NCRB की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, कर्ज नहीं, मर्ज है पंजाबियों की जान पर भारी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों की मानें तो पंजाब के लोग बीमारी के कारण सबसे अधिक आत्महत्या करते हैं।
जालंधर [अभिषेक श्रीवास्तव]। पंजाब में कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्या लगातार सुर्खियों में रही है, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों की मानें तो यहां लोग बीमारी के कारण सबसे अधिक आत्महत्या करते हैं।
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में पंजाब में कुल 1714 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से 722 लोगों ने बीमारी से तंग आकर जान दी। यह आंकड़ा देशभर में सर्वाधिक यानी 42.1 फीसद रहा, जबकि देश के 28 राज्यों व अन्य केंद्रशासित प्रदेशों में कुल मिलकर 57.9 लोगों ने बीमारी के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इसी अवधि में कर्ज के कारण पंजाब में 323 किसानों ने खुदकुशी की। यानी इससे दो गुना से भी ज्यादा संख्या में लोगों ने बीमारी से तंग आकर जान दी।
यह प्रदेश सरकार, समूची स्वास्थ्य प्रणाली और इससे जुड़े महकमों के लिए चिंता का विषय है। हैरत इस बात की है कि यह चलन बढ़ रहा है। 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो पंजाब में कुल 1481 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से बीमारी से तंग आकर जान देने वालों की संख्या 469 थी। यानी 31.7 फीसद लोगों ने बीमारी के कारण जान दी थी और औसत के हिसाब से यह संख्या देशभर में दूसरे नंबर पर थी। सिक्किम इस मामले में पहले स्थान पर था। इसी अवधि में पंजाब में कर्ज से परेशान 359 किसानों ने खुदकुशी की थी। यानी किसान आत्महत्या की घटनाएं कुछ कम हुई हैं, लेकिन बीमारी के कारण जान देने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
पंजाब में बढ़े आत्महत्या के मामले
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2017 | 2018 |
कुल केस | 1481 | 1714 |
बीमारी से | 469 | 722 |
कर्ज से | 359 | 323
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बढ़ रहे हैं खुदकुशी के मामले
वर्ष 2017 में कुल आत्महत्या करने वालों में करीब पांच फीसद लोग पंजाब के थे, लेकिन 2018 में यह आकड़ा बढ़कर 5.8 फीसद हो गया।
नशा भी जानलेवा
आत्महत्या के कारणों में बीमारी और कर्ज के अतिरिक्त नशे की भी अहम भूमिका है। नशे के कारण भी प्रदेश में वर्ष 2018 में 55 लोगों ने खुदकुशी कर ली।
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