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गल्ला दी गल्ल : सेल्फ गोल कर बुरे फंसे पगरट, निगम भी पीछे हटा

कैंट हलके के भी 11 वार्ड जूझ रहे हैं। लोगों को कूड़ा फेंकने की जगह नहीं मिल रही है। दूसरे वार्डों के पार्षद कैंट हलके के वार्डों का कूड़ा अपने यहां नहीं फेंकने दे रहे हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 11:07 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 11:07 AM (IST)
गल्ला दी गल्ल : सेल्फ गोल कर बुरे फंसे पगरट, निगम भी पीछे हटा
गल्ला दी गल्ल : सेल्फ गोल कर बुरे फंसे पगरट, निगम भी पीछे हटा

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। ओलंपियन परगट सिंह कूड़े की सियासत में बुरी तरह फंस गए हैं। कूड़े की राजनीति करके दूसरी बार कैंट हलके से विधायक बनने के बाद अब परगट के गले में कूड़े का मुद्दा मरे हुए सांप की तरह लिपट गया है। कैंंट हलके के जमशेर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट लगाने का परगट ने डटकर विरोध किया। प्रोजेक्ट फाइलों से बाहर नहीं निकल पाया। उनका समर्थन लोगों ने भी किया और बीते विधानसभा चुनाव में परगट को जीत दिला दी। अब विकराल रूप धारण कर चुकी इस समस्या से कैंट हलके के भी 11 वार्ड जूझ रहे हैं। लोगों को कूड़ा फेंकने की जगह नहीं मिल रही है। दूसरे वार्डों के पार्षद कैंट हलके के वार्डों का कूड़ा अपने यहां नहीं फेंकने दे रहे हैं। इसके चलते परगट अब सेल्फ गोल में बुुरी तरह फंस गए हैं। निगम ने भी उनकी मदद से हाथ पीछे खींच लिए हैं।

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एक फूल दो माली

कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी जनहित के मुद्दों को उठा पाने में लगातार विफल हो रही है। पंजाब विधानसभा चुुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में आप ने जालंधर में बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया। इसके बाद से जिले में आप की सियासी बगिया को सींच रहे डॉ. शिवदयाल माली ने भी जनहित के तमाम मुद्दों पर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। उनके साथ एक दूसरे डॉक्टर ने मौके का लाभ उठाकर जिले में पार्टी द्वारा तैयार की गई जमीन पर अपनी सियासी फसल तैयार करनी शुरू कर दी, लेकिन माली की बगिया में पूरी तरह से सेंधमारी करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अब तो हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि एक फूल दो माली के कारण पार्टी में आपसी टकराव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे

कोरोना काल में सभी परेशान हैं। सरकारी विभागों में तैनात अधिकारी व मुलाजिम भी इससे अछूते नहीं हैं। छह महीनों से सेहत विभाग, आबकारी और पुलिस का राज ही चल रहा है। कर्फ्यू के दौरान सभी के साथ सबसे ज्यादा परेशानी किसी को हुई तो शराब पीने वालों को। ठेके बंद थे। ऐसे में पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते दो नंबरी शराब की सप्लाई जमकर की गई। जब सरकार ने कफ्र्यू खत्म होने के बाद राजस्व बढ़ाने को लेकर ठेके खोले तो वहां शराब की बिक्री नहीं हुई। पहले तो अधिकारी कोरोना का हवाला देकर बचाव करते रहे, लेकिन तरनतारन में जहरीली शराब पीकर मरने वालों का मुद्दा उठने के बाद सरकार सख्त हुई तो आबकारी व पुलिस विभाग के अधिकारी भी बेनकाब हुए। अब विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। इसके बाद दो नंबरी शराब सप्लाई में शामिल अधिकारियों की हवा खराब है।

डीसी ने सही किया जीपीएस कनेक्शन

जिले में करीब एक माह पहले डिप्टी कमिश्नर धनश्याम थोरी की तैनाती की गई है। सख्त मिजाज माने जाते थोरी ने ज्वाइन करने के बाद ही अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं। खास तौर पर कोरोना को हराने के लिए प्रशासनिक सुधार व प्रबंधों को लेकर डीसी ने खुद कमान अपने हाथों में ले रखी है। इसके बाद प्रदेश सरकार की हर हिदायतों का पालन पूरे जिले में काफी सख्ती से किया जा रहा है। अब तो लोग भी यह चर्चा करने लगे हैं कि आखिर एक महीने में ऐसा क्या हो गया कि प्रशासनिक व्यवस्था सख्त हो गई है। खबरनवीस ने भी मामले की पड़ताल की तो पता चला कि नए डीसी ने आते ही अपने स्तर से खामियों की पड़ताल की और उसके बाद ढीले चल रहे जीपीएस कनेक्शन को टाइट कर दिया। जीपीएस कनेक्शन को टाइट करते ही उसका असर भी दिखाई देने लगा है।


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