कूड़े से खाद का प्लांट न लगाने वाले संस्थानों पर चलेगा निगम का डंडा
नगर निगम ने कूड़े से खाद बनाने के प्लांट न लगाने वाले संस्थानों पर कार्रवाई की तैयारी पर है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
नगर निगम ने कूड़े से खाद बनाने के प्लांट न लगाने वाले संस्थानों पर कार्रवाई की तैयारी पर है। इनके कॉलेज, होटल, रेस्टारेंट शामिल हैं। नगर निगम की हेल्थ एंड सेनिटेशन एडहॉक कमेटी मंगलवार को ज्यादा मात्रा में कूड़ा पैदा करने वाले संस्थानों की जांच करेगी। कमेटी के चेयरमैन बलराज ठाकुर ने कहा कि जिन संस्थानों ने वेस्ट मैनेजमेंट का इंतजाम नहीं किया होगा, उनको नोटिस देंगे और जुर्माना वसूलेंगे। उन्होंने कहा कि सभी पर सख्ती बरतेंगे।
बलराज ठाकुर ने कहा कि सभी संस्थानों में बने प्लांट्स का जायजा लिया जाएगा कि वह किस स्तर पर काम कर रहे हैं। निगम वेस्ट मैनजमेंट में फेल हुआ तो जिम्मेवारी बांटने के लिए बड़े संस्थानों पर फोकस कर लिया। हेल्थ कमेटी एक साल पहले वेस्ट मैनेजमेंट के लिए सूचीबद्ध किए 129 संस्थानों पर फोकस कर रही है। इन संस्थानों को अपने परिसरों में ही कूड़े को खाद में बदलने का निर्देश दिया गया था। इनमें से 40 से ज्यादा संस्थानों ने छोटे प्लांट या पिट्स लगा कर कूड़े को खाद में बदलने का प्रोसेस शुरू कर दिया था। करीब 50 संस्थानों में प्लांट लगाने का प्रोसेस चल रहा था। मार्च में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के कारण सभी संस्थान बंद हो गए। इन संस्थानों में ज्यादा स्कूल-कॉलेज, होटल, पैलेस व रेस्टारेंट हैं। कोविड-19 की गाइडलाइंस के मुताबिक शिक्षण संस्थान अभी तक नहीं खुले हैं। होटल व रेस्टोरेंट भी कम ही खुले हैं। इन संस्थानों में कूड़े की मात्रा या तो खत्म हो गई है या फिर काफी कम हो गई है। लॉकडाउन के कारण संस्थान ही नहीं खुले तो छोटे प्लांट्स या पिट्स का रखरखाव संभव नहीं था। करीब एक साल पहले ज्वाइंट कमिश्नर आशिका जैन ने यह मुहिम शुरू की थी और इसको अच्छा रिस्पांस मिला था। छोटे-छोटे वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लग जाने से शहर के मेन डंपों पर कूड़ा आना कम हो गया था, जिससे निगम को राहत मिली थी। इसके बाद आशिका जैन का ज्वाइंट कमिश्नर पद से तबादला हो गया और प्रोजेक्ट से फोकस कम हो गया। अब फिर से रेस्टोरेंट, ढाबों, फूड चेन का कूड़ा डपों पर आना शुरू हो गया है। निगम ऑफिस की बेसमेंट में धूल फांक रहे 40 लाख के 23 ई-रिक्शा
नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोहल्लों से कूड़ा उठाने के लिए 23 ई-रिक्शा खरीदे थे। 40 लाख में खरीदे गए 23 ई-रिक्शा दो महीने से निगम बेसमेंट में धूल फांक रहे हैं। इनकी बैटरियां खराब होने का खतरा भी बढ़ गया है। पार्षद मांग कर रहे हैं कि उनके वार्डों में यह ई-रिक्शा उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि कूड़ा उठाने का सिस्टम ठीक हो जाए। ऐसे ही 100 ई-रिक्शा और खरीदने की तैयारी है। सभी वार्डो में एक-एक ई-रिक्शा दिया जाना है। कामर्शियल रूट पर भी चलाए जाने हैं ई-रिक्शा
नगर निगम शहर के कामर्शियल इलाकों से कूड़ा इकट्ठा करने के लिए भी ई-रिक्शा चलाएगा। इसके लिए नगर निगम ने 23 रूट प्लान किए हैं। कामर्शियल इलाकों के दुकानदारों, फूड शॉप, सैलून व अन्य कामर्शियल यूनिट्स से कूड़ा उठाया जाएगा। कूड़ा उठाने के लिए फीस भी ली जानी है। ई-रिक्शा चलाने वाले रैग पिकर्स को भी इनकम होगी। निगम को इनकम तो होगी ही, साथ ही कामर्शियल यनिट्स का कूड़ा संभालने में आसानी होगी। नगर निगम के पास स्वच्छ भारत मिशन के तहत काफी फंड हैं। देर से शुरू हुई कूड़ा लिफ्टिग, नहीं साफ हुए डंप
रक्षाबंधन के कारण सोमवार को शहर में कूड़ा लिफ्टिग काफी देरी से शुरू हुई। इस कारण शहर के सभी प्रमुख डंप कूड़े से भरे रहे। शनिवार को भी कूडा लिफ्टिग प्रभावित रही थी और रविवार को छुटटी के कारण काम नहीं हुआ। निगम के बड़े डंपों जोशी अस्पताल, नकोदर रोड पर खालसा स्कूल के पास, प्रताप बाग, प्लाजा चौक, मॉडल टाउन समेत सभी डंप कूड़े के ढेर से भरे पड़े थे। नकोदर रोड पर सिर्फ एक गाड़ी निकलने की जगह ही बची थी।