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एक करोड़ से बंद फैक्ट्री शुरू करने की बजाय कंपोस्ट पिट प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ खर्च करेगा निगम Jalandhar News

करीब 15 साल पहले खाद फैक्ट्री को गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग देने से मना करने वाला नगर निगम अब गीले और सूखे कूड़े के अलग-अलग कलेक्शन की अहमियत समझ गया है।

By Edited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 07:40 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 03:43 PM (IST)
एक करोड़ से बंद फैक्ट्री शुरू करने की बजाय कंपोस्ट पिट प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ खर्च करेगा निगम Jalandhar News
एक करोड़ से बंद फैक्ट्री शुरू करने की बजाय कंपोस्ट पिट प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ खर्च करेगा निगम Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। अपनी 15 साल पुरानी गलती को सुधार और करोड़ों रुपये खर्च करके नगर निगम कूड़े से खाद बनाने की तैयारी में है। यह गलती वरियाणा स्थित खाद फैक्ट्री से जुड़ी है। करीब 15 साल पहले खाद फैक्ट्री को गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग देने से मना करने वाला नगर निगम अब गीले और सूखे कूड़े के अलग-अलग कलेक्शन की अहमियत समझ गया है। अब काफी देरी हो चुकी है।10 करोड़ से बनी फैक्ट्री बंद हो चुकी है और काफी समय भी खराब हुआ है।

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बावजूद इसके नगर निगम को फैक्ट्री बंद होने का कोई अफसोस नहीं है। नगर निगम ने करीब 20 करोड़ की लागत वाला नया खाद प्रोजेक्ट लगाना शुरू कर दिया है। यह कंपोस्ट पिट प्रोजेक्ट है। शुरुआती दौर में इस प्रोजेक्ट के लिए चार करोड़ का बजट रख कर इसपर काम शुरू कर दिया गया है।

बता दें कि साल 2003 में 10 करोड़ रुपये की लागत से वरियाणा में खाद फैक्ट्री बनाई गई थी। इस फैक्ट्री की क्षमता 350 टन है। फैक्ट्री की तरफ से उस समय यह मांग की गई थी कि शहर से कूड़ा उठाते समय गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लाया जाए, ताकि फैक्ट्री में आसानी से कूड़े से खाद बनाई जा सके। लेकिन निगम ने पंद्रह साल पहले फैक्ट्री की गीले और सूखे कूड़े की मांग को गंभीरता से नहीं लिया।

नतीजतन यह फैक्ट्री ज्यादा देर तक नहीं चल पाई और बंद हो गई। फैक्ट्री में करोड़ों की मशीनरी एवं अन्य इंफ्रस्ट्रक्चर लगाया गया था जो धूल फांक रहा है। लेकिन निगम ने करीब 20 करोड़ वाला कंपोस्ट पिट्स प्रोजेक्ट बनाया है। जिसके तहत 50 साइट्स शहर में बनाई जाएंगी। हर साइट पर 25 से 35 पिट्स बनेंगे। करीब एक हजार पिट्स कुल होंगे। इस पिट प्रोजेक्ट को ऑपरेट करने के लिए करीब सौ मुलाजिमों की भी जरूरत होगी। 12 साइट्स का काम 4 करोड़ के बजट के साथ शुरू कर दिया गया है। लेकिन वरियाणा खाद फैक्ट्री को दोबारा शुरू करने पर विचार तक नहीं किया गया।

फैक्ट्री चलाते तो 20 करोड़ की बजाए खर्च होते सिर्फ एक करोड़

वरियाणा की फैक्ट्री चलाने वाली ग्रो मोर कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर धीरज घई का कहना है कि अगर बंद फैक्ट्री को दोबारा शुरू किया जाता है तो इसपर निगम को सिर्फ एक करोड़ रुपये ही खर्च करने होंगे। फैक्ट्री में मशीनरी पहले से ही लगी हुई है। लेकिन समय रहते फैक्ट्री शुरू न की तो मशीनरी खराब हो जाएगी। यहां सड़क, सीवरेज, लाइट्स और शेड का प्रबंध कर दिया जाए तो यह फैक्ट्री पूरी क्षमता से काम करेगी। इस फैक्ट्री के पास साल 2032 तक की मंजूरी भी है।

निगम के असहयोग से बंद हुई फैक्ट्री

ग्रो मोर कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर धीरज घई ने कहा कि नगर निगम के असहयोग के कारण ही यह फैक्ट्री बंद हुई है। उन्होंने कहा कि कूड़े की सेग्रीगेशन करके गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग कलेक्ट करने की मांग कंपनी ने पंद्रह साल पहले की थी। लेकिन उस समय नगर निगम ने इस बात को स्वीकार नहीं किया। सेग्रीगेशन अगर 15 साल पहले शुरू कर दी गई होती तो वरियाणा डंप पर आज लाखों क्यूबिक टन कूड़ा न होता। कंपनी की गमांग को नगर निगम ने उस समय खारिज कर दिया था, लेकिन अब इसी पर फोकस किया है।

डंप खत्म करने के लिए खर्च करने होंगे 73 करोड़

वरियाणा में फैक्ट्री बंद होने पर वहां करीब 7.52 लाख क्यूबिक टन कूड़ा जमा हो गया है। सरल भाषा में समझें तो कूड़े की प्रोसेसिंग न होने से करीब डेढ़ एकड़ जगह पर 50 फीट ऊंचा कूड़े का डंप लगा हुआ है। अब इस डंप को खत्म करने के लिए्र 73 करोड़ रुपए खर्च करके बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट शुरू किया जाना है।

सड़कों के लिए फंड नहीं, खाद प्रोजेक्ट पर फिजूल खर्च

एक तरफ जहां नगर निगम खाद प्रोजेक्ट पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़कों का बुरा हाल है। खाद प्रोजेक्ट पर जहां 10 करोड़ की फैक्ट्री को ताला लगाकर अब 20 करोड़ और खर्च करने की तैयारी है तो वहीं सड़कों का निर्माण न हो पाने पर पैचवर्क से काम चलाया जा रहा है। बता दें कि शहर में कई सड़कों का बुरा हाल है। इस संबंधी दैनिक जागरण प्रमुखता से मुदा भी उठा चुका है। लोग भी इस समस्या से काफी परेशान हैं। शहर की सड़कों का हाल सोशल मीडिया पर भी खुलकर उजागर हो रहा है। लेकिन नगर निगम सड़कों की तरफ ध्यान देने की बजाए खाद प्रोजेक्ट पर फिजूल खर्च कर रहा है।

मेयर से मिलकर करेंगे अपील

ग्रो मोर कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर धीरज घई का कहना है कि मेयर से मिल कर फैक्ट्री को दोबारा शुरू करवाने की अपील करेंगे। अब तो कई शहरों में निगम अपने खर्च पर खाद फैक्ट्री चला रहे हैं। निगम इस कारखाने का भी खर्च उठाए। खाद की डिमांड पहले भी थी और अब भी है। 

कंपनी प्रपोजल दे तो विचार करेंगे

मेयर जगदीश राजा का कहना है कि कंपनी ने अब तक काम नहीं किया। कंपनी के पास कोई प्रपोजल है तो वह दे, उस पर विचार करेंगे। कूड़े को खत्म करने के लिए कई तरह की कोशिशें कर रहे हैं। अब तक कंपनी के प्रतिनिधियों ने एक बार भी मिलने की कोशिश नहीं की। अगर प्रपोजल पर काम हो सकता हुआ तो इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया करवाएंगे।

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