नए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का है पंजाब से गहरा नाता, यहीं लिए थे सात फेरे
जालंधर शहर देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा की कर्मस्तली है। पहले वह यहीं पढ़े और फिर डीएवी कॉलेज में दो वर्ष तक अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे।
जालंधर [सत्येन ओझा]। देश के नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का जालंधर से गहरा नाता है। उन्होंने न केवल यहां एक अध्यापक के रूप में कार्य किया बल्कि उनकी शादी भी यहीं हुई थी। वह डीएवी कालेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्होंने कॉलेज में दो साल (1975 से 1977) तक पढ़ाया। दो दिसंबर को भारतीय चुनाव आयोग के मुखिया का पद संभालने जा रहे प्रो. अरोड़ा की जालंधर में प्रोफेसर एमएल शौरी के साथ जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी। दोनों शहर की सड़कों पर लेम्ब्रेटा स्कूटर पर इकट्ठे घूमते थे। सुनील अरोड़ा ने एमएचवी में पढऩे वाली डॉ. रीतू के साथ शहर के ही स्काईलार्क होटल में सात फेरे लिए थे। डॉ. रीतू का परिवार अब अमृतसर शिफ्ट हो चुका है।
उनके पिता नसीब चंद अरोड़ा जालंधर रेलवे स्टेशन पर ऑडिट ब्रांच में सुपरिंटेंडेंट थे। घर में सबसे बड़े सुनील अरोड़ा की मां पुष्पलता भी शिक्षक थीं। वह डीएवी कॉलेज होशियारपुर में लेक्चरर रहीं थीं।
डीएवी कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. दिनेश अरोड़ा ने कहा कि शताब्दी समारोह में इसी साल 10 फरवरी को मुख्य अतिथि के रूप में उन्हें बुलाया गया था। जब कॉलेज मैग्जीन में 1975 में छपे उनके एक लेख की प्रति को फ्रेम कराकर समारोह में उन्हें भेंट किया तो उसे देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यादों को जिंदा रखने के लिए उन्होंने तहे दिल से कॉलेज का आभार जताया था।
तीनों भाई भारतीय सेवा में अधिकारी
परिवार में सबसे बड़े सुनील अरोड़ा जहां आइएस अधिकारी हैं वहीं उनके छोटे भाई संजीव अरोड़ा भारतीय विदेश सेवा में हैं। संजीव इन दिनों मिस्र में एंबेसडर हैं। सबसे छोटे भाई राजीव आईएफएस हैं और हरियाणा में तैनात हैं। सबसे छोटी बहन हाउसवाइफ हैं।
छात्रों को जीवन का मर्म समझाया
डीएवी कॉलेज के शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में सुनील अरोड़ा ने विद्यार्थियों को नसीहत दी थी कि मैदान में जब भी उतरें तो सिर्फ जीतने के लिए उतरें। उन्होंने शायद अपने जीवन के मर्म को विद्यार्थियों के समाने रखा था। वरिष्ठ आइएएस सुनील ने दोस्त, अधिकारी, पिता, शिक्षक, पति हर रूप में खुद को विजेता साबित किया है। यही वजह है कि समारोह में जब वह अपने प्रिय शिष्य वर्तमान में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु राज सिंह से मिले तो दिल की खुशी आंखों से बूंदें बनकर छलकी थीं।
होशियारपुर जन्मस्थली, जालंधर कर्मस्थली
होशियारपुर के प्रेमगढ़ मोहल्ले में पैदा हुए सुनील की जन्म स्थली जहां होशियारपुर है वहीं पर उनकी कर्मस्थली जालंधर रहा है। अरोड़ा ने प्रारंभिक शिक्षा विद्या मंदिर स्कूल होशियारपुर से हासिल की और उच्च शिक्षा डीएवी स्कूल से। इसके बाद 1976 में सरकारी कालेज होशियारपुर से इंग्लिश में एमए की थी। 1978 में आइपीएस में चयनित हुए, लेकिन कॉल लेटर नहीं आया। 1980 में राजस्थान काडर के आइएएस अधिकारी बने।
इंटलेक्चुअल शिक्षक थे सुनील
सुनील सर विद्वान शिक्षक थे, वे छात्रों की पूरी बात सुनने के बाद लॉजिकल थॉट तक पहुंचते थे, भले ही विचार उनसे मिलें न मिलें। छात्रों को वे पूरी आजादी देते थे। लिटरेचर पढऩे के बाद खुद की इंटरपिटेशन देते थे।
-डॉ. रितु राज सिंह, हड्डी रोग विशेषज्ञ।
आज भी छात्राओं भेजते हैं स्कॉलरशिप
दोस्तों के बेहद मददगार सुनील आज भी होशियारपुर के डीएवी कालेज में हर साल पांच लड़कियों को अपनी नेक कमाई से पांच-पांच हजार रुपये की स्कॉलरशिप भेजते हैं। इसी कालेज में उनकी मां पढ़ाया करती थीं। उनके निधन के बाद उन्होंने यह शुरुआत की थी।
-देशवीर शर्मा, रिटायर्ड प्रिंसिपल, डिग्री कॉलेज
सुनील अरोड़ा बहुत ही परिश्रमी, अनुशासन प्रिय शिक्षक थे। वे क्लास को उस समय तक नहीं छोड़ते जब तक हर विद्यार्थी उस दिन के लेक्चर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होता था। कमजोर विद्यार्थियों को भी उन्होंने मोटीवेट करके, उनके अंदर बड़ी प्रतिभा छिपी होने की बातें करके उन्हें मुख्य धारा में खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है।
-कुलबीर सिंह संधू, पंजाब एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी के डीन।
यहां-यहां रहे तैनात
सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव। वित्त, कपड़ा और योजना आयोग में सचिव। नागरिक विमानन मंत्रालय में संयुक्त सचिव। पांच साल तक इंडियन एयरलाइंस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) भी रहे।
राजस्थान में धौलपुर, अलवर, नागौर और जोधपुर के डीसी। मुख्यमंत्री के सचिव। 2005-2008 तक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के महानिदेशक।