अब निगम नहीं, सोसायटियां करेंगी पार्को का रख-रखाव
450 से ज्यादा पार्कों के रखरखाव करने में नगर निगम ने अपने हाथ पूरी तरह से खड़े कर दिए हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर : शहर के 450 से ज्यादा पार्कों के रखरखाव करने में नगर निगम ने अपने हाथ पूरी तरह से खड़े कर दिए हैं। निगम पार्को के रखरखाव का जिम्मा मोहल्ला वेलफेयर सोसायटियों और बड़ी कंपनियों को दे रहा है। हालांकि कि इससे पहले भी ज्यादातर पार्कों को मोहल्ला वेलफेयर सोसायटी ही मेनटेन कर रही हैं। इन सोसायटियों को निगम माली का खर्च देता है लेकिन वह नाममात्र है। इसलिए अब मई 2017 की पार्क मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत पार्क का रखरखाव करने वाली सोसायटियों या फिर बड़ी कंपनियों को पार्क की मेंटेनेंस के लिए ढाई रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से खर्च दिया जाएगा।
निगम कमिश्नर करनेश शर्मा ने शहर के सुंदरीकरण के लिए हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और बड़े संस्थानों के साथ मिलकर प्लान बनाया है। इसके तहत करीब 200 सोसायटियों के साथ पार्को के रखरखाव का एग्रीमेंट हो गया है। बाकी के 250 पार्कों को सोसायटियों को सुपुर्द करने के लिए सर्वे किया जा रहा है। जो सोसायटियां पार्क अपनाना चाहती हैं उनसे बातचीत जारी है। पूरा सर्वे करने के बाद ही सोसायटियों को काम सौंपा जाएगा। एसडीओ ओंकार ने बताया कि निगम ने 200 पार्क सोसायटियों को दिए हुए हैं। इनको अब नए पॉलिसी के तहत मेंटेनेंस का खर्च दिया जाएगा।
शहर में इस समय पार्कों की हालत काफी खराब है। सिर्फ वही पार्क ही अच्छी हालत में हैं जो पॉश आबादियों में हैं और कॉलोनी के लोग अपने खर्च पर इनका रखरखाव कर रहे हैं। कमिश्नर करनेश शर्मा ने हार्टीकल्चर विग के काम को ठीक करने के लिए हर रविवार को पार्कों से ग्रीन वेस्ट उठाने पर फोकस किया है। इसके लिए 25 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रालियों को लगाया गया है। एक एकड़ के पार्क के लिए देंगे 10 हजार महीना
सरकार की नई पॉलिसी के तहत ढाई रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से एक एकड़ के पार्क की मेंटेनेंस के लिए अब हर महीने 10 हजार रुपये तक जारी होंगे। पहले सिर्फ एक माली के लिए करीब 1000 रुपये ही दिए जाते थे। ज्यादा फंड मिलने से सोसायटियों के लिए जिम्मेवारी लेना आसान होगा। हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में स्टाफ की भारी कमी
निगम का हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट स्टाफ की भारी कमी का सामना कर रहा है। हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट का एडिशनल चार्ज एक्सईएन लेवल के अफसर के पास है। डिपार्टमेंट में एक एसडीओ और दो जेई हैं। एसडीओ और जेई ही मिलकर सर्वे पर डटे हैं। शहर के काम करने के लिए सिर्फ 40 माली हैं। गिनती के पार्क ही अच्छी हालत में हैं
निगम ने करीब चार साल पहले शहर के पार्कों का सर्वे किया था। तब कुल 446 पार्कों में से 223 पार्क ही डेवलप थे और उनमें से आठ पार्क एक्सीलेंट और पांच पार्क अच्छी हालत में थे। आधे पार्कों में डेवलपमेंट जीरो थी। अब शहर में नई कॉलोनियां डेवलप होने से पार्कों की गिनती 20 के करीब बढ़ गई है। शहर में होना चाहिए 15 प्रतिशत ग्रीन एरिया
केंद्र सरकार की अमरुत योजना की ग्रांट लेने के लिए सिटी में 15 प्रतिशत ग्रीन एरिया होना चाहिए। अभी सिर्फ नौ प्रतिशत ही ग्रीन एरिया हैं और वह भी तब जब एग्रीकल्चर लैंड को इसमें शामिल किया गया है। ग्रीन लैंड बढ़ाने के लिए निगम को खाली पड़ी जमीनों को ग्रीन एरिया में बदलना होगा। ग्रीन बेल्ट संभालने वाली संस्थाओं को चेतावनी
शहरी में करीब 40 ग्रीन बेल्ट हैं लेकिन इनमें से करीब 20 बड़ी संस्थाओं को मेंटेनेंस के लिए दी हैं। इनमें से कई संस्थाएं अपनी जिम्मेवारी निभा रही हैं। निगम की ज्वाइंट कमिश्नर शायरी मल्होत्रा ने करीब 10 दिन पहले शहर की बड़े संस्थानों के साथ वर्चुअल मीटिग की थी। कुछ संस्थाओं को नई जिम्मेवारी लेने की अपील की थी तो कुछ संस्थाओं को जिम्मेवारी न निभाने पर चेतावनी दी थी। जो काम नहीं कर रहे हैं उनसे जिम्मेवारी वापस ली जा सकती है। जो संस्थाएं ग्रीन बेल्ट संभालती हैं उन्हें ग्रीन बेल्ट में नियमों के तहत अपने प्रचार बोर्ड लगाने की छूट होती है। शहर को संवारने के लिए लोगों का सहयोग जरूरी : मेयर
मेयर जगदीश राजा ने कहा कि पार्कों का रखरखाव शुरू से ही सोसायटियां करती आ रही हैं। अब तो नई पॉलिसी के तहत रखरखाव के लिए ज्यादा फंड मिलेगा। शहर को बिना लोगों के सहयोग के नहीं संवारा जा सकता।