निगम के बजट सिर्फ 70 प्रतिशत इलाके पर फोकस, 30 प्रतिशत की अनदेखी
नगर निगम के बजट पर पार्षदों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। शहर के आउटर एरिया के पार्षद बजट पर गहन मंथन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि हर साल पेश होने वाला बजट शहर के 70 प्रतिशत एरिया के लिए ही तैयार होता है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम के बजट पर पार्षदों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। शहर के आउटर एरिया के पार्षद बजट पर गहन मंथन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि हर साल पेश होने वाला बजट शहर के 70 प्रतिशत एरिया के लिए ही तैयार होता है। 30 प्रतिशत एरिया इस बार भी अनदेखी का शिकार है। निगम ने 460 करोड़ के बजट में से इस बार करीब 100 करोड़ रुपये विकास कार्याें के लिए रखे गए हैं लेकिन इस पैसे से विकास सिर्फ उन्हीं इलाकों में करवाया जाएगा जो शहर का पुराना एरिया है या फिर मंजूरशुदा कालोनियां हैं। उसी कारण नगर निगम की हद में आने वाला 30 प्रतिशत एरिया विकास के अधीन नहीं आ रहा। उधर निगम का पैसा अवैध कालोनियों पर खर्च न करने के पंजाब सरकार के नियम से शहर के आउटर एरिया के वार्डो के पार्षद भी परेशान हैं। आउटर एरिया के पार्षद जिनके इलाकों में बड़ी गिनती में अवैध कालोनियां हैं वह जल्द ही मेयर जगदीश राज राजा के सामने यह मुद्दा रखने जा रहे हैं। यह पार्षद मांग कर सकते हैं कि उनके वार्ड क्षेत्र के लिए हर साल बजट तय किया जाए। हर वार्ड को हर साल 50-50 लाख रुपये की ग्रांट की मांग की जाएगी। यह पैसा पार्षद की मर्जी से खर्च करने के लिए दबाव बनाया जाएगा।
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विधायकों पर निर्भर हुए पार्षद
नगर निगम अवैध कालोनियों में विकास नहीं करवा पा रहा है इसलिए इन कालोनियों में विकास का पूरा दारोमदार विधायक के फंड पर निर्भर हो गया है। अगर सरकार से विधायकों को फंड नहीं मिलेंगे तो इन कालोनियों में विकास कार्य नहीं हो पाएगा। एक साल पहले तो लोकल बाडी ने भी विधायक फंड से अवैध कालोनियों में विकास कार्यो पर रोक लगा दी थी। हालांकि विधायकों के दखल के बाद अब विकास कार्य शुरू हो गए। एक पहलू यह भी है कि दूसरी पार्टी के पार्षदों को विधायक से फंड लेने में भी मुश्किल आती है। ----------
निगम सारे टैक्स ले रहा लेकिन सफाई भी नहीं करवा रहा
मामले में यह भी हैरानीजनक है कि जिन अवैध कालोनियों में नगर निगम विकास कार्य करवाने से मना कर रहा है उन इलाकों से नगर निगम को प्रापर्टी टैक्स, पानी के बिल, लाइसेंस ब्रांच के लाइसेंस और अन्य कई तरह की फीस और बिल लेने में कोई एतराज नहीं है। पार्षद निर्मल सिंह निम्मा का कहना है कि शहर को अवैध और वैध में बांटकर पब्लिक के साथ भेदभाव किया जा रहा है। शहर के आउटर एरिया में सफाई व्यवस्था को लेकर भी जो सुविधाएं पुराने शहर और मंजूरशुदा कालोनियों में हैं अवैध कालोनियों में नहीं हैं। पुराने शहर और वैध कालोनियों में सफाई व्यवस्था के लिए बीट सिस्टम बना हुआ है लेकिन अवैध कालोनियों में सफाई व्यवस्था के लिए मुलाजिम तक उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे।
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मेयर से मिलकर भेदभाव खत्म करवाएंगे : निम्मा
पार्षद निर्मल सिंह निम्मा के वार्ड का काफी इलाका गैरमंजूरशुदा है और विकास कार्य करवाने में वहां पर दिक्कत आ रही है। उनका कहना है कि वार्ड में अवैध कालोनियों की सड़कों और दूसरे कार्यों पर नगर निगम फंड से काम नहीं करवाया जा सकता। ऐसे में जरूरी है कि इस नियम को सरकार से बदलवाया जाए। ये इलाके आते हैं तीस फीसद एरिया में
रामा मंडी, कैंट का एरिया, मकसूदां, अर्बन एस्टेट के बैकसाइड, पठानकोट रोड, जंडूसिंघा।
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