक कर दिया है।
जालंधर, जेएनएन। आयुर्वेद में नब्ज के आधार पर इलाज किया जाता है। डाक्टर नब्ज टटोल कर मरीज की बीमारी के बारे में जानकारी हासिल कर लेते थे। अब आधुनिक तकनीक ने हाथ से नब्ज टटोलने की तकनीक को हाईटैक कर दिया है। राष्ट्रीय अवार्ड विजेता आयुष्वेदा आयुर्वेदिक व पंचकर्म सेंटर के डा. अभिनव मेहता और ईशा मेहता का कहना है कि विश्वभर में 120 देशों में से 60 हजार से ज्यादा मरीज इसका लाभ ले चुके हैं।
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उन्होंने जालंधर में अर्बन एस्टेट स्थित क्लीनिक में आधुनिक उपकरण को स्थापित कर मरीजों का इलाज करना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि शरीर में वात, पित्त व कफ त्रिदोष पाए जाते है। इनमें असंतुलन की वजह से व्यक्ति रोग ग्रस्त हो जाता है। कलाई की धमनी की जगह नाड़ी देखी जाती है। नब्ज की गति व बल के आधार पर त्रिदोष और मल की विकृति की पहचान करते हैं, वह नाड़ी कहलाती है।
आयुर्वेद आचार्य पुरुष के दाएं, स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखते हैं। पल्स की जांच के लिए तीनों नाड़ियों के परीक्षण में उनकी गति व बल को विशेष रूप से देखते हैं। इससे अंग में बीमारी व गंभीरता की पहचान हो जाती है। अंग पर बीमारी के प्रभाव की जानकारी मिलती है। इससे रक्त में भारीपन व हृदय की धड़कन की वास्तविक स्थिति जान सकते हैं। इसमें 10 पेज रिपोर्ट आती है, जिसमें तासीर, प्रकृति, बल, अग्नि, वात, पित्त, कफ, गति, गुण एवं दिमागी शक्ति के बारे में जानकारी मिलती है। इसके अलावा मरीज की तासीर के हिसाब से डाइट चार्ट, दिनचर्या, ऋतुचर्या के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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