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धार्मिक रस्में पूरी करने के लिए देश भर से जुटेंगे कपूर, खन्ना, सेठ व मल्होत्रा परिवार

मिट्ठा बाजार स्थित 250 वर्ष पुराने लौहरियां मंदिर में देश भर से जुटेंगे कपूर खन्ना सेठ व मल्होत्रा परिवार के सदस्य।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:20 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:20 AM (IST)
धार्मिक रस्में पूरी करने के लिए देश भर से जुटेंगे कपूर, खन्ना, सेठ व मल्होत्रा परिवार
धार्मिक रस्में पूरी करने के लिए देश भर से जुटेंगे कपूर, खन्ना, सेठ व मल्होत्रा परिवार

शाम सहगल, जालंधर

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जिले के मिट्ठा बाजार स्थित 250 वर्ष पुराने लौहरियां मंदिर में माघ का मास खास होगा। कारण, इस माह में देश भर से खन्ना, मल्होत्रा, कपूर तथा सेठ परिवार यहां पर पहुंचकर धार्मिक रस्में पूरी करते हैं। बच्चों के मुंडन सहित कई महत्वपूर्ण रस्में इसी माह में पूरी करनी होती है। इसके चलते इन परिवारों को इस माह का इंतजार वर्ष भर रहता है। शादी के बाद चोटी की रस्म पूरी करने के लिए भी इस माह में इसी मंदिर में आकर रस्में पूरी की जाती हैं। चारों बिरादरी के गुरु बाबा लालू यशराम की प्रतिमा इसी मंदिर में प्रतिष्ठापित है, जहां चोटी व कढ़ाही की रस्म के साथ ही अंतिम दिन माथा टेककर पूजा संपन्न की जाती है।

मंदिर लौहरियां के मैनेजिग कमेटी के सचिव अशोक सेठ बताते हैं कि विभाजन से पूर्व पाकिस्तान के दयालपुर में बाबा लालू यशराम का मंदिर हुआ करता था, जहां पर चारों बिरादरी के परिवार तमाम धार्मिक रस्में पूरी करते थे। विभाजन के बाद इस मंदिर से प्रतिमा, ईटें व मिट्टी लाकर मिट्ठा बाजार में मंदिर की स्थापना की गई। इसके बाद से इस मंदिर में चारों बिरादरी के परिवार धार्मिक रस्में पूरी करने लगे। सात वर्ष की उम्र के बाद होती है चोटी की रस्म

इन बिरादरी के लड़कों की सात वर्ष की उम्र के बाद ही चोटी की रस्म संभव है। इसके बिना बिरादरी के लड़कों की शादी नहीं की जाती। यह परंपरा चार बिरादरी के परिवारों में सदियों से चली आ रही है। यही कारण है कि विदेशों में जाकर बस चुके परिवार भी पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस माह में यहां पर आकर रस्म पूरी करते हैं। ऐसे होती है रस्म अदायगी

माह के हर शनिवार को सूर्यास्त के बाद चोटी काटने की रस्म की जाती है। इसके उपरांत माता-पिता को चेहरा नहीं दिखाया जाता। चोटी की रस्म के बाद लड़के को मंदिर में बिना चाकू के काटी गई व बिना हल्दी के तैयार की गई सब्जी से भोजन करना होता है। वहीं, रविवार के दिन सूर्यास्त के बाद कड़ाही तैयार करके बाबा लालू यशराम को अर्पित की जाती है। सोमवार के दिन लड़के द्वारां बांधी गई रक्ख को बाबा के समक्ष अर्पित करके रस्में पूरी की जाती हैं। मंदिर कमेटी करती है खाने से लेकर ठहरने का प्रबंध

यहां आने वाले लोगों को देखते हुए मंदिर कमेटी की तरफ से व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। इस बारे में अशोक सेठ बताते हैं कि मंदिर में बने कमरों में परिवारों को ठहराने से लेकर भोजन की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को हर तरह की सुविधाएं दी जाती हैं।

पूजा व रस्मों की तिथियां

चोटी की तिथियां

-16 जनवरी

- 23 जनवरी

- 30 जनवरी

- 6 फरवरी कढ़ाही की तिथियां

- 17 जनवरी

- 24 जनवरी

- 31 जनवरी

- 7 फरवरी


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