Move to Jagran APP

जालंधर के बूटा पिंड के प्लॉट में मिले नवजात ने दम तोड़ा, फेंकने वाले युवक-युवती गिरफ्तार

नवजात को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर की जरूरत थी लेकिन सभी वेंटिलेटर कोरोना वार्ड में रखे थे। यही कारण रहा कि उसे अमृतसर रेफर करना पड़ा।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 07:55 PM (IST)
जालंधर के बूटा पिंड के प्लॉट में मिले नवजात ने दम तोड़ा, फेंकने वाले युवक-युवती गिरफ्तार
जालंधर के बूटा पिंड के प्लॉट में मिले नवजात ने दम तोड़ा, फेंकने वाले युवक-युवती गिरफ्तार

जालंधर, [सुक्रांत]। बूटा पिंड में प्लॉट में मिले नवजात शिशु की शनिवार को अमृतसर के मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने उसे जन्म देने वाली मां और उसके नाजायज पिता मुकेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। थाना प्रभारी सुरजीर्त सिंह ने बताया कि बच्चा मिलने के बाद दोनों के खिलाफ धारा 317 के तहत मामला दर्ज किया गया था और बच्ची की मौत के बाद जुर्म संगीन हो गया तो धारा 315 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मुकेश के रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा।

loksabha election banner

वीरवार को बूटा पिंड में स्थित एक प्लाट में नवजात शिशु मिला था। इलाके की अमनप्रीत और उनकी बेटी अमरजीत ने बच्ची को वहां से उठाया और अपने घर पर ले गए थे। इसके बाद थाना छह की पुलिस ने बच्चे को इलाज के लिए सिविल अस्पातल मे दाखिल करवाया था। वहां से बच्चे को अमृतसर रेफर किया गया था। अमृतसर मेडिकल कॉलेज के डॉ. हीरा लाल खुल्लर ने बताया कि बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया था। उसे सांस लेने में तकलीफ थी। प्री मेच्योर डिलीवरी हुई थी, जिससे बच्चा कमजोर था। डिलीवरी करवाते वक्त भी सावधानियां नहीं रखी गई। सांस की तकलीफ की वजह से ही बच्चे की मौत हो गई।

जन्म के एक घंटे बाद ही फेंक दिया था बच्चा

आरोपित मुकेश 22 साल का है। वह करीब एक साल पहले उत्तर प्रदेश के रायबरेली के गांव सजणी से यहां आया था और बूटा पिंड में किराये पर रहने लगा। उसके साथ वाले कमरे में एक और परिवार रहता था जो जिला अररिया, बिहार का रहने वाला था। उस परिवार में रहने वाली महिला की बहन दिसंबर में जालंधर आई। इसी बीच मुकेश और युवती के बीच प्रेम संबंध हो गया। कुछ दिन बाद युवती को पता चला कि वह मां बनने वाली है, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बच्चे को जन्म देना ही पड़ना था, लेकिन लड़की का परिवार उसकी इस हरकत से खफा था। मार्च के बाद कोरोना के कारण वे युवती को बिहार भी नहीं भेज पाए। जब बच्चा पैदा हुआ तो लड़की की बहन और जीजा उसे रखना नहीं चाहते थे। मुकेश भी बच्चा नहीं चाहता था। ऐसे में बच्चे को फेंकने की बात हुई। वीरवार सुबह करीब पांच बजे उसने बच्चे को जन्म दिया और मुकेश छह बजे उसे प्लॉट में फेंक आया। पुलिस कस्टडी में मुकेश ने कहा था कि उन्हें लगा था कि बच्चा मर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और किसी ने उसे उठा लिया। युवती ने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, गलती हो गई थी। मुकेश ने कोई दवाई लाकर दी, जिससे बच्चा घर में पैदा करवाना पड़ा। बच्चा फेंकना नहीं चाहती थी, लेकिन न तो मुकेश माना और न ही बहन। इसके बाद बच्चे को फेंकने का फैसला लिया गया।  

बच्चे की जान बचाने के लिए दो दिन तक साये की तरह साथ रही अमरजीत कौर

प्लाट में मिले नवजन्मे बच्चे को दो बेटियों की मां अमरजीत कौर अपना बनाकर इलाज के लिए ले गई थी। सिविल अस्पताल में उसका इलाज न हुआ तो पुलिस की मदद से उसे लेकर अमृतसर में चली गई और वहां पर दो दिन तक साये की तरह उसके साथ रह कर इलाज करवाती रही। यहां तक कि बच्चे के इलाज में होने वाला सारा खर्च भी उसी ने उठाया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। बच्चे की किस्मत मे शायद मां की गोद नहीं थी और न ही उसका प्यार लिखा था। इसीलिए वो दुनिया को छो़ड़ कर चला गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.