शहरनामाः शेर को मिला सवा सेर, 60 टांकों ने लगाया लोगों के दर्द पर मरहम
बंदर द्वारा पिटबुल की पिटाई का वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। यह बंदर सोशल मीडिया का हीरो भी बन गया। हालांकि बाद में वन विभाग ने बंदर को काबू किया।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। मामला गुज्जां पीर कालोनी का है। बीते दिनों शहर में दहशत फैलाने के लिए कुत्तों में मशहूर बाबर नाम के पिटबुल कुत्ते की एक बंदर ने ऐसी धुनाई की कि उसे 60 टांके लगाने पड़े। कॉलोनी में तीन सप्ताह से बंदर ने उत्पात मचा रखा था। इससे पहले शहर में पिटबुल का शिकार कई लोग हो चुके थे। जिस दिन पिटबुल की पिटाई बंदर द्वारा करने की खबर बाजार में आई तो पिटबुल का शिकार लोगों के दर्द पर थोड़ा मरहम लगा कि चलो कोई तो निकला जिसने खूंखार पिटबुल का सामना किया। हालांकि यह वह पिटबुल नहीं था जिसके शिकार लोग हुए थे। अपने-आप में अनोखी इस घटना को लेकर शहर में कई दिनों तक चर्चाएं होती रहीं और बंदर द्वारा पिटबुल की पिटाई का वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। यह बंदर सोशल मीडिया का हीरो भी बन गया। हालांकि बाद में वन विभाग ने बंदर को काबू किया।
जिमखाना में फिर गरमाई राजनीति
मामला शहर के सबसे प्रतिष्ठित जिमखाना क्लब से जुड़ा है। सिटी पॉलिटिक्स में इस क्लब का अपना एक अलग ही स्थान है। लोगों के घरों से लेकर बाहर तक की चर्चाओं से रोजाना शाम से लेकर रात तक गुलजार रहने वाले इस नामी क्लब के प्रधान रहे बी पुरुषार्थ का राज्य सरकार ने तबादला कर दिया है। जिमखाना क्लब के बीते चुनाव को लेकर हुई खींचतान में प्रधान ने भी खासी सक्रियता दिखाई थी। चुनाव के बाद क्लब में ताबड़तोड़ रेनोवेशन के काम भी करवाए गए। कुछ काम अभी भी तेजी से पूरे करवाने की कवायद की जा रही है। 23 मार्च को क्लब की सालाना जनरल बाडी की बैठक है। बैठक से पहले प्रधान के तबादले ने मौजूदा कार्यकारिणी को कठघरे में खड़ा करने के लिए विरोधियों को एक मौका दे दिया है। हारे उम्मीदवार इस मौके को हाथ से नहीं जाने देने की कवायद में जुट गए हैं।
...इंतजार और सीधा पेनल्टी स्ट्रोक
हॉकी के मैदान को बाय-बाय करने के बाद अकाली दल के रास्ते सूबे की सियासत में इंट्री करने के बाद परगट सिंह ने आम आदमी पार्टी के गोल में भी सियासी गेंद डालने की कोशिश की थी। आप के अरविंद केजरीवाल की दूरदर्शिता के चलते परगट सिंह को आखिरकार कांग्रेस पार्टी के मैदान में आकर अपना सियासी भविष्य बचाना पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस तो सत्ता में आई लेकिन परगट सिंह को खेल मंत्री की कुर्सी नहीं सौंपी। इसके बाद से तीन साल से परगट सही मुद्दे के साथ कांग्रेस को बेनकाब करने का इंतजार करते रहे। मौका इस बार विधानसभा सत्र से पहले मिला और उन्होंने अपनी ही सरकार को सही मुद्दों पर बेनकाब करके सीधा पेनल्टी स्ट्रोक मार दिया। इस बात की सियासी गलियारे में खूब चर्चा हो रही है। यह गोल उनकी आगे की सियासी पारी में कितना मददगार साबित होता है, यह तो समय बताएगा।
युवाओं के लिए कुछ नहीं किया
बीते दिनों शहर में कारपोरेट फुटबॉल लीग का आयोजन किया गया। शहर में पहली बार इस प्रकार की फुटबॉल लीग का आयोजन होने से कारपोरेट घराने काफी उत्साहित थे। नतीजतन कई कारपोरेट हाउसों की टीमों ने इस प्रतियोगिता में पूरे जोर शोर के साथ हिस्सा लिया और खेल भावना का परिचय दिया। इन्हीं में से एक टीम की तरफ से शहर में नॉर्थ हलके से विधायक बावा हैनरी भी खेलते हुए दिखे। शहर के युवा व तमाम नेता एक विधायक को फुटबॉल खेलते हुए देखकर काफी उत्साहित थे। उन्हें खेलते देखकर तमाम दर्शक उनकी तारीफों की पुल बांध रहे थे। इसी बीच दर्शक दीर्घा में मौजूद कुछ खिलाडिय़ों ने टिप्पणी कर दी कि तीन साल में शहर में एक स्पोर्ट्स हब का निर्माण भी यह महोदय करवा नहीं पाए हैं। खुद खेलने का तो शौक है इन्हें, लेकिन मैदान पर असली खिलाडिय़ों को खेलते हुए देखने का शौक नहीं है।