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नवजोत सिद्धू नशे से जान गंवाने वाले युवकों के घरवालों से मिले, रोकथाम के लिए दिए कई सुझाव

नवजोत सिंह सिद्धू बठिंडा की धोबियाना बस्ती में नशे के कारण जान गंवा चुके युवाओं के घरवालों से मिले। इस दौरान युवाओं के घरवालों ने सिद्धू को अपना दुखड़ा सुनाया। सिद्धू ने कहा कि नशे का नेटवर्क तोड़ने के लिए जो नशा बेचने वालों को पहले पकड़ा जाना चाहिए।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 04:12 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 04:12 PM (IST)
नवजोत सिद्धू नशे से जान गंवाने वाले युवकों के घरवालों से मिले, रोकथाम के लिए दिए कई सुझाव
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की फाइल फोटो।

जासं, बठिंडा। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिद्धू ने कहा कि पंजाब से नशा खत्म करने में पहले अकाली दल, उसके बाद कांग्रेस और अब आप की सरकार भी विफल हो रही है। परिणामस्वरूप आप की सरकार बनने के बाद अब तक 60 युवाओं की नशे के कारण मौत हो चुकी है। नशा खत्म करने के लिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। नशे के आदी युवकों के साथ गलत व्यवहार करने के बजाए उनके साथ प्यार से बात करनी चाहिए। नशा छोड़ चुके युवाओं को पुलिस पूछताछ करके मानसिक रूप से परेशान करने के बजाए सरकार को चाहिए कि वह उन्हें रोजगार के काबिल बनाए।

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सिद्धू रविवार को शहर की धोबियाना बस्ती में नशे के कारण जान गंवा चुके युवाओं के परिवारों से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान युवाओं के घरवालों ने सिद्धू को अपना दुखड़ा सुनाया। इन सब बातों को सुनने के बाद सिद्धू ने कहा कि वह इसलिए यहां पर आए हैं कि अब नशे के कारण किसी की मौत न हो। जबकि नशे बेचने के लिए पुलिस, नशा तस्करों व राजनीतिक नेताओं का नेक्सस बना हुआ है। यह बात वह नहीं, बल्कि एसटीएफ की रिपोर्ट बताती है। लेकिन नशे का नेटवर्क तोड़ने के लिए जो नशा बेचते हैं, उनको पहल के आधार पर पकड़ा जाना चाहिए और बार्डर पर स्कैनर लगने चाहिए। 

सिद्धू ने सरकार को दिए यह सुझाव

- जब तक नशा करने वालों का डाटा नहीं बनता, तब तक कैसे पता लगेगा कि नशा कौन कर रहा है। उन्होंने आईसीएमआर व एम्स के सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बतााया कि दोनों ही सर्वे में 1 फीसद से कम लोग नशा करते हैं। जबकि सरकार के अनुसार 7 लाख ऐसे लोग हैं, जो नशे का इलाज करवा रहे हैं, जो पांच फीसद बनता है। यह सिर्फ वही लोग हैं, जो लीगली हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं, जो अन्य दवाओं से इलाज करवाते हैं। इनका रिकार्ड नहीं है। यह लोग भी इतने ही हैं। ऐसे में 10 फीसद लोग नशा कर रहे हैं, जो सभी नौजवान हैं।

- मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के अधीन लोगों को जागरूक किया जाए। इस प्रोग्राम के अधीन केंद्र सरकार 50 लाख रुपये हर जिले को देती है लेकिन कहीं पर भी 5 लाख रुपये खर्च नहीं होता। नशे के आदी युवक ऐसी स्थिति हैं, जिसको प्यार से हैंडल करना चाहिए। सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। जिस प्रकार से डायबिटिज की बीमारी है, उसी प्रकार यह भी बीमारी है, जिसका हल किया जा सकता है। इस पर शर्मसार होने के बजाए इलाज करवाना चाहिए।

-नशे की ओवरडोज से युवाओं को बचाने के लिए सरकार के पास नोलोक्सोन इंजेक्शन नहीं है। इसके लिए सरकार को तहसील व सब तहसील लेवल पर एक एंबुलेंस का प्रबंध करना चाहिए, जो 10 किलोमीटर का एरिया कवर करे। इसके लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए। अस्पतालों में नोलोक्सोन की कमी को पूरा किया जाए। अगर यह सही समय पर मिल जाता है तो किसी की मौत नहीं होगी। इसके साथ रोजगार भी पैदा होगा।

- अकेला गोली देना इलाज नहीं। इसके बाद सरकार को फालोअप लेना चाहिए। मनोरोग विशेषज्ञ व काउंसलिंग की भी जरूरत है। बच्चे को नशे से निकाल कर कोई स्किल दो। उसकी विल पावर की अस्पताल में जांच होनी चाहिए। यह किसी पार्टी का नहीं, बल्कि राज्य का मसला है।


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